जन्म से 2 वर्ष तक की आयु में कुपोषण का खतरा : डॉ मिनहाज़ हुसैन
स्वस्थ बच्चा एक स्वस्थ समाज की नींव होता है। बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आईएमएस, बीएचयू के पूर्व वरिष्ठ नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ मिनहाज हुसैन से अनौपचारिक बातचीत की क्लाउन टाइम्स के रिपोर्टर दिनेश मिश्र ने।
डॉ मिनहाज़ हुसैन ने बताया कि बच्चे भविष्य की आशा की किरण होते हैं,इसलिए उनके शारीरिक एवं मानसिक विकास पर विशेष ध्यान रखना चाहिये। यदि बच्चे बार बार बीमार पड़ते हैं,जल्दी थक जाते हैं एवं चीजों को जल्दी नहीं समझ पाते तो एक माता पिता को शक करना चाहिए कि कहीं उनका बच्चा कुपोषण से ग्रस्त तो नहीं है। बच्चों के जन्म से लेकर 2 वर्ष तक की आयु के दौरान उनके कुपोषण से ग्रस्त होने की संभावना अधिक होती है,और यही समय बच्चों के दीर्घकालीन विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है। जिन बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास अच्छा होता है उनकी इम्युनिटी (रोगों से लड़ने की क्षमता) अच्छी होती हैं और वयस्क होने पर उनका IQ लेवल भी अच्छा होता है। एक जिम्मेदार माता पिता को चाहिये कि अपने बच्चे पर हमेशा नजर बनाए रखें ।यदि बच्चा शारीरिक एवं मानसिक रूप से पीछे हैं,उसका वजन एवं लंबाई कम है तो तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह लेना चाहिए। बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक रूप से पीछे होना आजकल एक बहुत बड़ी समस्या है,और अक्सर इसका इलाज संभव नहीं हो पाता। इन अपरिवर्तनीय लक्षणों से बच्चों के स्वास्थ्य एवं जीवन की गुणवत्ता पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है।
जैसे एक पौधे को उसके उचित विकास के लिए देखभाल,मिट्टी, पानी,ताजी हवा एवं धूप की आवश्यकता होती हैं,ठीक उसी प्रकार एक बच्चा उचित देखभाल एवं पोषण के बिना एक स्वस्थ वयस्क के रूप में विकसित नहीं हो सकता।इसको इस प्रकार भी समझा जा सकता है जैसे एक बार बन जाने के बाद मिट्टी के घड़े को दोबारा ठीक नहीं किया जा सकता,उसी प्रकार जो बच्चे शुरुआती अवस्था में कुपोषण का शिकार हो जाते हैं,उन्हें पूरी तरीके से स्वस्थ नहीं किया जा सकता है। कुछ कमियां उनके अंदर जीवन पर्यंत बनी रहती हैं। इसीलिए बच्चों के ऊपर शुरू से ही पर्याप्त ध्यान देना जरूरी है। अक्सर बच्चों के अंदर विटामिन डी एवं आयरन की कमी हो जाती है ल,जिस वजह से उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास प्रभावित होता है।बच्चों के रेगुलर ग्रोथ एवं डेवलपमेंट के लिए उनका रेगुलर चेकअप कराना चाहिए ताकि समय रहते इस गंभीर समस्याओं का समाधान किया जा सके।