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गंगोत्री सेवा समिति की ओर दशाश्वमेध घाट पर वीर शहीदों की याद में जलाया गया आकाशदीप



 19/Oct/19

देव पूजा के साथ राष्ट्र सेवा का भाव होना जरूरी : डा. नीलकंठ तिवारी

वीर शहीदों को लोगों ने दी श्रद्धांजलि, पुलिस और पीएसी के शहीद हुए जवानों को किया गया याद

वाराणसी के प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति की तरफ से रविवार की शाम जब लोगों की सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले पुलिस और पीएसी के वीर जवानों की याद में आकाश दीप जलाए गए तो सबकी आंखें नम हो गईं। परलोकों के पुण्य पथ पर विचर रहे दिवंगत आत्माओं का मार्ग अलौकित रहे इस ध्येय से दिव्य कार्तिक मास में गंगा तट, सरोवरों, कूपों, बावड़ियों और घर की छतों पर आकाश दीप जलाने की प्रथा काशी में सदियों पुरानी है। इसी परंपरा की कड़ी में आश्विन पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक पुलिस-पीएसी के वीर जवान गाजीपुर जनपद के निवासी मुख्य आरक्षी स्व. सुरेश प्रताप सिंह, संभल निवासी आरक्षी स्व. बृजपाल सिंह, संभल के रहने वाले आरक्षी स्व. हरेंद्र सिंह, अमरोहा निवासी आरक्षी स्व. हर्ष चौधरी और बुलंदशहर निवासी निरीक्षक स्व. सुबोध सिंह के आत्मिक शांति के लिए गंगोत्री सेवा समिति द्वारा आकाशदीप जलाई गई। शहीदों की याद में 36वीं वाहिनी पीएसी के बैंड के राष्ट्रगान की धुन के बीच उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। आयोजन की शुरुआत पांच वैदिक ब्राह्मणों द्वारा मां गंगा के षोडशोचार पूजन से किया गया। जिसके बाद मां गंगा की पवित्र धारा में 101 दीप को प्रवाहित करने के बाद वेद पाठ के बीच दिव्य ज्योति की टोकरी को अनंत आकाश की ओर ले जाया गया।

मुख्य अतिथि धर्मार्थ कार्य और पर्यटन मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी का समिति के अध्यक्ष पंडित किशोरी रमन दुबे 'बाबू महाराज' ने माल्यार्पण कर स्वागत किया। मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए मंत्री श्री तिवारी ने कहा कि देव पूजा के साथ राष्ट्र सेवा का भाव भी लोगों में होना चाहिए। शहीद जवानों को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि वीर जवानों के सम्मान में गंगोत्री सेवा समिति की ओर से चलाए जा रहे मास पर्यंत आकाशीय दीप की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। भारतीय संस्कृति का इससे अच्छा चित्रण आपने नहीं देखा होगा। उन्होंने शहीदों को नमन करते हुए आकाशीय दीप जलाया। आकाश मंडल में लालिमा छाने के साथ दीप प्रज्वलन के बाद समिति के साथ काशी वासियों ने शहीदों को नमन किया।

 

 

इस अवसर पर गंगोत्री सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष पंडित किशोरी रमन दुबे ने बताया कि कार्तिक मास के समान कोई महीना नहीं, सतयुग के समान कोई युग नहीं, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं और मां गंगा के समान दूसरी कोई नदी नहीं है। गंगा के घाट पर कार्तिक माह में जलता आकाशदीप इस बात का परिचायक है कि हमारे शहीदों के प्रति हमारे मन में श्रद्धा की रोशनी कितनी उज्जवल है। आयोजन में मुख्य रूप से कन्हैया त्रिपाठी, गंगेश्वरधर दुबे, दिनेश शंकर दुबे, शांति लाल जैन, संकठा प्रसाद, रामबोध सिंह, राजेश शुक्ला, डॉक्टर सुनील मिश्रा, गणेश दत्त शास्त्री सहित समिति के अन्य पदाधिकारी व काशीवासी उपस्थित थें।


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