आज 14 जून 2019 को लखनऊ से आये अखिल भारतीय मुस्लिम फोरम के प्रतिनिधिमंडल ने श्री विद्यामठ में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से मुलाकात की। इस अवसर पर एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। मुस्लिम फोरम के अनुसार पिछले 70 सालों से हिन्दू-मुस्लिम नेताओं व धर्मगुरुओं ने अयोध्या विवाद को सुलझाने की बजाय दोनों समुदायों को लड़ाने का काम किया है व तमाम दंगे-फसाद इसी की वजह से हुए हैं। दंगे फसाद में हमेशा आम आदमी के ही नोमाल का नुकसान होता आया है न कि किसी नेता या धर्मगुरु का।
वर्षों तक ये मामला पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में फंसा रहा और अब सुप्रीम कोर्ट में। अब क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को एक 3 सदस्यीय कमेटी का गठन करके आपसी सद्भाव से हल करने की बात कही है तो मुस्लिम फोरम ने इसके लिए बहुत से बुद्धि जीवियों से चर्चा किया और यह नतीजा निकला कि अब समय आ गया कि मुस्लिम समाज आगे बढ़ कर व एकजुट होकर अपनी राय सुप्रीम कोर्ट को बताये जिससे कोर्ट को एक न्यायसंगत फैसला करने में आसानी हो। मुस्लिम फोरम का मानना है कि यदि चार बिंदुओं पर दोनों समुदाय सहमत हो जाये तो इस मामले का हल निकल सकता है। इसके लिए बाकायदा एक हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। ये चार बिंदु इस प्रकार है।
1. देश के मुसलमान स्वतः सद्भावना के इरादे से अयोध्या स्थित विवादित जमीन की हिंदुओं को सौंप दें जिससे वहां राम मंदिर बन सके।
2. मुसलमानों को इसके बदले में अयोध्या में किसी अन्य जगह पर 10 एकड़ जमीन दी जाए जिससे वहां एक मस्जिद बन सके।
3. सबसे खास बात ये है कि इसके बाद मुसलमानों के सभी धार्मिक स्थलों पर आज़ादी के समय की यथा स्थिति कायम रहेगी। इस बात की गारंटी सुप्रीम कोर्ट अपनी मोहर लगा कर देगी व उसे भारत के राष्ट्रपति का अनुमोदन प्राप्त होगा।
4. साथ ही ये भी सुनिश्चित किया जाये कि 1991 में बने The Places of Worship (Special Provisions) Act 1991 को स्पष्ट और पूर्णतः लागू करवाने की जवाबदेही इलाके के MP, MLA, DM और SP की होगी और ऐसा न करने पर उचित कार्यवाही की जायेगी। इस अवसर पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि वे अयोध्या विवाद के हल के लिये अखिल भारतीय मुस्लिम फोरम के प्रयास का समर्थन करते है क्योंकि आपस में यदि दोनों पक्ष मिल बैठकर समस्या का समाधान कर लें तो इससे बड़ी बात और कुछ नहीं। फिलहाल मुस्लिम फोरम मुस्लिमों के बीच जाकर जो हस्ताक्षर अभियान चला रहा है और मुस्लिमों को जागरूक कर रहा है ये एक अच्छा कदम है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रेस वार्ता में कहा कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान ये सिद्ध किया जा चुका है कि न तो बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई न ही उनके सिपहसालार मीर बांकी ने। फिलहाल देखने वाली बात है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है और 3 सदस्यीय कमेटी को जिम्मेवारी मिली है इसे आपसी सद्भाव से हल करने की। ऐसे में अखिल भारतीय मुस्लिम फोरम की ये कोशिश कितनी कारगर होगी ये तो वक्त ही बताएगा। प्रेस वार्ता में शामिल थे अमीर हैदर-अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता, मुईद अहमद-भूतपूर्व एम एल ए, बी डी नकवी-भूतपूर्व जज, वहीद सिद्दीकी-सामाजिक कार्यकर्ता, आफताब अहमद- भूतपूर्व आई जी (सी आर पी एफ), बब्बन शर्मा इत्यादि।