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आशीर्वाद हॉस्पिटल में है उच्च तकनीकी आई वी एफ सेंटर: डा.शलभ गुप्ता

दिनेश मिश्र

 27/Jul/19

बनारस के बिरदोपुर स्थित आशीर्वाद हॉस्पिटल की नींव डा.शलभ गुप्ता के डाक्टर पिता एवं माँ ने सन 1974 में रखी थी । 10  बेड से शुरु हुआ ये हॉस्पिटल आज 150  बेड के बड़े अस्पताल  में तब्दील हो चुका है जिसके 3 मुख्य विभाग हैं।

स्त्री एवं प्रसूति  रोग विभाग, बाल रोग विभाग, एवं शल्य विभाग।

क्लाउन टाइम्स ने आशीर्वाद हॉस्पिटल के निदेशक व लेप्रोस्कोपिक सर्जन डा.शलभ गुप्ता से उनके  अस्पताल की खासियत के बारे में की अनौपचारिक बातचीत। डा.शलभ गुप्ता ने बताया कि आज आशीर्वाद  हॉस्पिटल बनारस का एक प्रमुख अस्पताल है। पूछे जाने पर कि आज आम जनता में डाक्टर के प्रति अविश्वास व भ्रम की स्थिति बनी रहती है। आशीर्वाद हॉस्पिटल किस तरह से मरीजों का विश्वास जीत पाता है। डा.शलभ का कहना था कि इस हॉस्पिटल में मरीज़ों एवं उनके तीमारदारों को उचित सलाह एव बेहतर चिकित्सा दी जाती है। बेवजह कई प्रकार के टेस्ट कराने की सलाह नहीं दी जाती। भर्ती एवं आपरेशन की आवश्यकता होने पर ही उचित शुल्क में भर्ती व आपरेशन की सुविधा मिलने के कारण उनका विश्वास आशीर्वाद हॉस्पिटल व यहां के डॉक्टरों में बना रहता है। मरीज़ों की आर्थिक स्थिति व जरुरत के अनुसार उन्हें फीस में छूट भी प्रदान करते हैं। आशीर्वाद हॉस्पिटल में कुशल एवं अनुभवी डॉक्टरों  की टीम अपने विभाग का नेतृत्व करती है जिनके सहयोग के लिये कुशल स्टाफ की टीम उपलब्ध है। डा.शलभ ने आगे बताया कि आशीर्वाद हॉस्पिटल में उच्च तक्नीकी आई वी एफ सेंटर है जिसकी प्रमुख डा.कावेरी गुप्ता ने 6 वर्ष की ट्रेनिंग इंग्लैड में ली है। साथ ही स्किल्ड डा.दीपाली गुप्ता का भी मुख्य सहयोग रहता है । आशीर्वाद हॉस्पिटल में विश्वस्तरीय आईवीएफ लैब है। एम्ब्रियोलोजी विभाग में हर साइकिल को कम्पलीट करने के लिए विशेषज्ञ टीम मुम्बई से आती है। उन्होंने आगे बताया कि आशीर्वाद हॉस्पिटल में आई वी एफ का सक्सेस रेट 30 से 35 प्रतिशत है जबकि  विश्वस्तर पर इसकी सफलता की दर 20 से 25 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि आई वी एफ की सफलता की दर निर्भर करती है महिला की उम्र, टयूब बन्द होने की स्थिति एवं  अन्य जननांगों की स्वस्थता एवं  पुरुष वीर्य में स्पर्म की संख्या पर। डा.शलभ के अनुसार वर्ष में 6 बार मरीजों के लिये आई वी एफ की सुविधा उपलब्ध हैं। बांझपन  से पीड़ित महिलाओं में से 85 प्रतिशत मात्र मेडिकल इलाज से ही गर्भधारण कर लेती हैं। मात्र 4 से 5 प्रतिशत महिलाओं को ही आई वी एफ की जरुरत होती है जिनमें से केवल 1 प्रतिशत महिलाएं ही आई वी एफ इलाज करवाती हैं।

डा.शलभ जो कि एक लेप्रोस्कोपिक सर्जन हैं ने आगे बताया कि आशिर्वाद हॉस्पिटल में दूरबीन विधि से अपेंडिक्स, हर्निया एवं स्त्री रोग के अन्तर्गत ओवेरियन सिस्ट, फाईब्रोइड तथा हिस्ट्र्रेक्टोमी के आपरेशन की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने  बताया कि ये पूर्वी उत्तर प्रदेश का पहला सेंटर है जहां 3000 से अधिक हिस्ट्र्रेक्टोमी के केस अब तक हो चुके हैं। लखनऊ से भी इस तरह के मरीज़ उनके यहां आते हैं।


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