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मुख्यमंत्री जन सुनवाई पोर्टल है उद्यमियों के साथ खिलवाड़ : देव भट्टाचार्या



 26/Dec/18

मोदी सरकार ने जनता को और युवाओं को उद्योग लगाने के लिये बहुत सारी सहूलियतों की घोषणा कर रखी हैं। बनारस में उद्यमीयों तक सरकार की घोषणाओं का लाभ पहुंच रहा है ये जानने के लिये क्लाउन टाइम्स ने रामनगर औद्योगिक एसोसिएशन के अध्यक्ष देव भट्टाचार्य से इस बारे में खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने नोटबंदी करके व्यापार को बहुत पीछे ढकेल दिया है लेकिन जीएसटी के मामले पर उनकी सोच एकदम विपरीत है। उनके अनुसार जीएसटी से उद्योग को फायदा हुआ है। पहले लोग बिल लेना और देना जरूरी नहीं समझते थे जबकि आज ये एक बाध्यता बन गई है। विगत दिनों में जीएसटी में आई कमी को काबिल-ए-तारीफ कदम बताते हैं उनके अनुसार कुछ और वस्तुओं के जीएसटी स्लैब में बदलाव की आवश्यकता है। उदाहरण के लिये पास्ता और मैक्रोनी जिस पर बारह प्रतिशत जीएसटी लगता है वहीं सेंवई के उपर ये पांच प्रतिशत है। जबकि दोनों का कच्चा माल एक ही है सूजी, जबकि दोनों का व्यापार प्रतिशत लगभग बराबर है।

सरकार की औद्योगिक नीति में उन्होंने बताया कि औद्योगिक नीति व्यापारियों के हित में लेकिन इसका कार्यान्वयन नहीं हो पा रहा है जैसे बैंक गारंटी, उद्योग लगाने के तुरंत बाद उद्यमियों को मिल जाना चाहिये। लेकिन इसमें वर्षों लग जा रहे हैं। बिजली दर में उद्यमीयों के लिये 7.5 प्रतिशत की छूट है लेकिन जटिल नियमों की वजह से उद्यमियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। रामनगर इंडस्ट्रीयल एरिया में सैकड़ों की संख्या में उद्यमी इसके लिये संघर्ष कर रहे हैं अर्थात नियमों को और सरल बनाने की आवश्यकता है जिससे कार्यप्रणाली में सुधार आए और इसका लाभ उद्यमियों को मिल सके।

आगे बताया कि उद्यमियों को बैंक से ऋण मिलना एक दुर्लभ कार्य है जबकि प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा उनचास घंटे में ऋण मिलने की बात कही जा रही है। हकीकत में जमीनी स्तर पर कोई भी बैंक बिना सिक्योरिटी लिये ऋण देने को तैयार नहीं है। सरकार का ये नैतिक कर्तव्य होता है कि सबको रोजगार मिले नहीं तो उद्योग लगाने के लिये ऋण मिले। उनके अनुसार बैंकों के लिये एक गाइड लाइन बनाना चाहिये जिससे बैंकों की क्षमता के अनुसार ऋण वितरीत करने के लिये उद्यमियों की संख्या और धनराशि अनिवार्य कर देनी चाहिये। यदि बैंक इसमें हिला-हवाली करते हैं तो देश हित के विरूद्ध कार्य करने पर बैंकों के खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही भी करनी चाहिये। आगे वे बताते हैं कि उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड ने उद्यमीयों को भू-खण्ड आवंटित किये हैं लेकिन उसके नियम इतने कठिन हैं कि आवंटित भू-खण्डों पर उद्यमियों को उद्योग लगाने में भय होता है। जैसे- भू-खण्डों का नक्शा पास कराने की समस्या, अगल-बगल के दो भू-खण्डों का समायोजन करने की समस्या, तमाम भू-खण्डों को नगर निगम द्वारा आवंटित कर दिया जाता है किंतु वर्षों तक इसका कब्जा नहीं मिलता। इसका मुख्य कारण है निगम द्वारा भू-खण्डों को बिना अधीग्रहण के ही प्लॉटिंग करके उद्यमियों को बेच दिया जाता है। एक बड़ी समस्या है कि कुछ उद्यमियों को कब्रिस्तान में भू-खण्ड आवंटित कर दिया गया कई वर्षों तक दौड़ने के बाद भी कब्जा नहीं मिल पा रहा है। एक दूसरी समस्या के बारे में उन्होंने बताया कि कई भू-खण्डों को उद्यमीयों को आवंटित करने के बाद उच्च न्यायालय में रिजर्व रखवा दिया जाता है। जिससे उद्यमी भू-खण्ड का पूर्ण भुगतान करने के बाद भी स्वामी नहीं बन पाता। उन्होंने इन सारी समस्याओं को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में ले आए लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।

उन्होंने आगे बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा बनाया गया जनसुनवाई पोर्टल एकदम बेकार है इस पर कई बार शिकायत पोस्ट करने के बाद बिना कार्यवाही किये हीनिस्तारित दिखा दिया जाता है। इसे खिलवाड़ नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे।


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