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शुरुआती लक्षणों पर ध्यान दिया जाये तो ब्लैक फंगस से बचाव संभव : डॉ प्रियंका जैन



 04/Jun/21

कोविड के बाद अब ब्लैक फंगस की बीमारी कहर बनकर जनमानस को प्रभावित कर रही है अकेले आईएमएस,बीएचयू में ब्लैक फंगस के 125 से ज्यादा मरीज़ भर्ती हुए हैं। इस बीमारी की भयावहता के कारण लोगों को अपनी आंखें तक गंवानी पड़ गई हैं। ब्लैक फंगस की बीमारी के बारे में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ प्रियंका जैन से क्लाउन टाइम्स के रिपोर्टर दिनेश मिश्र ने की अनौपचारिक बातचीत।

डॉ प्रियंका जैन ने बताया कि ब्लैक फंगस जिसे मेडिकल भाषा में म्यूकरमाइकोसिस कहते हैं, ये एक फंगस से होने वाली बीमारी है। हमारे आसपास के वातावरण में बैक्टीरिया,वायरस और फंगस विद्यमान रहते हैं।जब किसी व्यक्ति की इम्यूनिटी (रोग से लड़ने की क्षमता) कम हो जाती है तो ये फंगस मानव शरीर पर आक्रमण करता है। हाल ही में कोविड की बीमारी से ठीक हुए लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी होने की वजह से ब्लैक फंगस की बीमारी लोगों को अपना शिकार बना रही है। इसके अलावा जो डायबीटिक पेशेंट हैं,जिनका शुगर कंट्रोल नहीं रहता या ऐसे मरीज जो करोना की वजह से काफी समय तक हॉस्पिटल में एडमिट रहे,जिनको ऑक्सीजन दिया गया, ऐसे भी पेशेंट ब्लैकफंगस के शिकार हो रहे हैं।

डॉ प्रियंका जैन के अनुसार कुछ लक्षणों पर ध्यान दें, जैसे नाक बंद हो जाना,नाक से काला या खूनी स्राव होना,आंख में सूजन, आंखों के आसपास काले धब्बे नजर आयें तो शुरुआती लक्षणों के आधार पर कुशल नेत्र चिकित्सक से अपना चेकअप करवाना चाहिए। समय से इस रोग की पहचान हो जाये तो इस रोग का इलाज संभव है। उन्होंने बताया कि ब्लैकफंगस बीमारी की शुरुआत नाक से होती है, नाक से होते हुए यह गले, साइनस, फिर आंखों और दिमाग तक पहुंच जाती है।

आंखों में इंफेक्शन की वजह से ब्लड की सप्लाई रुक जाती है, पेशेंट को दिखाई देना बंद हो जाता है, आंख काली नजर आती है और नैक्रोसिस बन जाता है। जब पेशेंट देर से डॉक्टर के संपर्क में आता है उस समय तक फंगल इंफेक्शन आंख के पीछे तक पहुंच जाता है, इसकी वजह से आंख बाहर आ जाती है। इस स्थिति में इंफेक्शन दिमाग तक ना पहुंचे और मरीज की जान को खतरा ना हो इसके लिए मरीज की आंखों को निकालना पड़ता है।

डॉ प्रियंका जैन ने आगे बताया यदि लंबे समय तक हॉस्पिटल में भर्ती रहे,उसे ऑक्सीजन लगाया गया हो या जिन्होंने कोविड-19 के इलाज़ के दौरान लंबे समय तक स्टेरॉयड का सेवन किया हो या पेशेंट डायबीटिक हो उसका शुगर कंट्रोल ना हो, ऐसे मरीजों को ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा होता है।

ध्यान रखना चाहिए कि आंखों के आसपास सूजन है,काले धब्बे हैं, गले के आसपास काले धब्बे हैं,सूजन है एवं आंखों से धुंधला दिख रहा है,चमड़ी का रंग काला हो गया है,नाक से डिस्चार्ज हो रहा है तो तुरन्त डॉक्टर की सलाह लें। समय रहते इसका इलाज हो जाये तो इस खतरनाक और जानलेवा रोग से बचा जा सकता है। इसके अलावा जो लोग कपड़े का मास्क यूज़ कर रहे हैं उनको अपना मास्क रोज़ वाश करना चाहिए, साथ में अपनी व्यक्तिगत साफ सफाई की देखभाल करनी चाहिए तभी इस रोग से बचा जा सकता है।


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