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दुनियाभर में सीओपीडी से करीब 21 करोड़ लोग हैं प्रभावित : डॉ. एस.के. पाठक



 16/Nov/21

क्रोनिक ओब्सट्रेक्टिव पुल्मनेरी डिजीज का विश्वस्तरीय ईलाज है ब्रेथ ईज़ी अस्पताल में

 ब्रेथ ईजी चेस्ट सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटलए अस्सीए वाराणसी द्वारा विश्व सीओपीडी दिवस 17 नवम्बर 2021 के उपलक्ष में 16  नवम्बर 2021 को ब्रेथ ईजी कांफ्रेंस हाल में आयोजित प्रेस वार्ता में वरिष्ठ टीण्बीए एलर्जीए श्वांस रोग विशेषज्ञ  डॉण् एसके पाठक ने बताया कि दुनियाभर में सीओपीडी से करीब 21 करोड़ लोग प्रभावित हैं जो मृत्यु का चौथा सबसे बड़ा कारण बनी हुई है प् दुनियाभर में सीओपीडी से जितनी मृत्यु होती हैए उसमें से एक चौथाई हिस्सा भारत का है। साल 2016 में सीओपीडी के 2 करोड़ 22 लाख रोगी थे प् यह बीमारी समय के साथ गंभीर होती जाती है और कई बार यह जानलेवा तक हो सकती है। सीओपीडी ग्रस्त लोगों में सांस की नलियों में ब्लॉकेज होने या कम लचीले होने से फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है और यह उनमें बहुत आम समस्या है। इससे सीओपीडी के लक्षण खासतौर से सांस लेने में तकलीफ जैसी गंभीर समस्याएं ज्यादा हो जाती है।

इसे मेडिकल भाषा में लंग हाइपरइंफ्लेशन कहते हैं और इससे दिल के काम करने की क्षमता भी जुड़ी होती है ।

डॉ. पाठक ने आगे बताया कि क्रोनिक ओब्सट्रेक्टिव पुल्मनेरी डिजीज सीओपीडीद्ध के कई रोगियों को दिल से जुड़ी बीमारियां हो रही हैंए जिससे मृत्युदर में बढ़ोतरी हो रही है। एक नए अध्ययन के माध्यम से इस बीमारी के बेहतर इलाज की उम्मीद बढ़ी है, जिसका ईलाज विश्वस्तरीय ब्रेथ ईज़ी अस्पताल में उपलब्ध है। आमतौर पर सीओपीडी को फेफड़ों से जुड़ी लंबे समय तक चलने वाली बीमारी माना जाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ और शरीर में हवा का प्रवाह प्रभावित होता है, इससे कोर्डियोवास्कुलर डिजीज सीवीडीद्ध जैसी बीमारियों होने का रिस्क बढ़ जाता है ऐसे में रोगी के विकलांग होने के साथ मृत्यु का खतरा भी बढ़ जाता है।

डॉ. पाठक बताते हैं कि दृ आज वायु प्रदूषण दुनिया की एक बड़ी  समस्या में से एक है। कई बीमारियों का कारण वायु प्रदूषण है। काहा कि सीओपीडीए एलर्जी और फेफड़े की अन्य बीमारियों का मुख्य कारण वायु प्रदूषण ही हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन ;वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशनद्ध के अनुसार विश्व के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में 14 शहर भारत के हैं। इनमें अपना बनारस, कानपुर और गाज़ियाबाद के बाद तीसरे सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की लिस्ट में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ 20 लाख मौतें पर्यावरण प्रदूषण के कारण हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हर 10 व्यक्तियों में से 9 व्यक्ति प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं। लगभग 42 लाख लोग वायु प्रदूषण की वजह से मौत के शिकार हुए और 38 लाख लोगों की मौत कुकिंग और प्रदूषित ईंधन के कारण हुई। भारत में वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 12 लाख मौतें होती हैं। यदि व्यापक रोकथाम न हुई तो यह आंकड़ा सन् 2050 तक 36 लाख मौतों को पार कर जाएगा।

डॉ. एसके पाठक द्वारा किये गए एक शोध में ये पता चला किए वाराणसी की खुली हवा में 2.3 घंटो चलने पर फेफड़ो की कार्य क्षमता में 20.25 प्रतिशत तक का गिरावट होती हैं, जिसको वापस सही होने में काफी दिन लग जाते है। बताया कि इसकी मुख्य वजह पिछले कुछ दिनोंध् महीनों की भयावक वायु प्रदुषणए जहरीले स्मॉग व स्मोकिंग हैंए जिसमें दिवाली में जलाए गए पटाखें भी सम्मिलित हैं।

