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ओम प्रकाश राजभर ने विश्वकर्मा सम्मेलन के बहाने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को दी खुली चुनौती



 06/Sep/21

उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव का शंखनाद बज गया है। सभी राजनैतिक दलों ने नेता प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को ही रणक्षेत्र मानकर सूबे की भाजपा सरकार को घेरने के लिए जातीय समीकरण को साधने में जुटे हैं। अभी हाल ही में सपा- बसपा ने प्रबुद्ध जनों के साथ सम्मेलन कर ब्राह्मण मतदाताओं को अपने पक्ष में रिझाने के लिए पासा फेंककर चुनावी विसात बिछा दी है, जिसकी काट के लिए सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया है और अलग-अलग जिलों में बुद्धिजीवी सम्मेलन के बहाने भाजपा अपने सबसे मजबूत वोट बैंक ब्राह्मणों को साधने में जुट गई है।

इन सबसे अलग सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर अलग-अलग खेमों में बटी छोटी जातियों को जोड़कर बड़ा गठबंधन बनाने में जुटे हैं ताकि 2022 में एक बार फिर से उन्हें सत्ता-सुख का लाभ मिल सके। क्योंकि पिछली बार उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन कर मंत्री पद हासिल किया लेकिन एक वर्ष में अपने ही गठबंधन की भाजपा सरकार के खिलाफ बयानबाजी करके सूबे की योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया जिससे दूध के मक्खी की तरह सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसी बीच उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के यहाँ चाय की चुस्की भी लगाई पर शायद बात बनी नहीं क्योंकि उन्हें पता है कि उत्तर प्रदेश में फिलहाल भाजपा को सीधी टक्कर देने की ताकत किसी विरोधी दल में नहीं है, भले ही कितने भी दलों का गठबंधन बना लिया जाए।
खैर सुभासपा नेता ओम प्रकाश राजभर को कमतर आंकना किसी राजनैतिक दल के लिए आसान नहीं है। तभी तो उन्होंने 5 सितम्बर शिक्षक दिवस के दिन जब सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बनारस में प्रबुद्ध जनों के साथ विमर्श कर रहे थे उसी दिन ओम प्रकाश जी विश्वकर्मा समाज के लोगों के साथ सम्मेलन कर उन्हें जातीय समीकरण में बांधने की कवायद में जुटे थे। इसी कड़ी में वाराणसी के मढ़वा सोयपुर में विश्वकर्मा जागरूकता संगोष्टी का आयोजन किया गया। जिसकी कमान सुभासपा के प्रदेश महासचिव चंदन विश्वकर्मा के आह्वान पर सैकड़ों की संख्या में विश्वकर्मा समाज के लोगों को एकत्रित किया गया।
इस अवसर पर सुभासपा नेता चंदन विश्वकर्मा ने विश्वकर्मा समाज को एक जुट होने की बात कही। कहा विश्वकर्मा समाज ने जिसको भी नेता बनाकर लोकसभा या विधानसभा में भेजा सब जाकर वहां पार्टीयों के गुलाम हो गए किसी ने समाज की बात तक सदन में नही उठाया। एकलौते नेता है ओमप्रकाश राजभर जिन्होनें विश्वकर्मा श्रम सम्मान के लिये सदन में मुख्य मंत्री से बहस किया।

समारोह के मुख्य अतिथि व पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि भाजपा ने भगवान विश्वकर्मा जयंती की छुट्टी रदद् किया है, 2022 में सरकार बनाकर सबसे पहले जयंती पर अवकास लागू किया जाएगा।

विश्कर्मा समाज को आरी, बसूली, छेनी, हथौड़ी रुखानी, विश्कर्मा श्रम सम्मान देकर पुरानी पीढ़ी की ओर ले जा रही जिसको ओमप्रकाश राजभर होने नहीं देगा।

भले ही ओमप्रकाश राजभर अपने दम पर एक विधायक भी न जीता पाए लेकिन सरकार बनाने का सपना अभी से देखने लगे हैं। तभी तो उन्होंने सूबे की योगी सरकार के फारेस्ट मंत्री दारा सिंह चौहान पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने सुखी लकड़ियों पर पाबंदी लगा कर लोहार बढ़ई का रोजगार छीन रहे हैं प्रदेश में 3.3 परसेंट विश्वकर्मा है, जिनके वोट के लिये लोडर पैदा कर रही है। विश्वकर्मा समाज को इलेक्ट्रॉनिक मशीन देने का काम हमारी सरकार करेगी।
ओमप्रकाश राजभर यहीं नहीं रुके उन्होंने भाजपा के द्वारा प्रबुद्ध सम्मेलन किए जाने पर भी तंज कसा कहां की भाजपा प्रबुद्ध सम्मेलन के बहाने लोगों का अबोध सम्मेलन कर रही है। आज डेंगू बीमारी के रोक- थाम की जगह सम्मेलन के लिए 300 रुपया का नास्ता देकर लोगों को बुला रही है। कहा कि गरीबों के सवाल पर प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री हमसे डिबेट करे दूध का दूध पानी का पानी साफ हो जाएगा।

शशिप्रताप सिंह ने कहा कि सुभासपा हमेशा विश्वकर्मा समाज की लड़ाई लड़ने के लिये कटिबद्ध है। लोहार, विश्वकर्मा, बढ़ई समाज के देवतुल्य हैं।
कार्यक्रम का संचालन-शशिप्रताप सिंह व अध्यक्षता रंगीराम विश्वकर्मा ने किया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से संतोष विश्वकर्मा, गोपाल विश्वकर्मा, प्रमोद विश्वकर्मा, मिथलेश पटेल, जागेश्वर, भूपेंद्र, आनन्द, हितेष , अविनाश विश्वकर्मा आदि लोग उपस्थित रहे।


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