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खून तस्‍करी मामले में औषधि विभाग की कार्रवाई के विरोध में आईएमए ब्लड बैंक बंद



 30/Jul/21

खून तस्‍करी मामले में औषधि विभाग की कार्रवाई के विरोध में आईएमए पदाधिकारियों ने ब्‍लड बैंक को अलगे आदेश तक के लिए बंद कर दिया है। खून तस्‍करी की घटना को लेकर आईएमए वाराणसी शाखा की अध्‍यक्ष डॉ.मनीषा सिंह सचिव डॉ.राजेश्‍वर नारायण सिंह सहित सभी पदाधिकारियों की बैठक लगातार हो रही है।

जहां एक ओर वर्तमान पदाधिकारियों का विरोधी गुट खून तस्‍करी मामले को तूल देनें में जुटा है वहीं दूसरी ओर वर्तमान पदाधिकारियों और उनके समर्थकों के द्वारा औषधि विभाग की कार्रवाई को एकपक्षीय करार दिया जा रहा है।

आईएमए अधिकारियों का कहना है कि आरोपित कर्मचारी को शक के आधार पर 16 जुलाई को ही बर्खास्त किया जा चुका है। बावजूद इसके आईएमए पर बिना कागजातों के ब्लड बेचे जाने का आरोप लगाना गलत है।

बताते चलें कि 16 जुलाई को चंदौली के बबुरी मोड़ के पास खून की तस्करी करने वाले एक व्यक्ति के पकड़े जाने और तस्करी में आईएमए वाराणसी में कार्यरत कर्मचारी का नाम सामने आने के बाद मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इसी कड़ी में जहां औषधि विभाग की टीम ने आईएमए (वाराणसी शाखा) में छापेमारी कर यहां से बिना कागजातों के ब्लड बेचे जाने की रिपोर्ट दी थी, वहीं औषधि विभाग की इस कार्यवाही को एक तरफा बताते हुए आईएमए पदाधिकारियों ने अगले आदेश तक ब्लड बैंक को बंद कर दिया है। इसके पश्‍चात आईएमए में ब्लड लेने आये मरीजों के परिजनों को निराश लौटना पड़ रहा है ।

आईएमए पर बिना कागजातों के ब्लड बेचे जाने का आरोप गलत है : अध्‍यक्ष डॉ. मनीषा सिंह व सचिव डॉ. आरएन सिंह

आईएमए अध्यक्ष डॉक्टर मनीषा सिंह व सचिव डॉक्टर आरएन सिंह की माने तो आनंद नाम के जिस कर्मचारी का नाम खून तस्‍करी मामले में आ रहा है,  उसे पहले ही 16 जुलाई को शक के आधार पर बर्खास्त किया जा चुका है। कहा कि बृहस्पतिवार को जांच करने आई टीम को मौके पर पूरा रिकॉर्ड भी दिखाया गया। इसके बाद भी आईएमए पर बिना कागजातों के ब्लड बेचे जाने का आरोप लगाना सरासर गलत है। इस बारे में औषधि विभाग के उच्च अधिकारियों को भी जानकारी दी जा चुकी है। आईएमए की ओर से जांच में भी पूरा सहयोग किया जा रहा है। फिलहाल अगले आदेश तक ब्लड बैंक से मरीजों को ब्लड देना बंद किया गया है। जब तक औषधि विभाग की ओर से कार्यवाही पूरी नहीं की जाती है तब तक मरीजों को ब्लड नहीं दिया जाएगा। इधर, वाराणसी के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन ब्लड बैंक के बाहर बैठे रहे कि उन्हें किसी तरह ब्लड मिल सके।

कर्मचारी पहले निकाला गया तो कैसे हो रही थी खून की तस्‍करी : सौरभ दुबे, औषधि निरीक्षक

इस मामले में औषधि निरीक्षक सौरभ दुबे का कहना कि आईएमए में जांच के मामले में नियमानुसार रिपोर्ट की गई है। अगर आईएमए पहले ही सम्बंधित कर्मचारी को निकाल दिया था तो फिर ब्लड बैंक से कैसे ब्लड का बैग निकला। फिलहाल आईएमए को पूरे मामले में जांच कर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, हमने जो किया वो सही किया।


 

 

चंदौली में खून के सौदागर से 3 पैकेट खून बरामद

सदर कोतवाली पुलिस ने पिछले दिनों मुख्यालय स्थित बबुरी मोड़ के समीप ब्लड तस्कर को 3 पैकेट ब्लड के साथ पकड़ा गया । बाइक सवार दूसरा व्यक्ति रात में अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गया। खून तस्करों ने पूछताछ में बताया कि वे वाराणसी के लहुराबीर स्थित आईएमए ब्लड बैंक से खून खरीदे थे। इसे बिहार के मोहनियां व गाजीपुर के दिलदारनगर स्थित नर्सिंग होम में बेचना था। खून तस्‍करी में आईएमए वाराणसी शाखा का नाम आते ही हड़कम्‍प मच गया।

अपराधियों व वांछितों की गिरफ्तारी के लिए चंदौली जिले के कोतवाली पुलिस मंगलवार की देर रात बबुरी मोड़ के पास चेकिंग कर रही थी। अचानक पुलिस को देखकर भागने का प्रयास किया, हालांकि पुलिसकर्मियों ने घेरकर बाइक चला रहे युवक को धर दबोचा । गिरफ्तार आरोपित की पहचान हथियानी गांव निवासी पंकज तिवारी के रूप में हुई। तलाशी लेने पर उसके पास के 3 पैकेट में 600 ग्राम ब्लड मिला। पुलिस उसे पकड़कर थाने ले आई और कड़ाई से पूछताछ करने पर उसने बताया कि वाराणसी के लहुराबीर स्थित आईएमए के ब्लड बैंक में काम करने वाले आनंद सिंह से दो-दो हजार रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से खून खरीदा था।

बिहार के मोहनियां स्थित लक्ष्मी नर्सिंग होम और गाजीपुर के दिलदारनगर में निजी अस्पताल में चार-चार हजार रुपये में बेचने के लिए सौदा किया था। बताया कि अस्पताल वाले मरीजों को एक यूनिट ब्लड चढ़ाने के लिए 10-10 हजार रुपये वसूलते हैं। कोतवाल अशोक मिश्रा ने बताया कि फरार आरोपित की पहचान हथियानी निवासी भोला के रूप में हुई है। मामले की छानबीन के साथ ही दूसरे आरोपित की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। जिले के निजी नर्सिंग होम से भी तस्करों के कनेक्शन के बारे में पता लगाया जा रहा है। पुलिस टीम में मनोज पांडेय, कांस्टेबल राहुल यादव, अनिल यादव शामिल रहे।

कुल मिलाकर अब देखना है आईएमए बनारस शाखा के जिम्‍मेदार पदाधिकारियों के द्वारा खून तस्‍करी मामले में मानवता को तार-तार करने वाले कर्मचारी आनंद सिंह को बर्खास्‍त करने के अलावा और किन लोगों को जांच पड़ताल दोषी मान कर उन्‍हें दंडित किया जाता है।  


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