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कैट की माँग पर अब नेट टैक्स पर देना होगा ब्याज



 27/Aug/20

कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की मांग पर सरकार द्वारा एक अध्यादेश के माध्यम से फाइनेंस एक्ट 2019 की धारा 1 की उपधारा 2 में प्रदत्त अधिकार का प्रयोग करते हुए जीएसटी के अंतर्गत ब्याज लेने के तरीके में बदलाव किया गया है।

प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र गोयल ने बताया कि जीएसटी की केंद्रीय वास्तु एवं सेवा कर की धारा 50 की उपधारा (1) के अनुसार अभी तक लेट रिटर्न जमा करने पर व्यापारी से ग्रॉस टैक्स पर 18% की दर से ब्याज माँगा जाता था जो सर्वथा अनुचित था इसको लेकर जीएसटी की लॉ रिव्यु कमिटी के सदस्य एवं कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल जी ने इसको उठाया था और इसको ग्रॉस टैक्स की जगह नेट टैक्स पर लिए जाने को कहा था। जिस पर 2018 में जीएसटी कौंसिल ने सैद्धांतिक रूप से सहमति दे थी किन्तु नोटिफिकेशन ना जारी होने से व्यापारियों को कोई राहत नहीं मिल पा रही थी।

एक अध्यादेश के माध्यम से इसमें संशोधन करते हुए नेट टैक्स पर ब्याज लेने का आदेश जारी कर दिया गया है जो 1 सितम्बर 2020 से लागू होगा। ध्यान देने योग्य बात यह है कि ब्याज की देनदारी का समायोजन सिर्फ कैश लेजर से ही होगा।

कैट वाराणसी के जिला अध्यक्ष शैलेश वर्मा ने कहाकि पूर्व में सभी व्यापारियों पर ब्याज की मांग बनती थी जिन पर टैक्स बनता हो अथवा नहीं, किन्तु इस बदलाव से केवल उन्हीं व्यापारियों से ब्याज की मांग की जाएगी जिन पर टैक्स की देनदारी बनती है। शैलेश वर्मा ने कहाकि यद्यपि इस 1 जुलाई 2017 से लागू किया जाना चाहिए पर फिर भी यह निर्णय स्वागत योग्य है।

 


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