गंगा हुई यमुना में तब्दील
वाराणसी के तुलसी घाट पर होने वाली अति प्राचीन सैकड़ों साल पुरानी लीला को देखने के लिए लाखों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ कन्हैया ने किया कालिया मर्दन गंगा हुई यमुना में तब्दील धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी के ऐतिहासिक तुलसी घाट पर आज 31 अक्टूबर को सैकड़ों साल पुरानी नाग नथैया का आयोजन हुआ । जिस लीला को कृष्ण भगवान ने कभी मथुरा में यमुना के तट पर किया था उसी लीला को देखने के लिए भक्तों की लाखों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। वाराणसी के लक्खा मेलों में तुलसी घाट की नाग नथैया का ऐतिहासिक महत्व है जहां 5 मिनट की लीला को देखने के लिए लाखों की भीड़ नजर आ रही थी पूरे घाट पर तिल रखने की जगह नहीं थी। इस लीला का आयोजन संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र के नेतृत्व में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर क्लाउन टाइम्स से सीधी बात में संकट मोचन के महंत प्रो. विश्वभर नाथ मिश्र ने बताया कि भगवान कृष्ण को जब यह पता लगा यमुना का जल प्रदूषित है वो भी कालिया नाग के विष के वजह से जल प्रयोग के योग्य नहीं था। तो भगवान कृष्ण ने स्वयं अपने मन में यह योजना बनायी हम इस नदी को एकदम पवित्र करेंगे। उन्होंने कालिया नाग को उरवाषित किया। महंत जी ने बताया कि आज के समय में गंगा में कालिया नाग तो नहीं है पर जो प्रदूषण के स्त्रोत है जिसके माध्यम से हमलोग रा सिवेज गंगा में डाल रहे है जिसके कारण आज गंगा उस वेदना से कहरा रही है।
हम सभी के लिए मां गंगा है और उनका एक सात्विक संबन्ध है भारत वर्ष के लोगों से हम चाहते है कि उस विष से बचे और गंगा जी सात्विक भाव से बहती रहें। जिनका दर्जा मां का है हम चाहते है मां उसी पवित्रता से बहे यह तभी हो सकता है जब गंगा जी में इस तरह के सीवेज जाने से परहेज करें।