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कोरोना की तीसरी लहर कितनी खतरनाक : डॉ. मिनहाज़ हुसैन



 27/May/21

मीडिया के माध्यम से आम जन मानस तक ये बात पहुंच गई है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक होगी ज्यादातर बच्चे ही तीसरी लहर में संक्रमित होंगे।

डॉ. मिनहाज हुसैन से इस बारे में सीधी बात की क्लाउन टाइम्स की रिपोर्टर प्रतिमा पाण्डेय एवं दिनेश मिश्र ने।

डॉक्टर मिनहाज हुसैन ने बताया कि एक अनुमान लगाया जा रहा है कि जिस तरीके से कोरोना की पहली लहर में बुजुर्ग ज्यादा संक्रमित हुए,दूसरी लहर में नौजवानों के संक्रमण की संख्या अधिकतम रही,उसी तरीके से तीसरी लहर में ज्यादा से ज्यादा बच्चे अत्यधिक संक्रमित होंगे। यह केवल एक अनुमान मात्र है इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता कि कोरोना की तीसरी में बच्चे ही ज्यादा संक्रमित होंगे। डॉ मिनहाज़ के अनुसार कोरोना की पहली लहर इतनी घातक नहीं थी उसमें बुजुर्गों नौजवानों के साथ-साथ बच्चे भी संक्रमित हुए थे लेकिन उनकी संख्या बहुत कम थी। दूसरी लहर में भी जितने जवान संक्रमित हुए उतने ही बच्चे भी संक्रमित हुए। हां फर्क ये था कि बच्चों के संक्रमण की स्थिति उतनी सीवियर या खतरनाक नहीं थी कि उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़े या आईसीयू में एडमिट करना पड़े। ओपीडी लेवल पर ट्रीटमेंट करने से और नॉर्मल दवाएं देने से ही बच्चे स्वस्थ हो गये। डॉ मिनहाज हुसैन के अनुसार बच्चों में एस इनहिबिटर रिसेप्टर जिस पर कोरोनावायरस जाकर अटैच होता है,बहुत ही कम होता है, इसलिए बच्चों का संक्रमण बहुत सीवियर नहीं हो रहा है,केवल ओपीडी लेवल पर नॉर्मल दवाएं देने से वे ठीक हो जा रहे हैं उन्हें आईसीयू, एनआईसीयू या वेंटीलेटर में एडमिट नहीं करना पड़ रहा है। तीसरी लहर जब भी आयेगी तो केवल बच्चे ही नहीं बल्कि सभी आयु वर्ग के लोगों के संक्रमित होने की संभावना है।

अभी से ध्यान देने की बात यह है कि खांसी जुखाम बुखार के बच्चों को समय रहते ही डॉक्टर को दिखा कर के दवाई शुरू कर देनी चाहिए।

डॉ. मिनहाज हुसैन ने आगे बताया के उनके हॉस्पिटल में एनआईसीयू, पीआईसीयू इमरजेंसी मैनेजमेंट,वेंटीलेटर वैक्सीनेशन,ब्रेस्टफीडिंग काउंसलिंग, पीडियाट्रिक हेमैंटोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी से संबंधित बीमारियों का इलाज कुशलतापूर्वक किया जाता है।

मिनहाज चाइल्ड केयर नर्सिंग होम में आए हुए बच्चों को एक दूसरे से बीमारी ना फैले इसके लिए भी व्यापक प्रबंध किए गए हैं जैसे ओपीडी चेयर पर डिस्टेंस पर बैठने के मार्क लगे हुए हैं।मरीजों की संख्या अधिक होने की स्थिति में सामने पार्क में मरीजों और अभिभावकों को बैठा दिया जाता है, नंबर आने पर वे आते हैं ओपीडी में दिखाते हैं फिर जाकर पार्क में बैठ जाते हैं, मरीज का साथी दवाएं लेता है और वह अपने घर को चले जाते हैं। हॉस्पिटल के स्टाफ हमेशा मास्क लगाए रहते हैं, सैनिटाइजर का प्रयोग करते हैं, प्रत्येक मरीज और उसके साथी को भी सैनिटाइज किया जाता है बिना मास्क के किसी को भी हॉस्पिटल में प्रवेश नहीं दिया जाता है बच्चों के एग्जामिनेशन की जगह पर और डॉक्टर के चेंबर में भी पूरा सैनिटाइजेशन का प्रबंध रहता है। डॉक्टर के आला,मोबाइल और पेन को भी बराबर सैनिटाइज किया जाता है ओपीडी खत्म होने के बाद पूरे एरिया को सैनिटाइज किया जाता है जिससे कि अगर कोई वायरस कहीं पे हो तो किल हो जाए। के महत्वपूर्ण बात ये है कि कोरोनावायरस से मरीज के अभिभावक ना डरें ना बच्चों को डरायें। क्योंकि डर एक ऐसा फैक्टर है जिसकी वजह से इम्यून सिस्टम और कमजोर हो जाता है ।बच्चों को सेफ्टी की आदत डालें जैसे वह मास्क लगा कर रहे,बाहर से आने पर सैनिटाइजर का प्रयोग करे,डिस्टेंस बना कर रहे। घर के बुजुर्गों को चाहिए कि यदि उन्हें सर्दी खांसी या बुखार है तो बच्चों से दूरी बना कर रहें एवं मास्क लगाएं।

 


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