लगभग डेढ़ दशक पहले सनबीम शिक्षण समूह के चेयरमैन और समाजसेवी दीपक मधोक शहर के प्रतिष्ठित दी बनारस क्लब के कर्ताधर्ता हुआ करते थे। मानद सचिव के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान क्लब न सिर्फ नई उंचाइयों पर पहुंचा बल्कि इसका सदस्य होने के लिए लोगों में होड़ लगी रहती थी। अपने पैनल की हार के बाद उन्होंने क्लब से मुंह मोड लिया। लंबे समय तक वह यहां होने वाली गतिविधियों से दूर रहे लेकिन कुछ सालों से चल रही ‘क्रियाकलापों’ के चलते इस बार उन्होंने एक बार फिर से ताल ठोंकी है। क्लब के चुनाव में उन्होंने पर्चा भर कर सभी को चकित कर दिया है। मधोक ने अपना पैनल भले नहीं घोषित किया है लेकिन इसमें शमिल होने के लिए जिस तरह से होड़ मची है उससे विरोधियों के होश फाख्ता हो गये हैं। खुद को क्लब का ‘मठाधीश’ जताने वाले इससे बेहाल हैं। क्लब की पुरानी प्रतिष्ठा वापस लाने के नारे के संग मैदान में उतरे मधोक को मैनेज करने का पूरा प्रयास किया जा रहा लेकिन अब तक इसमें सफलता नहीं मिल सकी है।
अंतिम दिन स्पष्ट होगी तस्वीर
क्लब के सालाना चुनाव में नामांकन दाखिल करने के पहले दिन ही दीपक मधोक ने पर्चा दाखिल कर अपने इरादे स्पष्ट कर दिये थे। उनके अलावा गौरव दास और नवीन कपूर ने भी पर्चा दाखिल कर दिया है। इसके संग राकेश वशिष्ठ, अजय केजरीवाल, अतुल सेठ, नीरज अग्रवाल और अनिल अग्रवाल ने नामांकन पत्र लिया तो है लेकिन दाखिल नहीं किया है। माना जा रहा है कि गुरुवार को नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन पूरी तस्वीर स्पष्ट हो सकेगी। फिलहाल कुछ सालों से अहम पदों पर रहे लोगों का न तो पर्चा दाखिल हुआ है न ही पैनल बन सका है।
गतिविधियों से अधिक विवादों के चलते चर्चा में
बनारस क्लब में होने वाले आयोजन यहां के सदस्यों ही नहीं बल्कि दूसरे के लिए कौतुहल का विषय रहते थे। नये साल पर आकर्षक कार्यक्रमों के बल पर पंचतारा होटलों को क्लब मात देता था। बावजूद इसके कुछ सालों से क्लब अपनी गतिविधियों से अधिक विवादों को लेकर चर्चा में रहा है। एक तरफ वकीलों ने जमीन को लेकर पूर्व मंत्री और सपा नेता शतरूद्र प्रकाश के नेतृत्व में मोर्चा खोल रखा है तो दूसरी तरफ कुछ लोगों के ‘दखल’ से आम सदस्य नाराज हैं।