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अधिवक्‍ताओं के बिना भी क्रेता-विक्रेता स्‍वंय करा सकते है रजिस्‍ट्री : मंत्री रविन्‍द्र जायसवाल



 02/Jun/21

विगत कुछ दिनों से रजिस्‍ट्री प्रकिया के संदर्भ में अधिवक्‍ताओं में भ्रम की स्थित बनी हुई है। इस संदर्भ में विदित है कि रजिस्‍ट्रेशन एक्‍ट 1908 की धारा 32 के तहत रजिस्‍ट्री हेतु लेखपत्रों के प्रस्‍तुतिकरण की व्‍यवस्या है। इस व्‍यवस्‍था में अधिवक्‍ताओं के आवश्‍यक रूप से सम्मिलित होने की कोई बाध्‍यता ना पहले थी न आज है। क्रेता-विक्रेता अगर चाहे तो अपना लेखपत्र रजिस्‍ट्री कार्यालय में स्‍वंय प्रस्‍तुत कर लेखपत्रों की रजिस्‍ट्री करा सकते है। रजिस्‍ट्री प्रक्रिया में अधिवक्‍ताओं को सम्मिलित करना या ना करना पूर्णतया क्रेता-विक्रेता के विवेक पर निर्भर करता है।

2017 में रजिस्‍ट्रेशन प्रक्रिया को संपादित करने हेतु विभागीय वेबसाइट पर लेखपत्रों के स्‍वसृजित प्रणाली की व्‍यवस्‍था जनसामान्‍य के लिए उपलब्‍ध करायी गयी है। इसके माध्‍यम से क्रेता-विक्रेता रजिस्‍ट्री हेतु लेखपत्र स्‍वयं तैयार कर सकते है। ऑनलाइन व्‍यवस्‍था के अंतर्गत पक्षकार सकिंल रेट का पता लगास सकते है एवं स्‍टाम्‍प एवं निबंधन शुल्‍क का ऑनलाइन भुगतान विभिन्‍न माध्‍यमों से भी कर सकते है। जनसामान्‍य में प्रचार प्रसार हेतु 2018 में भी विभाग द्वारा पत्र जारी किया गया था। इस सम्‍बन्‍ध में अभी कोई नया शासनादेश जारी नहीं किया गया है।

वर्तमान के इन प्रसंगों को देखते हुए ये लगता है कि यह भ्रम विरोधियों द्वारा अधिवक्‍ताओं को बरगलाने और अस्थिरता पैदा करने हेतु फैलाया जा रहा है। यह सरकार के विकास कार्यों और कोविड 19 महामारी को रोकने में सरकार के सार्थक प्रयासों में अड्चन डालने हेतु विरोधियों का असफल प्रयास मात्र है।

अधिवक्‍तागण वर्तमान में अपने मुख्‍य कार्यों से विमुख हो कर धरना प्रदर्शन में संलिप्‍त है। रजिस्‍ट्री प्रक्रिया को पूर्ण कराने में अधिवक्‍ताओं का सहयोग पूर्व में भी मिलता आया है और मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्‍वास है कि आगे भी मिलता रहेगा। अत: भ्रष्‍टाचार मुक्‍त वातावरण हेतु संकल्पित वर्तमान सरकार की मंशा में अनुरूप विभाग द्वारा किये जा रहे राजस्‍व वृद्धि के प्रयासों में अधिवक्‍ताओं से सकारात्‍मक सहयोग की अपेक्षा है।


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