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हिन्दू जनजागृति द्वारा 4 नवंबर से आयोजित होगा चार दिवसीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन



 06/Nov/19

अयोध्या मे प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बनना सुनिश्चित है। अब राममंदिर का जनआंदोलन रामराज्य के निर्माण की दिशा मे लेकर जाना आवश्यक है। विश्व के इतिहास में सभी राज्य व्यवस्थाओं में रामराज्य को आदर्श माना गया है। सुराज्य, स्वधर्म का पालन व विश्वकल्याण का विचार, ये रामराज्य के लक्षण थे। कोई एक व्यक्ति राजनेता बनकर रामराज्य का निर्माण नहीं कर सकता। इसके लिए संपूर्ण प्रजा का साथ आवश्यक होता है। वर्तमान सेक्युलर व्यवस्था में धर्म को त्यागने के कारण स्वधर्म के आचरण विस्मरण हुआ है। इसलिए वर्तमान लोकतंत्र अब लूटतंत्र बन चुका है। डॉक्टर अपना धर्म भूलकर रोगियों को लूटता है, दुकानदार ग्राहकों को मिलावटी अन्न बेचता है, पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी रिश्वत लेते हैं। यह अधर्म केवल सेक्युलर शब्द को बढ़ावा देने से उत्पन्न हुआ है। वस्तुत: संविधानकर्ता डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान में सेक्युलर अर्थात धर्मनिरपेक्ष शब्द का प्रयोग नही किया था। स्व. इंदिरा गाँधी ने वर्ष 1976 में आपातकाल में विपक्ष को कारावास में रखकर, डॉ. अंबेडकर के मूल संविधान में असंवैधानिक पद्धति से परिवर्तन कर, सेक्युलर शब्द जोड़ा। तब से भारत में सेक्युलरवाद का उपयोग केवल अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण के लिए जा रहा है।

रामराज्य की नींव रखने हेतु संवैधानिक स्तर पर सेक्युलर शब्द हटाकर भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करना होगा। इसी दृष्टि से संगठित रूप से हिन्दू राष्ट्र साकार करने हेतु आगे के कार्य की दिशा निश्चित करना भी आवश्यक है। इसके लिए हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से 9 से 12 नवंबर तक स्मृति भवन, पंचक्रोशी मार्ग, वाराणसी में हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन आयोजित किया गया है। अधिवेशन में पूरे देश के 12 राज्यों से तथा नेपाल से 152 हिन्दू संगठनों के 350 प्रतिनिधि सहभागी होंगे, यह जानकारी हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक नीलेश सिंगबाल ने पत्रकारवार्ता में दी। आयोजित पत्रकार वार्ता में काशी विद्वत परिषद के मंत्री डॉ. रामनारायण द्विवेदी, इंडिया विथ विज्डम के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कमलेशचंद्र त्रिपाठी, सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस उपस्थित थे।

पत्रकार वार्ता में काशी विद्वत परिषद के मंत्री डॉ. रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि वेदों में भारतभूमि को परमपवित्र माना गया है, क्योंकि यहां सनातन धर्म संस्कृति की जीवनशैली है। विश्व में सभी देश अपने-अपने पंथ-मजहब को अधिकृत धर्म के रूप में मान्यता देते हैं, उसी प्रकार भारतवर्ष जिस कारण परमपवित्र है, उस सनातन धर्म को भी संवैधानिक रूप में प्रतिष्ठा देने  की आवश्यकता है।

इंडिया विथ विज्डम के अधिवक्ता कमलेशचंद्र त्रिपाठी ने बताया कि देश में बढ़ रही सामाजिक दुष्प्रवृत्तियों को रोकने हेतु और भारत को संवैधानिक रूप मे हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की दृष्टि से कृति निश्चित करने हेतु हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के अंतर्गत 9 नवंबर को देशभक्त अधिवक्ताओं का एक दिवसीय अधिवक्ता अधिवेशन आयोजित किया गया है।

अधिवेशन के सह-आयोजक संगठन सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस ने बताया कि हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के अंतर्गत 12 नवंबर को पत्रकारबंधु, विद्वत्जन, अभ्यासक इन सब के लिए हिन्दू राष्ट्र परिसंवाद का आयोजन किया है। साथ ही सभी धर्मनिष्ठ मान्यवरों के लिए साधना शिविर का आयोजन किया गया है।


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