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पद्मभूषण राजन मिश्र को वेंटिलेटर न मिलने से टूट गई मिश्र बंधुओं की जोड़ी

अशोक मिश्र ‘क्लाउन’
चीफ एडिटर
 26/Apr/21

प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के प्रख्यात शास्त्री गायक का दिल्ली में हुआ निधन, पीएम मोदी ने जताया शोक

बनारस घराने प्रख्यात शास्त्रीय गायक पद्मभूषण राजन साजन मिश्र की जोड़ी टूट गई । रविवार 25 अप्रैल को अंतिम समय में तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें वेंटीलेटर नहीं मिला और वे करीब 6:30 बजे शायद अपने जीवन का लोकप्रिय भजन गा रहे होंगे :-

 " हे गोविंद राखो शरण, अब तो जीवन हारा रे...

खबर है कि दिल्ली के सेंट स्टीफंस अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। 25 अप्रैल रविवार की सुबह पं. राजन मिश्र की हालत गंभीर हुई थी। पं. राजन मिश्र को कोरोना के साथ हृदय की भी कुछ समस्या आई थी। ट्विटर पर कुछ लोगों ने उनके लिए एक बेड और ऑक्सीजन की मदद मांगी। फिर आईएएस अधिकारी संजीव गुप्ता की कोशिश के बाद पंडित जी को दिल्ली के सेंट स्टीफंस अस्पताल में दाखिला मिल गया।

सोशल मीडिया पर कुछ संगीत प्रेमियों ने उनके इलाज के लिए बेड और ऑक्सीजन की मदद मांगी थी, बड़ी मशक्कत के बाद उन्हें सेंट स्टीफंस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। किंतु उन्हें वेंटिलेटर नहीं मिला और अंतिम समय में उनकी हृदय गति रुकने से उनकी सांस टूट गई।

 

 

बनारस के भारतीय शास्त्री जगत के अमूल्य निधि पद्मभूषण राजन मिश्र का दिल्ली में हुआ निधन

शोक संवेदना

इन दिनों भारत में कोरोना के कहर से आफत में पड़ी जिंदगी को बचाने के लिए ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की मारामारी है।
वहीं दूसरी ओर देश के प्रधानमंत्री मोदी आफत में पड़ी जिंदगी को बचाने के लिए दिल्ली से उन प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से वर्चुअल मीटिंग करके विमर्श कर रहे थे, इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ प्रधानमंत्री की बातचीत किसी तरीके से चैनलों पर सीधे प्रसारित हो गई। जिसमें अरविंद केजरीवाल दिल्ली में ऑक्‍सीजन व वेंटिलेटर की कमी कमी पर प्रधानमंत्री जी से मदद की गुहार लगा रहे थे। भले ही बाद प्रोटोकॉल तोड़ने के लिए दिल्ली के सीएम को माफी मांगनी पड़ी ।
लेकिन सच्चाई है कि जिस कला और संस्कृति की नगरी काशी के सांसद स्वयं प्रधानमंत्री मोदी हैं उसी बनारस के रहने वाले भारतीय शास्त्री जगत के अमूल्य निधि पद्मभूषण राजन मिश्र को देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के कहर से स्थिति नाजुक होने पर वेंटिलेटर न मिलने से संगीत जगत के सितारे को खो दिया।

पं. राजन मिश्र गत 100 वर्षों में बनारस घराने के 10 कलाकारों का नाम लिया जाएगा : अमिताभ भट्टाचार्य

बनारस के प्रख्यात पत्रकार अमिताभ भट्टाचार्य की माने तो वेंटिलेटर की व्यवस्था और अभाव में भारतीय शास्त्रीय संगीत के सुर उपासक पं. राजन मिश्र का असामयिक निधन इस बात का प्रमाण है कि उन्हें कोरोना महामारी से जूझ रहे देश की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था के चलते बचाया नहीं जा सका।
कहा कि गत 100 वर्षों में अगर बनारस घराने के 10 कलाकारों का नाम लिया जाएगा, जिन्हें विश्व के दो तिहाई देश पहचानते और मानते थे, उन कलाकारों में पंडित राजन साजन मिश्र प्रमुख रहे। गत 50 वर्षों से अपने सुरीले और पारिश्रमिक गायन ने उन्हें सुरक्षा प्रदान की है। भारत के समस्त संगीत सम्मेलनों में गत तीन दशकों से उनकी पहचान मिश्र बंधुओं के रूप में रही है। हिंदी फिल्मों में उन्होंने शास्त्रीय संगीत के आधार पर कई गानों को गया, जिसमें सुरसंगम में गाया हुआ गाना धन्यवाद सेवा का अवसर पाया आज भी लोगों के मन मस्तिष्क पर छाया है। कुछ वर्ष पूर्व मिश्र बंधुओं ने भैरव से भैरवी तक रागों को विश्व भर में यात्रा कर गायन का इतिहास रच दिया।

