कानून ने ‘पक्षकार-अधिवक्ता’ को संवाद करने का विशेषाधिकार दिया है । ‘सीबीआई’ने हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय सचिव अधिवक्ता संजीव पुनाळेकरजी को बंदी बनाना, यह अधिवक्ता का विशेषाधिकार छीनना है । ‘पक्षकार-अधिवक्ता’ संबंधों का शोषण करने के प्रकार को तत्काल रोकना आवश्यक है । ‘सीबीआई’ ने अधिवक्ता संजीव पुनाळेकरजी बंदी बनाने के कृत्य की हम निंदा करते हैं और अधिवक्ता संजीव पुनाळेकरजी को तत्काल मुक्त करें’, ऐसी मांग हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ताओं ने ‘सीबीआई’ के गोवा स्थित बांबोळी कार्यालय से की है । इस समय अधिवक्ताओं की ओर से संबंधित अधिकारियों को एक ज्ञापन दिया गया, जिस पर 26 अधिवक्ताओं के हस्ताक्षर है । इनमें वाराणसी के ‘इंडिया विथ विज्डम ग्रूप’ के अधिवक्ता कमलेशचंद्र त्रिपाठी, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के संस्थापक-सदस्य अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी, परिषद के उपाध्यक्ष अधिवक्ता अमृतेश एन्.पी., परिषद के गोवा राज्य सचिव अधिवक्ता नागेश जोशी, सहित गोवा के अधिवक्ता सर्वश्री सत्यवान पालकर, शैलेंद्र नाईक, गजानन नाईक, श्रीमती अनुपमा शिरोडकर एवं राजेश गावकर का समावेश है । सभी अधिवक्ताओं ने ‘सीबीआई’ के बांबोळी स्थित कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया ।
इस ज्ञापन में कहा है कि, ‘सीबीआई’ की यह कारवाई अधिवक्ताओं के लिए धोकादायक है । पक्षकार पुलिस अधिकारी अथवा अन्य किसी के भी कहने पर अधिवक्ता पर कोई भी आरोप लगा सकता है । इस विषय में ‘बार कौन्सिल’ एवं ‘बार असोसिशन’ ने कोई कारवाई नहीं की तो इस प्रकार की घटना आगे भी हो सकती है । इस ज्ञापन की प्रतिलिपि प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव को भेजी गई है ।