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पूर्वी यूपी के कई जिलों में आर्सेनिक निर्माण में घोर धांधली, लोगों की ज़िन्दगी से होता खिलवाड़



 27/Aug/19

वाराणसी शहर के दक्षिणी हिस्से के जल स्त्रोतों के 2014 में हुए जांच के दौरान पेयजल में आर्सेनिक की मात्रा सामान्य ज्यादा पाई गई इसके साथ ही गंगा से लगे कई गांव में पाइप सप्लाई में बैक्टीरिया संक्रमण टैंक की सफाई व ब्लीचिंग ना होना भी पाया गया जिनके कारण वश ग्रामीणों को पेट और लीवर की गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होते पाया गया जिनमे मुख्य रूप से किसी चर्म रोग व कैंसर जैसे खतरनाक बीमारियां भी शामिल है। जिसके समाधान के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना की शुरुआत की गई ।पहले तो इस योजना ने काफी तेजी पकड़ी लेकिन समय के साथ बड़े आला अधिकारियों के धांधली के बीच योजना बेअसर होती नजर आई।

पूर्वी यूपी के बलिया,पटना,गाजीपुर व अन्य जिलों में आर्सेनिक निर्माण में घोर धांधली के चलते पिछले एक दशक में हजारों जानें गई हैं जिसकी पुष्टि भारत सरकार एवं मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में भी की गई लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। इन्ही महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए आज वाराणसी के मैदागिन स्थित पराड़कर भवन में इनरवॉइस एसोसिएशन के बैनर तले प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता गांधीवादी चिंतक ,समाज कर्मी व पूर्व सर्व सेवा संघ मंत्री रामधीरज जी ने किया।वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि बनारस में जो पेयजल पाया जाता उसमें भी आर्सेनिक की अधिक मात्रा पाई गई है वाराणसी मोदी जी का संसदीय क्षेत्र होने के बावजूद बनारस का नाम आर्सेनिक से प्रभावित जिलों की लिस्ट में अब तक शामिल नहीं है इसके साथ इलाहाबाद,बलिया आदि कई जिले हैं जो कि आर्सेनिक प्रभावुत जिलों की सूची में शामिल नही हैं जो बहुत ही दुख का विषय है।

इस दौरान आर्सेनिक एक्सपर्ट सौरभ सिंह ने भी आर्सेनिक के बारे में महवपूर्णें जानकारियां देते हुए इसके लिए लोगो को जागरूक करने का प्रयास किया इसके साथ ही उन्होंने सरकार से अपील भी की कि जल्द से जल्द वाराणसी,पटना,बलिया,गाज़ीपुर जैसे जिलों को भी आर्सेनिक प्रभावित जिलों की लिस्ट में शामिल करें ताकि समय रहते इस समस्या का उचित समाधान हो सकें।

इसके साथ ही आई.एम.ए के पूर्व अध्यक्ष व चिकित्सक डॉ के.वी.पी सिंह ने भी भूजल में आर्सेनिक की अधिक मात्रा से होने वाले बीमारियों के बारे में जानकारी दी व इनसे बचने के लिए भूजल के बजाय सतही जल का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया।इस अवसर पर रामधीरज जी,सौरभ सिंह,डॉ के.वी.पी सिंह,संदीप पंड्या आदि लोग उपस्थित रहें।


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