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काशी की प्राचीन धार्मिक, सॉंस्‍कृति परम्‍पराओं से हो रहा खिलवाड़ : अजय राय



 26/Jun/21

वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक अजय राय शनिवार को वह चेतगंज स्थित कैम्प कार्यालय पर पत्रकारों से गंगा के वर्तमान स्वरूप पर मुखातिब हुए। उन्होंने कहा कि काशी में चल रही वर्तमान गंगा परियोजना प्राकृतिक रिश्तों के लिए विनाशकारी और गंगा के पूर्वी छोर पर बन रही नहर को अभी स्‍थगित कर उस पर खुली विशेषज्ञ बहस के बाद उचित निर्णय लिया जायेगा।

उन्‍होंने कहा कि हमने उपर्युक्‍त निर्णय काशी गंगा और निदयों के सरोकारों से जुड़े अनुभवी विशेषज्ञों के परामर्श तथा जनसभावनाओं के आधार पर लिया है। तकनीकी विशेषज्ञों की स्‍पष्‍ट राय है कि परियोजनाओं पर फैसले वैज्ञानिक आधार पर सुविचारित फैसले नहीं है। केवल राजनीतिक इच्‍छा नहीं, उसके साथ खुली विशेषज्ञ बहल के बाद ही यह फैसला होना चाहिए था, क्‍योंकि गंगा के साथ काशी का रिश्‍ता संवेदनशील रिश्‍ता है। काशी कभी गंगा से अपने नैसर्गिक रिश्‍ते के साथ छेड़ छाड़ सहन नहीं करेंगी। यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो कांग्रेस जनांदोलन का रास्ता अपनाएगी। यह कहना है पूर्व विधायक अजय राय का। ललिता घाट के सामने गंगा में बनाया गया चबूतरा ध्वस्त किया जाए। वहीं पूर्वी छोर पर बन रही नहर को स्थगित करके उस पर खुली बहस हो। इस पर उचित निर्णय होना चाहिए। तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि परियोजनाओं से सम्बंधित फैसले वैज्ञानिक आधार पर सुविचारित नहीं हैं। गंगा के साथ काशी का रिश्ता संवेदनशील रिश्ता है। काशी कभी गंगा से अपने नैसर्गिक रिश्ते के साथ छेड़छाड़ सहन नहीं करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि गंगाजल के रंग में आया बदलाव और ललिता घाट के सामने उभारा गया अप्राकृतिक चबूतरा इसकी गवाही देते हैं कि गंगा के जल प्रवाह में अवरोध डाला गया है। काशीवासियों को भरमाया जा रहा है कि मिर्जापुर एसटीपी के कारण यह हुआ है।

मल-जल साफ करने वाला संयन्त्र भला काई उत्पादक कैसे हो जाएगा और वह काई केवल बनारस में ही छाएगी। इसका उपचार केमिकल ट्रीटमेंट नहीं, चबूतरे से बने जल ठहराव का खात्मा है। काशी को कृत्रिम सौन्दर्य देने के नाम पर उसके प्राकृतिक सौन्दर्य का नाश न किया जाए। यदि ऐसा न हुआ तो काशी के घाटों के सामने भविष्य में बालू के ढेर ही नजर आएंगे। फिर काशी में गंगा का स्वरूप प्रयाग और कानपुर जैसा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि गंगा पर चर्चा में जलपुरुष राजेंद्र सिंह, संकटमोचन मंदिर के महंत विश्वम्भरनाथ मिश्र को भी शामिल करें।

 


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