डॉ. पाठक ने आगे बताया कि ब्रेथ ईजी द्वारा हालिया शोध के अनुसार थोड़े समय के लिए कार्बन मोनोऑक्साईडए नाईट्रोजन डायऑक्साइड और सल्फर डाईऑक्साइड जैसे प्रदूषण कारकों के संपर्क में रहने से दिल के दौरे का खतरा भी बढ़ जाता है। कहा कि सही समय पर यदि श्वास के इन्फेक्शन को रोका नहीं जाता तो फेफड़ो की निष्क्रिय, कोलेप्सद्ध होने का ख़तरा बढ़ जाता है, जो मरीजो के लिए प्राण घातक हैं। शुरूआती चेस्ट इन्फेक्शन के लक्षण में कफ, बलगम आना, बुख़ार, सीने में दर्द, साँस लेने में तकलीफ आदि हैं। यदि उचित समय पर उचित मात्र में एंटीबायोटिक, एंटी माइक्रोबायलद्ध का प्रयोग नहीं हो पाता है तो मरीज के जान का खतरा बढ़ जाता हैं। डॉ. पाठक ने मरीजो को हिदायत दी कि स्वयं से मरीज दवाओं का प्रयोग न करें, चिकित्सको के द्वारा जाँच एवं इलाज के बाद ही दवा का प्रयोग करें। सामान्य परिस्थितियों में साँस फूलना स्वस्थ्य मरीजो के लिए ठीक नहीं है। यदि साँस सम्बंधित कोई भी समस्या है तो इसका चेकअप कराकर इलाज कराना जरुरी हो जाता हैं, क्योकि साँस की समस्या फेफड़ो, ह्रदय व खून की कई अन्य बीमारी के कारण हो सकता है।

बताया कि वायु प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनना चाहिए। इंडस्ट्रियल एरिया में जाना हो तो एंटी पाल्यूशन मास्क और आंखों पर चश्मा लगाकर जाएं। गर्भवती महिलाओं और बच्चों को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए घर में एयर फ़िल्टर मशीन लगवानी चाहिए। इससे सांस की बीमारियां कम होती हैं। घर से बाहर तभी बाहर घूमने टहलने निकलें जब पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर कम हो। प्रयोग में आने वाली पेट्रोल डीज़ल से चलने वाली ग‌ड़ियों का नियमित प्रदूषण कार्ड बनवाएँ। बाहर से घर वापस आने के बाद मुँह, हाथ और पैर साफ पानी से धोने चाहिए। घर के आस पास कूड़े कचरे को न जलाएं। प्रदूषण की समस्या से बचने के लिए ज़रूरी है कि ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ पौधे लगाएँ, क्योंकि पेड़ कार्बनडाइ ऑक्साइड सोखते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इसके अलावा अपने चिकित्सक द्वारा दी गयी दवा का नियमित इस्तमाल करें प्

ब्रेथ ईजी जन जागरूकता के लिए समय- समय पर जागरूकता अभियान चलाता रहता है, जिसमें नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर क्लिनिक, जन जागरूकता रैली, मोबाइल कैंप प्रमुख है। इसी कड़ी में सीओपीडी दिवस के उपलक्ष में 21 नवम्बर प्रातरू 7 बजे से एक जन जागरूकता रैली का आयोजन भी किया गया। रैली की शुरुआत डॉ. एसके पाठक वरिष्ठ श्वांस एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ व श्रीमति सुनीता पाठक निदेशिका ब्रेथ ईजी  संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर किया जो कि ब्रेथ ईजी अस्सी वाराणसी से शुरू हुआ तथा लंका. दुर्गाकुंड, सोनारपुरा मार्ग से होते हुए अस्सी घाट पर समाप्त हुई। इस रैली में शहर के युवा एवं सम्मानित नागरिकों भी बढ़ - चढ़कर भाग लिया। इसके तदुपरांत प्रात: 10 बजे से ब्रेथ ईजी मोबाइल कैंप का भी आयोजन किया गया, जिसमें ब्रेथ ईजी वैन वाराणसी के प्रमुख चौराहों पर जाकर वाराणसी के जनता की फेफड़ो की जाँच कंप्यूटर मशीन द्वारा किया गया, इसी कड़ी में 22 नवम्बर गुरुवार को ब्रेथ ईजी वैन रामनगर पड़ाव व चंदासी के जनता की फेफेड़े की जाँच करेगी।


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