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21 मार्च से शुरू हो जाएंगे गौरा के गवना के लोकाचार



 18/Mar/21

 काशी की लोक परंपरा के अनुसार महाशिवरात्रि पर महादेव और महामाया के विवाह के उपरांत रंगभरी एकादशी की तिथि पर भगवान शंकर, माता पार्वती का गवना कराते हैं। इस उपक्ष्य में महंत आवास चार दिनों के लिए गौरा के मायके में तब्दील हो जाता है। यह परंपरा 356 वर्षों से निरंतर निभाई जा रही है। इस वर्ष रंगभरी एकादशी उत्सव का 357वां वर्ष है। 24 मार्च होने वाली गवना की रस्म से पहले किए जाने वाले लोकाचार की शुरुआत 21 मार्च से टेढ़ीनीम स्थित नवीन महंत आवास पर होगी।

 श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डा. कुलपति तिवारी ने बताया कि 21 मार्च को गीत गवना, 22 मार्च को गौरा का तेल-हल्दी होगा। 23 मार्च को बाबा का ससुराल आगमन होगा। बाबा के ससुराल आगमन के अवसर पर विश्वनाथ मंदिर महंत परिवार के सदस्य ज्योति शंकर त्रिपाठी(शिवाचार्य) व शंकर त्रिपाठी धन्नी महाराजके सयुक्त आचार्यत्व में 11 ब्राह्मणों द्वारा स्वतिवाचन, वैदिक घनपाठ और दीक्षित मंत्रों से बाबा की आराधना कर उन्हें रजत सिंहासन पर विराजमान कराया जाएगा। इस वर्ष होने वाले समस्त धार्मिक अनुष्ठान अंकशास्त्री पं.वाचस्पति तिवारी के संयोजकत्व में महंत परिवार के सदस्यों द्वारा किए जाएंगे। 24 मार्च को मुख्य अनुष्ठान की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में होगी।

 बाबा की आंखों में लगाने के लिए काजल, विश्वनाथ मंदिर के खप्पड़ से लाया जाएगा। गौर के माथे पर सजाने के लिए सिंदूर परंपरानुसार अन्नपूर्णा मंदिर के मुख्य विग्रह से लाया जाएगा। टेढ़ीनीम स्थित नवीन महंत आवास के भूतल स्थित हॉल में बाबा को विराजमान कराया जाएगा। पूर्वाह्न 11:30 बजे भोग और महाआरती होगी । राज्य के धर्मार्थ संस्कृति एवं पर्याटन मंत्री नीलकंठ तिवारी बाबा की आरती करेंगे। गुरुवार की सुबह उन्होंने फोन करके गली में चल रहे निर्माण कार्य की जानकारी ली और और आश्वासन दिया कि 24 घंटे के अंदर गली का निर्माण कार्य पूरा करा दिया जाएगा। शिवांजलि महोत्सव का उद्घाटन विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष, ध्रुपद-ख्याल गायक एवं विश्व कीर्तिमानधारी जलतरंग वादक पद्मश्री डा.राजेश्वर आचार्य पूर्वाह्न 10:30 बजे करेंगे।

इस वर्ष शिवांजलि में काशी के रुद्रनाद बैंड के कलाकारों द्वारा गायन, वादन और नृत्य की प्रस्तुतियां की जाएंगी। रुद्रनाद बैंड की ओर से शिव को समर्पित गीतों की रिलीजिंग शिवांजलिके मंच से होगी। बाबा के गौना के लिए 151 किलो गुलाब का अबीर खासतौर से मथुरा से मंगाया गया है। इससे पहले बाबा की पालकी पर उड़ाने के लिए 51 किलो अबीर मथुरा से मंगाया जाता था। विगत 357 वर्षों के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब बाबा की पालकी को मंदिर तक पहुंचाने के लिए पहले की तुलना में कहीं अधिक दूरी तय करनी होगी।

 पालकी यात्रा में डमरूदल और शंखनाद करने वाले 108 सदस्य भी शामिल होंगे। नादस्वरम् और बंगाल का ढाक भी बाबा की पालकी यात्रा में गूंजेंगे।


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