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भारतीय पक्षियों को कैद कर व्यापार करना गैर-कानूनी अपराध : डीएफओ महावीर कौजालकी



 26/Nov/21

वाराणसी सहित पूर्वांचल में आपको कई तरह की छोटी बर्ड्स और तोते बेचते हुए लोग मिल जाएंगे। लेकिन इन्हें खरीदने से पहले यह जांच लें कि ये पक्षी विदेशों से इंपोर्ट किए गए हैं या नहीं। भारत में पाए जाने वाले पक्षियों को पिंजरे में बंद करके आप कानूनी पचड़े में फंस सकते हैं। विदेशों से इंपोर्ट किए गए पक्षी जिन्हें इग्जॉटिक बर्ड्स कहा जाता है, को पालने में कोई कानूनी लोचा नहीं है। लेकिनक जानवरों के लिए काम करने वाले लोगों का मानना है कि पक्षी कहीं के भी हों उन्हें पिंजरे में बंद करना नैतिक रूप से गलत है। हालांकि भारतीय पक्षियों को खरीदने बेचने पर प्रतिबंध है लेकिन इसके बावजूद भी कई जगहों पर गौरिया जैसी छोटी देसी चिडि़यों को पकड़कर उन्हें तरह-तरह के रंगो से रंग विदेशी पक्षी बताकर बेचा जा रहा है। हालांकि कई पेट शॉप पर असली विदेशी पक्षी भी बेचे जाते हैं। जिनके लिए बाकायदा उनके पास लाइसेंस भी होते हैं। ये बात प्रभागीय वनाधिकारी वाराणसी महावीर कौजालकी ने शुक्रवार को पहड़िया स्थित डीएफओ कार्यालय में कही।

उन्होंने कहा भारतीय पक्षियों को कैद करना प्रतिबंधित है यह एक अपराध की श्रेणी में आता है। जैसे गौरैया, तोता (पैराकीट), उल्लू, कबूतर आदि हैं। ये अपराध वन जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में आता है। जो लोग इन पक्षियों को कैद करके बेच रहे, उसका व्यपार कर रहें हैं इसके खिलाफ़ मैने कई बार छापा भी मारा। इसके तहत वन विभाग ने कई लोगों को जेल भी भेजा। लेकिन किसी को जेल भेजकर दंडित करना मेरी सोच नहीं है, मेरी सोच है जैसे आप आजाद होकर घूम रहे हैं। वैसे ही पक्षियों को भी खुले में अपना पर फैलाकर घूमने का पूरा हक है। बहेलिया लोग अकेले रहने वाले पक्षी को व्यापार करने के लिए 10 पक्षियों में रख देते हैं, जिससे वह बिमार होकर मर जाते हैं।


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