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गरीबों की लड़ाई जीवन पर्यंत लड़ते रहे लोकबंधु राजनारायण



 31/Dec/19

बनारस में 31 दिसंबर को जिला व महानगर समाजवादी पार्टी ने मनाई लोकबंधु राजनारायण की 33 वीं पुण्यतिथि

समाजवादी पार्टी वाराणसी की जिला व महानगर इकाई की ओर से 31 दिसंबर मंगलवार को अर्दली बाजार स्थित पार्टी कार्यालय पर लोकबंधु राजनारायण जी की 33 वीं पुण्यतिथि मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता नि. जिलाध्यक्ष डॉ. पीयूष यादव, संचालन जिला महासचिव डॉ. रमेश राजभर तथा जितेंद्र यादव एवं उपस्थित लोगों का आभार नि. महानगर अध्यक्ष राजकुमार जायसवाल जी ने किया। इस मौके पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में पार्टी पदाधिकारियों ने लोकबंधु राजनारायण जी को श्रद्धा पूर्वक स्मरण किया।

डॉ. पीयूष यादव ने कहा कि लोकबंधु राजनारायण जी दलितों एवं पिछड़ों के लिए समाज में गैरबराबरी, ऊंच नीच, छुआछूत तथा सामाजिक न्याय की लड़ाई जीवनपर्यंत लड़ते रहे। उन्होंने राजनीतिक संघर्ष को जहां वैचारिक स्तर पर धारदार बनाया वहीं विचार एवं व्यवहार से कार्यकर्ताओं को जोड़े रखा। वह उन विरले नेताओं में थे जो अपने हित को ताक पर रखकर राजनीति एवं साथियों को आगे रखा।

राजकुमार जायसवाल ने कहा कि गरीबों व मजलूमों के हक की लड़ाई लड़ते हुए जीवन पर्यन्त 80 बार जेल जाने वाले राजनारायण जी थे जिनसे स्वयं लौह महिला इंदिरा गांधी भी डर गई थी। राज नारायण जी ने 17 साल जेल में बिताए, जिसमें 3 साल आजादी से पहले एवं 14 साल आजादी के बाद थे।

डॉ.रमेश राजभर ने कहा कि राजनारायण जी का जन्म उस जमींदार परिवार में हुआ था जो वहां राजघराने से जुड़ा माना जाता था। उन्होंने अपने हिस्से की जमीन गरीबों को दे दी। भाइयों ने बुरा माना परंतु वह अपने फैसले से टस से मस नहीं हुए। राजनारायण जी ने इंदिरा गांधी को न सिर्फ अदालत में हराया वरन जनता की अदालत में भी हराया।

पूर्व प्रदेश सचिव डॉ. उमाशंकर यादव ने कहा कि देश में दो तरह की राजनीतिक सोच व सभ्यता में टकराव देखने को मिल रहा है। एक ओर ऐसी ताकतें हैं जो सबसे ऊंची पायदान पर बैठे लोगों के हितों की रक्षा के लिए समूची सत्ता, व्यवस्ता का बेजा इस्तेमाल कर रही है। वहीं दूसरी तरफ वो ताकते हैं जो समाज के आखिरी पायदान पर खड़े लोगों के हितों के प्रति न सिर्फ संवेदनशील हैं बल्कि उनकी आवाज को मजबूत करने की कोशिश में जुटी हैं।

प्रबुद्ध प्रकोष्ठ के महानगर अध्यक्ष डॉ. आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा कि आज राजनारायण जी जिंदा होते तो एनआरसी एवं सीएए के सवाल पर दिल्ली हिल गई होती। डॉ. राममनोहर लोहिया के विचारों को राजनारायण जी ने कार्यरूप में ही नहीं लिया बल्कि उसे मूर्त रूप प्रदान किया। पूरे देश में इस वक्त जिस प्रकार सांप्रदायिकता, अराजकता, असमानता, आतंक और भय का माहौल बना है उसमें लोकबंधु राजनारायण के विचार और कर्म की प्रासंगिकता और बढ़ गई है।

प्रदेश सचिव प्रदीप जायसवाल जी ने कहा कि राजनारायण जी ने दलितों को वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर में पुजारियों से संघर्ष करके मंदिर में प्रवेश करा दिया।

श्रद्धांजलि सभा में डॉ. पीयूष यादव, राजकुमार जायसवाल, डॉ. रमेश राजभर, डॉ. उमाशंकर यादव, डॉ. आनंद प्रकाश तिवारी, आनंद मोहन गुड्डू यादव, आशुतोष सिन्हा, प्रदीप जायसवाल राजू यादव, हीरू यादव, मोहम्मद असलम, जौहर प्रिंस, जियालाल राजभर, रवि प्रकाश सिंह यदुवंशी, शिव प्रसाद गौतम, अवधेश चमार, महेंद्र सिंह यादव, शीतला यादव पप्पू, संजय पहलवान, सुरेश यादव, दिनेश यादव, मदन यादव, सचिन प्रजापति, रोहित शर्मा, संदीप मिश्रा, रामकुमार यादव, विनोद शुक्ला उपस्थित थे।


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