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  कांग्रेसी नेताओं पर भाजपा द्वारा मुकदमा कायम कने कराने पर पूर्व मंत्री अजय राय ने किया विरोध



 22/Jul/20

वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं प्रदेश के पूर्व मंत्री अजय राय ने कहा है कि कोविड के संकट में वर्तमान पिंडरा भाजपा विधायक की क्षेत्रीय अनुपलब्धता की व्यापक शिकायत के बाद उनकी गुमशुदगी की तहरीर के साथ आलोचना पर राजनीतिक कार्यकर्ताओं के ऊपर मुकदमा कायम करना अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतांत्रिक अधिकारों का गला घोंटना है। लोकतंत्र में विपक्ष के आलोचना के अधिकार को रौंदने की ऐसी कार्रवाई से प्रशासनिक अधिनायकशाही व तानाशाही का बोध कराती हैं।

पिंडरा से दो दशक तक पांच बार विधायक रह चुके अजय राय ने एक वक्तव्य में कहा है मैं भी पांच बार विधायक रहा हूं इस क्षेत्र से जनता ने आधी रात में भी पुकारा है तो मैं हर सम्भव मदद के साथ उपस्थिति रहा हूँ। चाहे समर्थक हो या विपक्षी जनप्रतिनिधि होने पर कर्तव्य होता है आम जनमानस की आवाज पर खड़े रहना है। मैं आज भी पिंडरा की जनता के सुख-दुःख के साथ हर जनमानस की आवाज पर हर सम्भव मदद के साथ उपस्थिति रहता हूँ क्योंकि यह मेरा परिवार है।जनप्रतिनिधियों के कामकाज की आलोचना विपक्ष का लोकतांत्रिक हक ही नहीं, उसे मिला अभिव्यक्ति की आजादी का संवैधानिक मौलिक अधिकार भी है। उसे तभी रोका जा सकता है जब वह अभिव्यक्ति किसी रूप में लोकव्यवस्था के लिये खतरा हो। आलोचना की अभिव्यक्ति बयान, तहरीर, पोस्टर या प्रदर्शन किसी रूप में हो सकती है। क्षेत्र में बहुतेरे लोगों को जनप्रतिनिधि के उपलब्ध न होने के तथ्य पर आधारित आलोचना मानहानि नहीं कही जा सकती। जनप्रतिनिधि को पूरा हक है कि वह आलोचना का पुरजोर खंडन करें और अपनी उपलब्धता की स्थिति क्षेत्र के लोगों को स्पष्ट कर एक जनप्रतिनिधि होने के नाते अगर वर्तमान विधायक अस्वस्थ है तो मेडिकल रिपोर्ट को सार्वजनिक करे आलोचना खारिज करने के अभिव्यक्ति के अपने अधिकार का प्रयोग करें। उनके पास अनुपलब्धता का कोई जायज कारण है, तो वह उसे भी जनता के बीच रखे क्योंकि चुनाव जनता ने जिताया है इसलिए जनता को समुचित जानकारी चाहिए। विपरीत आलोचना करने वाले विपक्ष के लोगों पर ही सत्ता की धौंस से निराधार मुकदमा कायम कराना यह लोकतंत्र की हत्या जैसा काम है। साथ ही काशी प्रधानमंत्री जी का संसदीय क्षेत्र है प्रधानमंत्री जी इस प्रकरण को संज्ञान में ले व अपने विधायक जी के वास्तविक स्तिथी को जनता के समक्ष स्पष्ट कराये साथ ही एक सच्चे जनप्रतिनिधि से यह उम्मीद रखी जाती है कि वह आलोचना सहन करने का ही नहीं, उसका स्वागत करने की भावना रखे जनमानस की आवाज का सम्मान लोकतंत्र की मर्यादा है इस गरिमा को बनाये रखे।

 


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