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मंदी, कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार कम हो तो बढ़े व्यापार : जितेन्द्र सिन्हा



 23/Oct/19

भारतीय अर्थव्यवस्था पर इस समय कोई औसत या ठोस राय बना पना आम आदमी की तो छोड़िये बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों के लिये भी लोहे के चने चबाने सरिखा लग रहा है।

पारले द्वारा मंदी कहकर 10 हजार कर्मचारियों को निकाले जाने की खबर लिखने वाली चौथे स्तम्भ का चेहरा भी लाल भाकुड़ा हो गया जब एक सर्वे में पता चला कि कुल 3 हजार कर्मचारि ही पारले के पास रहे। वहीं ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के धड़ाम होने की खबर आग की तरह फैली। अभी धुंआ-धुंआ हो रहा था कि अमेजोन, फ्लिपकार्ट ने सेल में करोड़ों की खरीदारी होने की खबर बढ़ा दी। अर्थशास्त्रियों की चुटकी खड़ी हो गई। बहरहाल यह बता पाना नामुमकिन लग रहा है कि मंदी है या नहीं।

क्लाउन टाइम्स ने शहर के नामी रीयल स्टेट कारोबारी जीत होम के डायरेक्टर जितेन्द्र जी से मंदी के कारण व असल हाल पर खास बातचीत की। जितेन्द्र सिन्हा का कहना था कि मंदी तो सही में है और इसका संदेश भी कुछ अच्छा नहीं है। इस वक्त सभी कारोबारी बाजार में अपनी यथास्थिति को बरकरार रखने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। जिससे आने वाले समय में मंदी से उबरा जा सके। पूछे जाने पर कि मंदी से उबरे जाने पर ग्राहकों को त्यौहारी सीजन में बाजार की तरफ खींचने के लिये क्या कुछ नया किया जा रहा है पर उनका कहना था कि नया कुछ नहीं बल्कि ट्रेडिशनल तरीके के ही कारोबार को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है। बाजार में मंदी के कारण जो नेगिटिविटी ली है इसके चलते पुराने प्रोजेक्टस को ही बरकरार रखने के लिये कोशिश की जा रही है। मंदी के कारणों के बारे में उनका कहना था कि सरकार की नित्य नई बदलती नीतियों के कारण जैसे ब्याज दर बार-बार घटना, कॉरपोरेट टैक्स का जल्दी-जल्दी घटना-बढ़ाना एक खास कारण है जिससे बायर भ्रमित हो रहा है। या यूं कहें कि वो और सस्ते बाजार भाव के इंतजार में बाजार में निकल नहीं रहा है। शिक्षा को खर्च पर छोड़ दिया जाये तो ग्राहक इस समय सिर्फ डिस्काउंट और छूट के बारे में ही सोच रहा है जिसके कारण मार्केट स्थिर नहीं हो पा रहे हैं। ऑनलाइन मार्केटिंग को दूसरा बड़ा कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि ऑनलाइन मार्केट भी ग्राहक को भ्रमित कर रही है या सीधे शब्दों में कहें तो ग्रीडी स्वभाव को बढ़ावा दे रहा है। लेकिन अब यह मंदी का दौर अपने प्रीजिंग प्वाइंट पर आ चुका है, जिसके बाद मंदी की मार से उबरकर बाजार फिर रौनक होंगे व ग्राहक लौटेंगे, समय अवश्य लग सकता है।

मंदी के एक और सवाल के जवाब में उनका कहना था कि रीयल स्टेट इंडस्ट्री में मंदी के चलते हजारों लोग बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। सरकारी खजाना भी मंदी की मार झेल रहा है लेकिन छोटे व लोकल व्यापारियों ने फिर भी बाजार को किसी हद तक संभाला है। उनका साफ तौर पर कहना था कि नोटबंदी की बात तीन साल पुरानी हो चुकी लेकिन अभी तक उसका असर बाजार में दिखाई पड़ रहा है और शायद परिस्थितियां अनुकूल होने में और तीन साल लगने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में किये गये विकास कार्यों पर किये गये अरबों रूपये के खर्च की बात पर तल्ख तेवर में उनका कहना था कि प्रयास पुरजोर हो रहे हैं प्रवासी भारतीय सम्मेलन हुआ जिससे वाराणसी में व्यापार व उद्योग के बढ़ावे को लेकर खूब बावेला हुआ लेकिन क्या किसी ने आईटीआर फाइल कर पता किया की प्रवासी भारतीय सम्मेलन के बाद वाराणसी में कितना विदेशी निवेश हुआ। अंत में उन्होंने कहा कि अंतवोगतवा मोदी जी से काफी उम्मीदें हैं हर व्यापारी व कारोबारी चाहता है कि सबसे पहले वाराणसी की कानून व्यवस्था व भ्रष्टाचार मुक्त वातावरण के लिये कुछ कारगर उपाय किये जायें।


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