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डॉ.दिव्‍यांक पाठक ने बताया बच्चों और माँ को कोरोना से कैसे बचाएं



 31/May/21

कोरोना की दूसरी लहर के चलते प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में स्थिति काफी भयावह है कोरोना से सीधी जंग के लिए जहाँ एक ओर हॉस्पिटलों में जीवन रक्षक इंजेक्शन और ऑक्सीजन की कालाबाजारी जोरो पर है वही दूसरी ओर मौत का तांडव भी जारी है जिसके चलते काशी में लाशों के अंतिम संस्कार के लिए नए श्मशान भी बन चुके हैं कोरोना की पहली लहर ने थोड़े बुजुर्ग लोगो को प्रभावित किया वही कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना ने अपना रूप बदलकर यंग जनरेसन के लोगो को अपनी चपेट में लेना शुरू किया इसी के साथ बच्चे भी इससे प्रभावित हो रहे हैं बच्चों में छीक ,खाँसी,बुखार ये सब तो आम लक्षण हैं पर सिर्फ डायेरिया जैसे ही कोरोना के लक्षण हैं बड़े बच्चों की अपेक्षा छोटे बच्चे कोरोना संक्रमण और सिवियारटी से सेफ रहते हैं क्योंकि जो ए सिनेविटर रिसेप्टर होते है कोरोना को पकड़ के रखते हैं वो रिसेप्टर छोटे बच्चों में नही बने होते हैं लेकिन किसी भी कारण से अगर वायरस लोड बहुत ज्यादा हुआ और छोटे बच्चों में बहुत ज्यादा वायरस गया तो छोटे बच्चों की इमिनियुटी कम होने से वो सीरियस जल्दी होते हैं जिन बच्चों की उम्र 1 साल या उससे नीचे की है उनको सुरक्षित रखना चाहिए। अब तो कोरोना का कहर बच्चों को भी अपने जद में ले रहा है आइए हम बात करते है वात्सल्य हॉस्पिटल वाराणसी के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. दिव्यक पाठक से बच्चों में कोरोना का संक्रमण इसलिए हो रहा है क्योंकि कोरोना की ये जो दूसरी लहर है उसमें बहुत कुछ अलग है जिससे बच्चे भी प्रभावित हो रहे है चूँकि नवजात शिशुओं में इमिनियुटी पावर नही होती इसलिए उनको इस संक्रमण से बचाना बहुत जरूरी है। यदि फिर भी नवजात शिशुओं को कोरोना हो जाए तो भी उनको उनकी माँ से अलग नही रखना चाहिए बस जरूरत है थोड़ी सी सावधानी की बच्चे को छूने से पहले माँ अपने हाथों को अच्छे से साफ करके सेनेटाइज करे,ग्लब्स पहने,मास्क लगाए तब बच्चे को छुए कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद कई चिकित्सक संक्रमित हुए और कईयों को अपनी जान भी गवानी पड़ी पर इससे हम डॉक्टर्स अपने कर्तव्य से पीछे नही हट सकते हैं सावधानी के साथ हम अपने मरीज को देख सकते है क्योंकि आज सबसे ज्यादा जरूरत डॉक्टर्स की है और ऐसे समय मे यदि हम पीछे हट गए तो मरीजो को कौन देखेगा। अगर हम बात करे इम्‍यूनिटी सिस्टम की तो वो एक दिन में नही बढ़ सकती हैं उसके लिए हमे सन्तुलित भोजन,व्यायाम की जरूरत है।

वात्सल्य हॉस्पिटल वाराणसी के डॉ.दिव्यांक पाठक का कहना है कि अभी तो कोरोना की सेकेंड वेव चल रही हैं पर 3rd वेव बड़ो से ज़्यादा बच्चों के लिए खरनाक है क्योंकि अभी तक बच्चों के लिए किसी भी प्रकार की कोई वैक्सीन नही आई हैं और न ही जल्द आने की उम्मीद है। लास्ट ईयर से जिस तरह से कोरोना अपना रूप बदल रहा है उससे बच्चों के प्रभावित होने के चांस ज्यादा बढ़ रहे हैं इसलिए ये 3rd वेब आने के कांसेप्ट आया है।

नवजात शिशुओं को मास्क नही लगाया जा सकता और न ही उन्हें सेनेटाइज किया जा सकता है। कोरोना की 3rd वेव से बच्चों को बचाने के लिए हमे नियमित रूप से प्रिकॉशन लेने होंगे जैसे बच्चों के पास जाने पर मास्क लगा होना चाहिए, बच्चों को छूने से पहले हाथो को अच्छी तरह साबुन से धो कर सेनेटाइज करके ही छूना चाहिए l

 


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