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सनबीम स्कूल भगवानपुर में " सोच एक आत्मामंथन " वार्षिकोत्सव का हुआ भव्य आयोजन



 25/Nov/19

वाराणसी में की प्रमुख शिक्षण संस्थान सनबीम स्कूल भगवानपुर में "सोच एक आत्ममंथन" वार्षिकोत्सव का आयोजन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ।
इसके अंतर्गत आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में विद्यालय की कक्षा केजी से लेकर छठवीं तक के लगभग 550 बच्चों ने अभूतपूर्व प्रस्तुति देकर खूब तालियां बटोरी।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर सनबीम शिक्षण समूह के अध्यक्ष डॉ. दीपक मधोक, निदेशिका भारती मधोक, ऑनरेरी डायरेक्टर हर्ष मधोक तथा सह निदेशिका प्रतिमा गुप्ता ने सोच-विचार एवं आत्ममंथन के प्रतीकात्मक दीप को संयुक्त रूप से प्रज्वलित कर 'सोच' का आगाज किया।

कार्यक्रम प्रारंभ होने से पूर्व विद्यालय की प्रधानाचार्य गुरमीत कौर, हेडमिस्ट्रस विभा राय तथा हेड ब्वॉय ओम जी), हेडगर्ल आर्या शुक्ला ने स्कूल रिपोर्ट प्रस्तुत कर संपूर्ण वर्ष होने वाले विद्यालय की क्रियाकलापों से उपस्थित अतिथि- गण को अवगत कराया। सनबीम शिक्षण समूह की सह निदेशिका प्रतिमा गुप्ता ने आमंत्रित गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया।

सोच की श्रृंखला में अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, जिनमें सर्वप्रथम बच्चों के द्वारा "ऋतुराग" के अंतर्गत ऋतुओं के परिवर्तन क्रम को ऑर्केस्ट्रा के माध्यम से अद्भुत ढंग से प्रस्तुत किया गया।
ततपश्चात कक्षा केजी के नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा "क्रंदन" नाटक प्रस्तुत किया गया, जिसमें बच्चों के द्वारा प्रकृति के क्रंदन की सजीव अभिव्यक्ति की गई। इसके माध्यम से पर्यावरण की रक्षा तथा प्लास्टिक के उपयोग का बहिष्कार करने का संदेश दिया गया।
"प्रयास" इस प्रस्तुति के माध्यम से कक्षा प्रथम एवं द्वितीय के नन्हे-मुन्ने बच्चों ने योग एवं विभिन्न प्रकार के व्यायाम तथा उनके अभ्यास के माध्यम से शरीर को स्वस्थ रखने का संदेश प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति ने यह भी सिद्ध कर दिया कि 'योग प्रशिक्षण' में भारत विश्व गुरु रहा है।
"विलाप" नाटक के माध्यम से कक्षा 1 व 2 के विद्यार्थियों ने मोबाइल एवं उनके विभिन्न एप्स के बढ़ते हुए सम्मोहन को प्रस्तुत कर सामाजिक जीवन पर पड़ने वाले इसके दुष्प्रभाव को दर्शाया।
बच्चों की प्रस्तुति "ज्वाला" के माध्यम से प्राचीन काल से अब तक के नारी के विभिन्न आयामों का सजीव एवं मार्मिक स्वरूप प्रस्तुत किया।
"अभयदान" के माध्यम से कक्षा तीन व चार के छात्रों ने देशभक्ति के उदात्तस्वरूप को प्रस्तुत कर प्रतिशोध के नए आयाम को दर्शाया। इस प्रस्तुति द्वारा यह संदेश दिया गया कि शिक्षा का उपयोग अपने शत्रुओं के हृदय परिवर्तन के लिए करना चाहिए न कि उनके विनाश के लिए सच्चे अर्थों में शिक्षा वही है जो मानवता को परिवर्तित कर दे और यही प्राचीन काल से हमारे देश का मूल मंत्र रहा है।
"जश्न" कक्षा 4, 5 और 6 के बच्चों की इस प्रस्तुति द्वारा जीवन में उत्साह एवं उमंग के महत्व को दर्शाते हुए यह संदेश दिया कि जीवन के प्रत्येक क्षण को उत्साह के रूप में मनाना चाहिए।
कक्षा 3 से 6 तक के छात्रों ने "परिभाषा" प्रस्तुति के माध्यम से समाज के अछूते एवं उपेक्षित वर्ग को समानता का अधिकार देने का संदेश प्रस्तुत किया गया।
" द्वंद" प्रस्तुति के माध्यम से कक्षा 5 व 6 के छात्रों द्वारा रामधारी सिंह दिनकर के उत्कृष्ट काव्य "रश्मिरथी" पर आधारित कर्ण की वीरता एवं दानशीलता को दर्शाते हुए संदेश प्रस्तुत किया गया कि जीवन का एक गलत निर्णय किस प्रकार जीवन की दिशा एवं दशा दोनों को परिवर्तित कर देते हैं। इस प्रकार सोच के माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हुए इस चिंतन को विकसित करने का प्रयास किया गया कि यह "सोच" मानव के उत्थान एवं पतन का मूल कारण है।
इस कार्यक्रम में एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों ने उपस्थित गणमान्य जनों पर अपनी अलग छाप छोड़ी साथ ही सभी का भरपूर मनोरंजन हुआ। कुल मिलाकर दर्शकों को एक गंभीर चिंतन का अवसर मिला l


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