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क्रिसमस पर जन्मे प्रभु ईसा मसीह से विश्व शांति, एकता, सुख और समृद्धि हेतु की प्रार्थना : बिशप यूजीन जोसेफ

प्रतिमा पाण्डेय

 25/Dec/19

क्रिसमस के पुनीत अवसर पर ईसाई धर्म के बिशप यूजीन जोसेफ ने काशी नगरी के साथ-साथ पूरे देशवासियों को क्रिसमस एवं नववर्ष की शुभकामनाएं दी तथा प्रभु ईसा मसीह से विश्व शांति, एकता, सुख और समृद्धि हेतु प्रार्थना की। पारंपरिक रूप से आगमन काल से ही ईसाई समुदाय प्रार्थना, त्याग और तपस्या द्वारा स्वयं को क्रिसमस के लिए तैयारी कर चुके हैं। क्रिसमस का माहौल जयंती गीतो (कैरोल गीत), नवजात शिशु ईसा मसीह की जन्म की झाँकी (चरनी) चर्च एवं घर की सजावट के साथ क्रिसमस ट्री भी सजाया जा चुका है और अब प्रभु के दर्शन हेतु इंतजार में हैं। जैसे कि पवित्र बाइबल में कहा गया है देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जन्मेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिसका अर्थ यह है परमेश्वर हमारे साथ हैं। यह जानकारी बिशप यूजीन जोसेफ ने एक प्रेसवार्ता में दी।

ऐसे तो क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया जाता है लेकिन क्रिसमस की पूर्व संध्या यानी 24 दिसंबर को मध्य रात्रि में संपूर्ण ईसाई समुदाय गिरजाघर में प्रभु की स्तुति एवं आराधना हेतु एकत्रित होंगे। ईसाई समुदाय का यह विश्वास है कि संसार के मुक्तिदाता ईसा मसीह ईश्वर होते हुए भी 24 दिसंबर की मध्य रात्रि में मानव रूप धारण किया इसलिए मध्य रात्रि में ही उनके आगमन के समय पूजा-विधि (मिस्सा बलिदान) संपन्न होती है और विशेष महिमा गान एवं जयघोष के साथ गिरजा का घंटा बजाया जाता है जो की अर्धरात्रि में प्रभु के जन्म एवं विशेष समारोह का प्रतीक है।

पूजा-विधि (मिस्सा बलिदान) के उपरांत शोभायात्रा द्वारा नवजात शिशु ईसा मसीह की प्रतिमा को गिरजा से स्थानांतरित कर चरनी में स्थापित किया जाता है और चरणी का अभिषेक किया जाता है। तत्पश्चात श्रद्धालुगण चरनी के समक्ष नतमस्तक होकर नवजात शिशु ईसा मसीह का दर्शन कर उनकी आराधना एवं स्तुति करते हैं। खुशी के इस माहौल में ईसाई समुदाय गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं तथा खीस्त जयंती गीत गाते और नाचते हुए जन्मे प्रभु ईशा का स्वागत करते हैं तथा उनके नाम पर एक दूसरे को क्रिसमस की शुभकामनाएं देते हैं।

क्रिसमस के इस अवसर पर लोग एक दूसरे के साथ केक बांटकर खीस्तीय प्रेम एवं एकता को व्यक्त करते हैं और उसी भावना के साथ अपने-अपने घर परिवार में जाकर एक दूसरे यानी पास-पड़ोस के लोगों के साथ क्रिसमस की खुशियां बांटते हैं। क्रिसमस के अवसर पर 25, 26 और 27 दिसंबर को त्रिदिवसीय क्रिसमस मेला का भी आयोजन कैंट स्थित संत मैरिज महागिरजाघर के प्रांगण में किया जाता है। जिसका उद्घाटन वाराणसी धर्मप्रांत के बिशप यूजीन जोसेफ के कर कमलों द्वारा 25 दिसम्बर को दोपहर 1 बजे किया जाएगा इस मेला का मुख्य उद्देश्य है क्रिसमस की खुशी को एक (दूसरे विभिन्न धर्म एवं समुदाय) के साथ बांटना तथा समाज, देश तथा विश्व में खीस्त के संदेश द्वारा प्रेम, बंधुत्व, भाईचारा एवं शांति का संवर्धन करना है।

क्रिसमस मेला उद्घाटन के पश्चात दोपहर 3 बजे से 6 बजे तक क्रिसमस मिलन समारोह का आयोजन धर्माचार्य निवास पर किया जाएगा। क्रिसमस मेला में पारंपरिक चरनी, पवित्र बाइबिल प्रदर्शनी, कठपुतली नृत्य, प्रार्थना खीस्त जयंती गीतों (कैरोल गीत), बच्चों तथा अन्य लोगों के लिए खेलकूद, खानपान की दुकानों के साथ कुछ अन्य दुकानें भी लगाई जाएंगी। क्रिसमस समारोह का समापन 2 जनवरी 2020 को सेंट जॉन स्कूल, डीएलडब्लयू के प्रांगण में आयोजित विकलांग दिवस के साथ होगा। इस दिन समारोह का शुभारंभ सुबह सांस्कृतिक कार्यक्रम द्वारा होगा जिसमें दृष्टिबाधित, मूकबधिर एवं शारीरिक रूप से विकलांग बच्चे ही सांस्कृतिक कार्यक्रम के स्टार होंगे। तत्पश्चात भोजन के बाद सभी बच्चे खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेंगे और प्रतियोगिता के अंत में पुरस्कार वितरण के साथ विकलांग दिवस एवं क्रिसमस समारोह का समापन होगा।


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