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प्राइम क्लासेज में 300 छात्रों ने जेईई मेन परीक्षा में पायी सफलता : राजीव मिश्र

नम्रता पाण्डेय

 04/May/18

शिक्षा समाज का प्रमुख आधार है और यह व्यापक रूप से समाज के उत्थान में बुनियाद बनने में सहायक होती है। शिक्षा के जरिए बच्चे अपने अंदर मौजूद ऊर्जा का इस्तेमाल करके योग्य बनते हैं। अगर व्यवसायिक शिक्षा की बात करें तो बनारस कबीरनगर कोचिंग का हब बन चुका है। लंबे-चौड़े वादों व इरादों के साथ हर वर्ष एक नयी कोचिंग खुलती है तो कई कोचिंग संस्थाओं के गेट पर ताले लटके नजर आते हैं। कबीरनगर में विगत् कई वर्षों से कुछ कोचिंग संस्थाएं ऐसी है जो विगत् कई वर्षों से पूरी ईमानदारी के साथ कोचिंग चला रही हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बच्चों को तैयार कर रही है।

प्राइम क्लासेज विगत् कई वर्षों से कबीरनगर में अपनी एक पहचान के साथ मजबूती से खड़ी है। चूंकि अच्छे रैंक के बच्चे बड़ी कोचिंग संस्थाओं में चले जाते हैं और जो बच्चे कम रैंक प्राप्त करने वाले हैं वो छोटी कोचिंग संस्थाओं में जाते हैं। अगर देखा जाए तो उन बच्चों के साथ ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। जितने मेहनत बच्चे अपने प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए करते हैं उससे कहीं ज्यादा मेहनत शिक्षकों को उन्हें सफल बनाने के लिए करना पड़ता है।

वाराणसी कबीर नगर स्थित प्राइम क्लासेज के निदेशक राजीव मिश्र ने क्लाउन टाइम्स से एक अनौपचारिक बातचीत में जेईई मेन-2018 के परीक्षाओं में प्राइम क्लासेज की सफलता के बारे में बताते हुए कहा कि कुल 800 विद्यार्थी फाण्डेशन और टार्गेट के लिए परीक्षाओं की तैयारी हेतु संस्था में पंजीकृत हैं, जिनमें से 300 छात्रों ने जेईई मेन की परीक्षा में सफलता प्राप्त किया।

विगत् 11 वर्षों से प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करवा रहे प्राइम क्लासेज के निदेशक जिन्होंने बीएचयू से बीटेक तक की शिक्षा प्राप्त की। शिक्षणोपरान्त रिलायन्स, विप्रो की लगी-लगाई नौकरी छोड़कर शिक्षा के क्षेत्र में आत्मसंतुष्टी हेतु पदार्पण किए। श्री मिश्र के अनुसार नौकरी छोड़ना एक कठिन निर्णय था, कारण कोचिंग के क्षेत्र में सफल होना संदिग्ध था। परन्तु शिक्षा के क्षेत्र में कुछ करने की चाहत ने प्राइम क्लासेज की शुरूआत कराई। इंजीनियरिंग व मेडिकल के साथ-साथ फाण्डेशन की भी तैयारी संस्था में कराई जाती है।

जेईई मेन रिजल्ट पर प्राइम क्लासेज के निदेशक राजीव मिश्र व स्काई के पंकज की सीधी बात के लिये इस वीडिओ को देखें

1 से 5 तक के नम्बरों के खेल में नहीं पड़ते

वाराणसी विगत् कुछ वर्षों में कोचिंग हब के रूप में उभर कर सामने आया है। प्राइम क्लासेज जेईई मेन की मौजूदा परिणाम में नम्बर 1 से 5 तक में अपने आपको कहाँ पाता है के सवाल पर राजीव मिश्र कहते है कि वह नम्बरों के खेल में नहीं पड़ते। वो उन बच्चों को प्रवेश परीक्षाओं के लिए तैयार करते हैं जो सबसे न्यूनतम 75 प्रतिशत आवश्यक परीक्षा में बैठने वाले मार्क्स की आर्हता को प्राप्त करते हैं जबकि ज्यादातर कोचिंग जो नम्बरों के खेल में 1-2-3 हैं वो 90 प्रतिशत पाने वाले विद्यार्थियों को अपने यहाँ रजिस्टर्ड करते हैं जिनसे रिजल्ट प्राप्त करना आसान है ।

आज कोचिंग की सफलता वहाँ प्रवेश लेने वाले छात्र और सफल होने वाले छात्रों से होती है जबकि होना यह चाहिए कि कोचिंग को स्टैबल करने वाले का बैकग्राउण्ड क्या है, उनकी फैकल्टी क्या है और उनका कोर्स मैटेरियल क्या है, इसके आधार पर होना चाहिए। श्री मिश्र ने यह बताया कि ज्यादातर कोचिंग सफल बच्चों के आधार पर अपनी सफलता जोड़ते हैं। एक बड़े कोचिंग संस्था का नाम न लेते हुए कि 7 हजार से लेकर 8 हजार विद्यार्थियों का एडमिशन लेते हैं और रिजल्ट महज कुछ सौ के ही होते हैं यह कितना उचित है। आज सफलता का विज्ञापन छपवाने वाले ऐसे कोचिंग संस्थान अगर वास्तव में पारदर्शिता अभिभावकों के सामने रखना चाहते हैं तो जब ये अपने क्लास को शुरू करते हैं, उस समय उनके पास 90 प्रतिशत, 80 प्रतिशत और 75 प्रतिशत के कितने बच्चे हैं उनके नाम और संख्या को क्यों नहीं प्रकाशित करवाते ताकि रिजल्ट निकलने के बाद उनकी सफलता की सच्चाई जनता के सामने आ सके।

कबीर नगर में संचालित कोटा टू काशी के निदेशक राहुल शुक्ल द्वारा प्राइम के जेईई मेन रिजल्ट के सवाल पर कहा कि कोई मेरे बारे में क्या कहता है मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता ।जिस बच्चे के रिजल्ट पर सवाल उठाया गया है, वह बच्चा हमारे कोचिंग में प्री-फाउण्डेशन का छात्र रहा है। इसके साथ ही वह हमारे आफलाइन टेस्ट सीरिज को भी ज्वॉइन किया था। मेन्स के रिजल्ट आने के बाद हमें लिखित रूप से बच्चे के अभिभावक द्वारा कहा गया था कि अनुराग जायसवाल के सफलता का श्रेय प्राइम को जाता है इसके बाद ही हमने विज्ञापन प्रकाशित कराया ।


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