भ्रष्टाचार व पांच सौ करोड़ की अवैध संपत्ति अर्जित करने के मामले में 18 महीनों से जेल में बंद एआरटीओ आर एस यादव की जमानत याचिका सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज करने के साथ ही मामले की सुनवाई कर 6 महीने में निस्तारण करने का आदेश दिया है। इस पूरे प्रकरण में समाजसेवी राकेश न्यायिक की भूमिका अहम रही। उन्हीं की शिकायत पर यादव की गिरफ्तारी धारा 419, 420, 467, 468, 469, 471 3/4 भ्रष्टाचार निवारण 120 बी के तहत हुई थी। उनकी जमानत याचिका उच्च न्यायालय द्वारा पहले ही खारिज कर दी गई थी। राकेश न्यायिक का कहना है कि ट्रक चालकों से अंधाधुंध वसूली के चलते नौबत यहां तक आ गई कि पैसा न देने की बात पर ड्राईवर की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। लेकिन ऊँचे रसूक के चलते आरएस यादव की गिरफ्तारी नहीं हुई। साथ ही उनका कहना है हाईकोर्ट में केस तलब किया तो उन्हें पता चला कि उनमें से साक्ष्य ही गायब कर दिये गये। सीधा आरोप तत्कालीन एसपी विजिलेंस पर लगाते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन भी उस वक्त आरएस यादव के रसूक के नीचे और पैसों के लालच में बिक गया।
उच्च न्यायालय में उनकी जमानत का विरोध राकेश न्यायिक ने किया और उन्होंने कोर्ट से कहा कि अगर इनकी जमानत हुई तो बाहर आने पर माफियाओं के साथ निकटता होने के कारण गवाहों की हत्या करा सकता है। इस आरोप पर हुई जांच सही पाये जाने के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी गई। उसी आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने आर एस यादव की जमानत याचिका पुन: खारिज कर दी।