काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. विजय नाथ मिश्र ने 20 फरवरी को अपना इस्तीफा देकर सभी को चौका दिया। बीएचयू न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. विजय नाथ मिश्र ने जब 17 जुलाई 2018 को अपना कार्यभार ग्रहण किया तो उन्होंने कई ऐतिहासिक कदम उठाए। जिसमें गरीब मरीजों को नि:शुल्क भोजन, भ्रष्टाचार में लिप्त निजी प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों व दवा कारोबारियों के दलालों पर नकेल कसने का न केवल फरमान सुनाया, बल्कि इसे अमलीजामा पहनाने में भी कभी पीछे नहीं रहे। बीएचयू के इतिहास में पहली बार डॉ. विजय नाथ मिश्र ने चिकित्सा पेशे को केवल धनोपार्जन का साधन नहीं बनाया, बल्कि मानवता के प्रति संकल्पित सेवा भाव से आम नागरिकों के लिए 24 घंटे प्रत्येक दिन सर्व सुलभ रहे। कोई भी जब चाहे उनके बेतार फोन पर अपने मरीज की चिकित्सा सेवाओं में कोई असुविधा होने पर उनसे संपर्क करें तो वह सहज रूप से उसकी बात को सुनते थे और संबंधित चिकित्सक को आवश्यक निर्देश भी देने में कभी हिचकते नहीं थे। इतना ही नहीं फोन करने वाले से डॉक्टर साहब यह कहना कदापि नहीं भूलते थे कि यदि कोई परेशानी हो तो दोबारा जरूर बात कर लीजिएगा। वैसे तो पूर्व में भी कई चिकित्सा अधीक्षकों ने बीएचयू के MS की संभाली है, किंतु विजय नाथ मिश्रा ने जब 17 जुलाई 2018 को पदभार ग्रहण किया तो यह भरोसा और विश्वास दिला दिया था कि उन्हें किसी की लकीर मिटाने में भरोसा नहीं है, बल्कि वे बड़ी लकीर खींचने पर विश्वास करते हैं। जैसा उन्होंने सोचा वैसा कर दिखाया। 17 जुलाई से 20 फरवरी के महज 8 महीने के अल्प काल में ही डॉक्टर साहब इतने लोकप्रिय हो गए उन्हें हर कोई अपना करीबी माने लगा। क्योंकि डॉक्टर साहब सभी के लिए अपने ही रहे, चाहे वह चिकित्सक हो, अथवा कर्मचारी या फिर मरीज और उसके परिजन। डॉक्टर साहब की एक ही तमन्ना थी कि उन्हें यदि मानवता की सेवा के लिए सर्व विद्या की राजधानी काशी हिंदू विश्वविद्यालय में महामना की तपस्थली में जिम्मेदारी दी गई है तो वे उसी महामना को अपना आदर्श मानकर उनके ही पद चिन्हों पर चलने का ना केवल प्रयास किया, बल्कि अपने निजी संसाधनों और समाज के प्रति कुछ अलग सोच रखने वालों से सहयोग लेकर पूर्वांचल तथा बिहार से आए मरीजों के परिजनों को प्रत्येक दिन नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था करके एक ऐतिहासिक कदम उठाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में काशी हिंदू विश्वविद्यालय को स्वयं प्रधानमंत्री ने एम्स के समतुल्य दर्जा दिए जाने का निर्देश देकर भले ही अपने 5 वर्षों के कार्यकाल में उसे अमलीजामा पहनाने में अभी उन्हें अपने दूसरे कार्यकाल का इंतजार होगा, किन्तु डॉक्टर साहब ने तो 8 महीने के अल्प समय में ही जो कहा, उसे कर दिखाया। आज उनके अचानक इस्तीफा देने से उनके शुभचिंतकों को काफी मायूसी हुई है।
क्लाउन टाइम्स ने प्रोफेसर विजयनाथ में इस्तीफे का कारण पूछा तो उन्हें उन्होंने इसे स्वयं का निजी फैसला बताया
कुल मिलाकर बीएचयू आईएमएस के 8 महीने के एमएस का जो ऐतिहासिक कार्यकाल रहा है, उसे आने वाले समय में इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी संभालने वाले अन्य चिकित्सा अधीक्षकों के लिए मार्गदर्शन का काम करेगा। यदि वे इस पर खरे नहीं उतरे तो जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी