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सावन के पहले सोमवर पर हर-हर महादेव के जयकारे से गूंजा बाबा का दरबार



 06/Jul/20

यादव बन्‍धुओं ने निभाई जलाभिषेक की परम्‍परा

सावन माह के पहले सोमवार के दिन बाबा श्री काशी विश्वनाथ का दरबार हर हर महादेव और बोल बम के नारों से गूंज उठा। भोर से ही श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंचने लगे। मंगला आरती के पश्चात आम दर्शनार्थियों का प्रवेश शुरू कर दिया गया था। यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक श्री गौरांग राठी द्वारा समय-समय पर मंदिर की पूरी व्यवस्था और श्रद्धालुओं के आगमन सहित कई अन्य व्यवस्थाओं को लेकर लगातार जायजा लिया जाता रहा है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि श्रद्धालुओं को कुल 3 मार्गों से मंदिर में प्रवेश दिया गया इन तीन मार्गों पर भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग मास्क का प्रयोग सैनिटाइजर वह थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था की गई थी, ताकि सभी श्रद्धालुओं की आवश्यक जांच हो सके। इसके अलावा सामाजिक संस्थाओं द्वारा कियोस्क भी लगाया गया था, जहां पर थर्मल स्कैनर के साथ ही मास्क बांटे जा रहे थे। श्री राठी ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए एनडीआरएफ की टीम, चिकित्सा विभाग की टीम के अलावा पुलिस और प्रशासन की टीम में भी जगह-जगह तैनात थीं जो लोगों को जरूरत के अनुसार उनकी सहायता कर रही थी। एनडीआरएफ की टीम में 2 दर्जन से अधिक श्रद्धालुओं ने अपना प्राथमिक जांच कराकर दवाएं भी निशुल्क प्राप्त की। वही एनाउंस सिस्टम के माध्यम से श्रद्धालुओं को उचित मार्गदर्शन भी दिया जा रहा था। मैदागिन से गोदौलिया नो व्हीकल जोन होने की वजह से कोई भी वाहन मंदिर की तरफ नहीं जा रहा था इसको देखते हुए मंदिर प्रशासन ने दोनों मार्गों पर ई-रिक्शा लगाए थे जहां से वृद्धों, दिव्यांगों को ई रिक्शा के माध्यम से मंदिर पहुंचाने व ले जाने का कार्य किया जा रहा था। मुख्य कार्यपालक श्री गौरांग राठी ने बताया कि सुबह मंदिर खुलने से लेकर रात में मंदिर के कपाट बंद होने तक हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन किया था।

 

सावन माह के प्रथम सोमवार को काशी के निवासी भोला सरदार और चुन्नी सरदार ने यादव बंधुओं के साथ बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया था। इसके बाद देश से आकाल समाप्त हुआ। इसी परम्परा का निर्वहन हर वर्ष किया जाता है।

हर साल डमरू दल के साथ हजारों की संख्या में यादव बंधु बाबा का जलाभिषेक करते हैं। इस बार कोरोना और लॉकडाउन के चलते सोशल डिस्टेंसिंग के अनुपालन में सिर्फ 5 यादव बंधुओं को जलाभिषेक की इजाजत मिली थी। सोमवार की सुबह हर-हर महादेव का जयघोष करते हुए केदारघाट से पाचों यादवों के दल ने गंगा जल लिया। यहां चंद्रवंशी गोप सेवा समिति के संरक्षक गोपाल जी यादव ने जलाभिषेक के लिए पांच यादवों के दल को रवाना किया।यह दल सबसे पहले गौरी केदारेश्वर महादेव मंदिर पहुंचा। वहां से डमरू दल और चंद्रवंशी समिति के ध्वज के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए रवाना हुए।

गौरीकेदारेश्वर के बाद तिलभांडेश्वर, शीतला माता, आल्हादेश्वर में जलाभिषेक किया। वहां से काशी विश्वनाथ गली पहुंचे। ढुंढीराज गणेश और शनिदेव मंदिर के सामने से होते ही विश्वनाथ मंदिर पहुंचे। चद्रवंशी गोप समिति के प्रदेश अध्यक्ष लालजी यादव के नेतृत्व में उपाध्यक्ष विनय यादव, गोपाल यादव, महानगर अध्यक्ष चंदन यादव, मनोज यादव के अलावा ध्वज लेकर दुर्गा सरदार और डमरू लेकर विष्णु यादव ने मंदिर में प्रवेश किया।

लालजी यादव के अनुसार मंदिर में यदुवंशियों को गर्भगृह में प्रवेश से रोक दिया गया। वहां पहले से लगे जलपात्र में ही जलाभिषेक को कहा गया। इस पर परंपरा का हवाला देते हुए गर्भगृह में जाकर ही जलाभिषेक की बात कही गई। इसे लेकर दोनों पक्षों में विवाद शुरू हो गया। जल पात्र में जलाभिषेक से इनकार करते हुए यादवों के दल ने साथ आए डमरू दल की डम डम और हर हर बम बम का जयकारा शुरू कर दिया। करीब 40 मिनट बाद अधिकारियों के हस्तक्षेप पर जलपात्र हटाया गया और पांचों यादवों ने गर्भगृह में प्रवेश कर जलाभिषेक की परंपरा का निर्वहन किया।

बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक के बाद श्रृंगार गौरी के सामने भी गमछा निचोड़ने की परंपरा का निर्वहन करने के बाद यदुवंशी महामृत्युंजय महादेव के लिए रवाना हुए। वहां से त्रिलोचन, ओमकालेश्वर और लाटभैरव का जलाभिषेक किया।

तेजू सरदार के बेटे संग पांच लोगों ने भी किया बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक

बाबा विश्वनाथ के परम भक्त तेजू सरकार के परिवार ने भी जलाभिषेक की परंपरा निभाई। उनके बेटे और काशी विश्वनाथ दल के अध्यक्ष जंत्रलेश्वर के साथ पांच लोगों ने बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया।

इस वर्ष महामारी के मद्देनजर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र देकर परिवार के दस लोगों को जलाभिषेक की इजाजत मांगी गई थी लेकिन सिर्फ पांच सदस्यों को ही इजाजत दी गई। इसी के तहत जंत्रलेश्वर यादव के साथ अशोक यादव, राजेश यादव, आलोक यादव और रोहित यादव ने शीतला घाट से गंगा जल लिया। डेढ़सी पुल होते हुए ढुंढीराज गणेश से बाबा विश्वनाथ के दरबार पहुंचे।


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