केंद्र सरकार द्वारा पारित ‘नागरिकता संशोधन कानून’ के कारण पाकिस्तान, बांगलादेश, अफगानिस्तान देशों से निर्वासित होकर भारत आए अल्पसंख्यांक हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई धर्मीय पीडितों को न्याय मिलेगा । इस कानून के अंतर्गत देश के मुसलमानों के कोई भी अधिकार उनसे छिने नहीं जाएंगे, ऐसा होते हुए भी ‘नागरिकता संशोधन कानून’ ‘धार्मिक आधार पर फूट डालनेवाला और धार्मिक असमानता निर्माण करनेवाला कानून’, ऐसा बारबार फैलाया जा रहा है । कांग्रेस सरकार के समय धार्मिक असमानता निर्माण करनेवाले ‘सच्चर आयोगा’ के सिफारिशें स्वीकार कर केवल मुसलमानों पर विशेष सहुलियतों का वर्षाव किया गया था, इस ओर अनदेखी क्यों की जा रही है ? CAA का व्यर्थ ही विरोध करनेवालों को धार्मिक असमानता निर्माण करनेवाला ‘सच्चर आयोग’ कैसे चलता है ? ऐसा स्पष्ट प्रश्न करते हुए पहले ‘सच्चर आयोग’ की सिफारिशें रद्द करो, ऐसी मांग हेतु हिन्दुत्ववादी संगठनों ने आज दिनांक 20 जनवरी 2020 को यहां के शास्त्रीघाट, वरुणापुल के निकट राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन किया । इस समय हिंदू जागरण मंच के महानगर संयोजक राहुल कॉल, हिंदू जागरण मंच के रवि श्रीवास्तव, हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री मनीष पांडे, इंडिया विद विजडम के राष्ट्रीय अधयक्ष अधिवक्ता कमलेश चंद त्रिपाठी, विश्व सनातन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल सिंह सोनू, नागरिक सेवा समिति के अधिवक्ता अवनीश राय, हिंदू जागरण मंच के अधिवक्ता दिनेश नारायण सिंह, अधिवक्ता हनुमंत सिंह, अधिवक्ता मदन मोहन यादव, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. विश्वनाथ कुलकर्णी तथा अन्य धर्मप्रेमी उपस्थित थे ।
कश्मीरी हिन्दुओं के पुनर्वसन के लिए कश्मीर में ‘स्वतंत्र होमलैंड’ की निर्मिति करो !
वर्ष 1990 में जिहादी मुसलमानों ने कश्मीरी हिन्दुओं पर अनन्वित अत्याचार करते हुए 90 सहस्र हिन्दुओं की हत्या की, तथा हिन्दुओं के मंदिर, घर, भूमि, संपत्ति लूटकर शेष साढेचार लाख से अधिक हिन्दुओं को कश्मीर घाटी से भगा दिया गया । अपने ही देश में कश्मीरी हिन्दुओं को विस्थापित होना पडा । 19 जनवरी 2020 को इस घटना को अब 30 वर्ष हो रहे हैं, तो भी अबतक विस्थापित हिन्दुओं का अबतक पुनर्वसन नहीं हुआ है । कश्मीरी हिन्दू अबतक न्याय से वंचित हैं । अत: कश्मीरी हिन्दुओं के पुनर्वसन हेतु कश्मीर में ‘स्वतंत्र होमलैंड’ की निर्मिति करो और कश्मीरी हिन्दुओं के पुनर्वसन की योजना कालबद्ध समयसीमा रखकर पूर्ण की जाए, ऐसी मांग भी इस समय की गई ।
गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) पर होनेवाले ‘राष्ट्रध्वज का अनादर’ रोकने हेतु क्रियान्वयन समिति का गठन किया जाए तथा प्लास्टिक के राष्ट्रध्वजों के कारण होनेवाले अनादर रोकने हेतु विविध माध्यमों द्वारा जनजागृति की जाए ।