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होली खेलते समय अस्थमा और शुगर के मरीज रखें अपना विशेष खयाल : डॉ. एसके पाठक



 08/Mar/20

होली खुशी और उल्लास का एक ऐसा त्यौहार ज़ है जिसमें लोग गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को रंग लगाकर व्यक्त करते हैं। लेकिन क्या आपको पता हैं, होली पर रंगों के उड़ने से सांस की बीमारी होने, तो वहीं होली की मिठाईयों से शुगर बढ़ने का खतरा बना रहता है। ऐसे में अगर कुछ बातों को ख्याल रखा जाए, तो होली के बाद होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है। ब्रेथ ईजी टी.बी, चेस्ट एलर्जी केयर अस्पताल के वरिष्ट श्वांस एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. एस. के. पाठक के अनुसार “अस्थमा, चेस्ट इंफेक्शन, ब्रोंकाइटिस जैसी श्वांस संबंधी बीमारियों के मरीजों को होली के रंगों से विशेष दिक्कत होती है। अबीर-गुलाल जैसे सूखे रंग सांस के जरिए फेफड़ों में जाने से इंफेक्शन हो जाता है। नाक बंद हो जाती है, नाक से पानी आने लगता है, और सांस लेने में मुश्किल होने लगती है। डॉ. पाठक का कहते हैं अस्थमा के रोगियों को होली खेलने से बचना चाहिए चाहे वो रंग वाली गीली होली हो अथवा गुलालों की, यदि उनका बहुत मन करता भी है तो अच्छी गुणवत्ता वाले गीले रंगों के साथ होली खेलनी चाहिए। ऐसे मरीजों को तुरंत मुंह धोकर उनके चिकित्सक द्वारा बताए गए इन्हेलर या नेबुलाइजर की मदद लेनी चाहिए, जिससे मरीज को काफी राहत मिलेगी I

डॉ. पाठक ने बताया कि “होली के दौरान बनने वाले पकवानों के सेवन से डायबिटीज पेशेंट्स का ब्लड शुगर लेवल बढ़ने का खतरा रहता है। इसलिए परेशानी से बचने के लिए सतर्क रहने और डाइट को बैलेंस करने की जरूरत रहती है। अगर ऐसे पेशेंट 100-200 कैलोरी वाली गुझिया खाते हैं, तो उन्हें उस दिन लंच और डिनर में रोटी नहीं खानी चाहिए। संभव हो तो शुगर फ्री मिठाइयां खाएं और वो भी सीमित मात्रा में। 
कहा कि “जिन लोगों को डाइजेशन रिलेटेड प्रॉब्लम है, उन्हें भी होली पर सावधान रहना चाहिए I होली के आस-पास वातावरण में कई तरह के वायरस और बैक्टीरिया पनपने लगते हैं, जिससे ऐसे पेशेंट्स को गैस्ट्रोएंट्राइटिस की समस्याएं भी उभरने की संभावना बढ़ जाती है। होली खेलते वक्त रंग जाने-अनजाने मुंह, नाक और कान के जरिए शरीर के अंदर भी चले जाते हैं या फिर रंग लगे हाथों से जब कुछ खाते-पीते है, तो हाथ-मुंह में लगे रंग शरीर में पहुंच जाते हैं। इससे केमिकल डायरिया या फूड प्वॉयजनिंग हो सकती है। ऐसी स्थिति में मरीज को ओआरएस का घोल और लिक्विड डाइट बराबर देते रहना चाहिए। यदि स्थिति में सुधार न हो तो अपने चिकित्सक से शीघ्र ही संपर्क करना चाहिए।


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