प्रभारी अपर सत्र न्यायाधीश संजीव सिन्हा की अदालत ने मोटरसाइकिल चोरी व 7 बरामदगी के साथ कुटरचीत नंबर प्लेट, इंजन नंबर व चेचिस नंबर के मामले में अभियुक्त मडुवाडीह थाना निवासी गोविन्द यादव द्वारा 60 - 60 हजार का व्यक्तिगत बंधपत्र व समान धनराशि की दो जमानतें देनें पर जमानत याचिका मंजूर कर ली। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से विद्वान वरूण प्रताप सिंह ने पक्ष रखा।
अभियोजन के अनुसार मधुरेन्दर कुमार पंडित एन - 12 /375L-9 शिवरतनपुर थाना भेलूपुर निवासी ने भेलूपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी थी कि मैने अपनी क्लिनिक ककरमत्ता स्थित प्रदीप कटरा में है। मैंने 11 अगस्त 2020 को समय 8:30 बजे अपनी मोटरसाइकिल नंबर यूपी 32 सिटी 5903 बजाज पल्सर, काला रंग क्लिनिक के सामने ओवर ब्रिज के नीचे खड़ी करके अपने दांत के अस्पताल में चला गया। समय करीब 9:30 बजे जब घर जाने के लिए अस्पताल से निकला तो देखा कि जहां गाड़ी खड़ा किया था वहां नहीं थी। अस्पताल के लोगों से पूछा लेकिन पता नहीं चला मेरी गाड़ी चोरी हो गई है।
अदालत में अभियोग के तरफ से विद्वान अधिवक्ता वरुण प्रताप सिंह ने दलील दी कि आवेदक अभियुक्त गोविन्द यादव की प्रथम जमानत प्रश्नपत्र है। उपरोक्त प्रार्थना पत्र के अलावा अन्य किसी भी उच्च/ उच्चतम न्यायालय में कोई भी प्रार्थना पत्र विचारणीय या निस्तारित नहीं है। उपरोक्त अपराध में आवेदक को विधि विरुद्ध आधारों पर निरुद्ध कर दिया है। वास्तविकता यह है कि अभियुक्त अन्य अपराध में कारागार भदोही में निरुद्ध था तथा उपरोक्त अपराध में प्रार्थी को तलब कर रिमांड निरुद्ध किया गया है, जबकि अभियुक्त का उपरोक्त घटना से कोई संबंध नहीं है। घटना से संबंधित कोई भी मोटरसाइकिल बरामद नहीं हुई है। अभियुक्त द्वारा ना तो कोई चोरी की गई है और ना ही ऐसी किसी घटना से अभिव्यक्त का संबंध है और ना ही अभियुक्त किसी कथित किसी अन्य अभियुक्तगण के साथ मिलकर उपरोक्त घटना कारित की हैं और न ही उनसे वादी अभियुक्त का कोई संबंध है। उपरोक्त घटना से संबंधित कोई भी बरामदगी अभियुक्त के पास से नहीं है। अभियुक्त उपरोक्त अपराधों में जिला कारागार में निरुद्ध है।
कोर्ट ने अभियुक्तों के विद्वान अधिवक्ता वरूण प्रताप सिंह तथा जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी की बहस को सुना गया। अभियोजन के समस्त प्रपत्रों के अवलोकन से स्पष्ट है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट अज्ञात में दर्ज है। वादी अभियुक्त गोविन्द यादव के कब्जे से मोटरसाइकिल बरामद नहीं है। उसके संस्वीकृत के आधार पर कारवाई की गई है। उस बरामदगी का कोई स्वतंत्र साक्षी नहीं है। अभियुक्त लगभग 14 महीने से जिला कारागार में निरुद्ध है। अतः प्रस्तुत मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिकोण रखते हुए बिना गुण दोष पर विचार किया जमाना शर्तों के अधीन स्वीकृत की जाती है।