भारतीय शास्त्री गायन परंपरा के बेजोड़ प्रतिनिधित्व करने वाले कलाकार थे : पद्मश्री डॉ. राजेश्वर आचार्य 

बनारस के प्रख्यात शास्त्री गायक डॉक्टर राजेश्वर आचार्य ने पं. राजन मिश्र के असामयिक निधन पर अपनी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि वे भारतीय शास्त्री गायक परंपरा के बेजोड़ प्रतिनिधित्व करने वाले कलाकार थे। सामान्य जन से लेकर संगीत के विशेषज्ञों तक उनकी गायकी का प्रभाव रहा है। भाव जगत में उनकी गायकी विशुद्ध शास्‍त्रीय रही है। काशी की संगीत परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने वाले कलाकार थे पंडित राजन मिश्र। इतने बड़े कलाकार होने के अहंकार रहित कलाकार होने के साथ ही बनारस के अनमोल रतन थे जिनसे वंचित हो गया है संगीत। पं. राजेश्‍वर आचार्य ने बताया कि मिश्र बंधुओं ने अपनी गायकी को विश्व पटल पर पहुंचाने के लिए विश्व विख्यात सारंगी वादक चाचा गोपाल मिश्र व हनुमान मिश्र से संगीत की बारीकियों की शिक्षा लिया, विशेष कर चाचा गोपाल ने ही उन्हें बनारस घराने का एक बड़ा कलाकार बनाने में काफी योगदान किया।

वेंटिलेटर का न मिलना देश के सरकार की व्यवस्था का प्रमाण है : प्रो. विश्वभरनाथ मिश्र 


पद्मभूषण राजन मिश्र को अंतिम समय में वेंटिलेटर का न मिलना देश के सरकार की व्यवस्था का प्रमाण है। ये बाते संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. प्रो. विश्वभरनाथ मिश्र कही। कहा कि राजन मिश्र के असामयिक निधन से मैं निशब्द हूं, उनके जाने से भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत को और बनारस घराने को विश्व स्तर प्रसिद्धी दिलाने वाले कलाकार थे। जैसे पं. शारदा सहाय ने बनारस घराने के तबले को विश्व पटल तक पहुंचाया उसी प्रकार पंडित राजन मिश्र बनारस घराने के बड़े रामदास की परंपरा को आगे बढ़ाया। संकट मोचन संगीत समारोह से उनका अटूट नाता रहा है। सबसे पहले उन्‍हें हमारे बाबा अमरनाथ मिश्र ने पहली बार 1979 उनके गायन का प्रोग्राम संकट मोचन में रखा उस वक्त वे राग ललित गा रहे थे, उसी दौरान प्रख्यात सितार वादक पं. रविशंकर ने उनका प्रोग्राम सुना और 1980 में बुक किया। इसके बाद काशी की संगीत कला को विश्व पटल पर छा गयी। कहा कि पिछले दिनों राजन-साजन मिश्र संकट मोचन मंदिर में दर्शन करने आए थे और फोन पर कहा कि मंदिर में सब कुछ बदल गया है, 15-20 दिन में हम आएंगे और मुलाकात होगी लेकिन वे लौट कर नहीं आये ।

 पं. राजन मिश्र मेरे बड़े भाई और हमारी परछाई थे : डॉ. दीपक मधोक 

सनबीम समूह के निदेशक डॉ. दीपक मधोक ने कहा कि पं. राजन मिश्र मेरे बड़े भाई थे और हमारी परछाई थे। प्रेम और मानवता के साथ ही सहृदयता के प्रतीक थे। पिछले कई दशकों से मैं और राजन-साजन घर आना था। अभी 3 दिन पहले उनके बीमार होने पर बात हुई साजन भाई ने बताया कि पहले से वह अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं और उन्होंने राजन भाई से हमें फोन पर बात कराया था। लेकिन अब वे हमारे बीच नहीं रहें। मिश्र बंधुओं का सनबीम शिक्षण समूह से व्यक्तिगत लगाव था और वे हमारे बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में भी हैं। हमारे यहां के विद्यार्थियों से भी उनका आत्मीय लगाव था पिछले दिनों उनका जन्मदिन हमारे परिवार के साथ ही मनाया गया ।


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