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 डैलिम्स सनबीम स्कूल  में “फेबल-विस्टा”  का हुआ भव्य आयोजन



 02/Feb/20

वाराणसी के प्रमुख शिक्षण संस्थान डैलिम्स सनबीम ग्रुप ऑफ स्कूल्स  की मुख्य शाखा रोहनियाँ में 2 फरवरी रविवार को मुक्ताकाशीय  मंच पर रंग-बिरंगे व आकर्षक परिधानों में सुसज्जित छात्र-छात्राएँ भारत की संस्कृति को अपने सुरीले गीत-संगीत, नृत्य एवं अभिनय से विद्यालय प्रांगण की शाम को सुरमयी बना रहे थे।

अवसर था, नर्सरी से छठीं कक्षाओं के छात्रों द्वारा रंगारंग समारोह ‘फेबल-विस्टा’ की भव्य प्रस्तुति। इस अवसर पर बतौर विशिष्ट अतिथि के रूप में विंग कमांडर श्रीमती जागृति एवं ग्रुप कैप्टन कन्नन, वाइस प्रेसीडेंट 4 एअर फोर्स सर्विस सेलेक्शन बोर्ड वाराणसी रहे।

सर्व प्रथम संस्था के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप ‘बाबा’ मधोक, निदेशिका श्रीमती पूजा मधोक, अतिरिक्त निदेशक माहिर मधोक एवं विशिष्ट अतिथि श्रीमती जागृति ने सामूहिक रूप से मंगलाचरण के साथ विद्यालय के संस्थापक द्वय डॉ. अमृतलाल इशरत एवं मैडम दीश इशरत के चित्रों पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित करके समारोह का विधिवत उद्घाटन किया। साथ ही प्रधानाचार्या श्रीमती कविता बैंसला द्वारा अतिथियों का स्वागत पुष्प-गुच्छ, उत्तरीय एवं स्मृति चिह्न भेंट करके किया गया।

तदोपरांत विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने अतिथिगण एवं उपस्थित अभिभावकों के सम्मान में स्वागत गीत ‘प्रकत्य सुरम्यम् विशालम् निकायम्.......,प्रियम् भारतम्’ की अतिसुंदर प्रस्तुति से अभिनंदन किया। इसी क्रम में नन्हें छात्रों ने भारत के अलग-अलग नौ राज्यों की संस्कृति को विभिन्न वाद्यों के प्रदर्शन एवं लोकगीतों के माध्यम से प्रस्तुत कर जनसमूह का मन मोह लिया।

तत्पश्चात अध्यक्ष महोदय ने अपने सारगर्भित भाषण में अतिथियों एवं अभिभावकों का स्वागत करते हुए आज के समारोह से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि संस्था में सत्र 2019-20 का प्रथम कार्यक्रम नवंबर 2019 में रोहनियाँ के प्रांगण में ‘राष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंट’ का आयोजन किया गया, जिसमें डैलिम्स सनबीम ने स्वर्ण पदक जीत कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके माध्यम से हमने जीवन में स्वास्थ्य के लिए खेल के महत्व का संदेश दिया। तत्पश्चात विभिन्न संस्थाओं में अनेकानेक सार्थक, उद्देश्यपूर्ण, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रमों के आयोजन का सिलसिला प्रारम्भ हुआ। इसी कड़ी में इस सत्र का अंतिम सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘फेबल-विस्टा’ है, जिसका अर्थ है ‘कहानी दर्शाना’। वर्षों पहले जे. के. रावलिंग द्वारा रचित ‘द जंगल-बुक’ को आज के परिपे्रक्ष्य में वर्तमान पीढ़ी के नजरिये से दर्शाने का प्रयास किया गया है। इस कार्यक्रम में बच्चों ने कहानी के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयत्न किया है कि अपनी स्वार्थलोलुपता के लिए मनुष्यों ने किस प्रकार हिंसक प्रवृत्ति को अपनाकर जंगली जीवों को नुकसान पहुँचाया। उनके निवास स्थान जंगल पर भी अधिकार जमाते जा रहे हैं। ये बच्चे हम बड़ों को इस विषय पर सोचने पर विवश कर रहे हैं कि इस समस्या का समाधान कैसे निकाला जाय?

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारम्भ के. जी. के बच्चों द्वारा प्रस्तुत ‘मेड इन इण्डिया’ से हुआ। इसके तहत नन्हें -मुन्नें बच्चों ने भारत के विभिन्न 12 राज्यों की वेश-भूषा में रैम्प शो करते हुए वहाँ की विशेषताओं से जनसमूह को अवगत कराया तथा अंत में राष्ट्रध्वज की भूमिका में एक छात्रा ने देश की विशेषता ‘अनेकता में एकता’ का संदेश देकर जनसमूह को आत्मविभोर कर दिया। इसी कड़ी में कक्षा 2 से 6वीं की छात्र-छात्राओं ने कश्मीरी, पंजाबी, गुजराती, बंगाली, राजस्थानी लोकनृत्यों के साथ शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम् की प्रस्तुति कर लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया।

इस अवसर संस्था की निदेशिका श्रीमती पूजा मधोक ने जन समूह को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी अतिथियों के आगमन से हम अपने-आप को धन्य समझते हैं। इस कार्यक्रम में 11वीं के छात्रों की संकल्पना, सफल आयोजन की पूरी तरह से जिम्मेदारी लेना एवं उसे मूर्त रूप देने में शिक्षकों के अतुलनीय योगदान के लिए मैं तहेदिल से धन्यवाद देती हूँ। इस सामारोह का मुख्य उद्देश्य है छात्रों का चहुँमुखी विकास करना। हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि विद्यालय द्वारा प्रस्तुत संदेशपूर्ण यह कार्यक्रम जन-जन में अवश्य नव चेतना का संचार करेगा।

आज का मुख्य आकर्षण नृत्य-संगीत से सजा के. जी. से छठीं कक्षा के बच्चों द्वारा बहुचर्चित रचना ‘द जंगल बुक’ का मंचन है। इसके निर्माता एवं निर्देशक के रूप में 11वीं के छात्र रहे। इस प्रस्तुतिकरण में लगभग 400 छात्र-छात्राओं ने जलीय, स्थलीय एवं आकाशीय जीवों की भूमिका निभाकर अपने ही अभिभावकों को अचम्भित कर दिया।

अंत में समारोह के समापन की घोषणा करते हुए विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती कविता बैंसला ने सफल एवं शांतिपूर्ण समापन के लिए सभी के प्रति हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया।

 


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