अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, बिनीत सिंह व बृजपाल सिंह यादव रहें।
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (चतुर्थ) की अदालत ने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के करीबी मेराज अहमद खान ऊर्फ भाई मेराज को बड़ी राहत दी। अदालत ने मंगलवार को मेराज के घर कुर्की करनें के लिए पुलिस की ओर से दी गई याचिका खारिज कर दी। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, बिनीत सिंह व बृजपाल सिंह यादव ने दलील दी कि पुलिस नियमों की अनदेखी कर मनमाने ढंग से कुर्की का आदेश प्राप्त करने के लिए प्रार्थना पत्र दी है, जबकि सीआरपीसी - 82 की कार्रवाई पूर्ण होने के एक माह बाद थी सीआरपीसी- 83 के लिए प्रार्थना पत्र दिया जा सकता है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि विवेचक की ओर से दिये गये प्रार्थना पत्र से स्पष्ट होता है कि पुलिस ने आरोपित के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा- 82 के अंतर्गत जारी आदेशों का नियमानुसार पूर्ण रूप से पालन नहीं किया गया है। साथ ही कार्यालय लिपिक से प्राप्त आख्या को व्यक्तिगत रखतें हुए विवेचक द्वारा दिये गये दंड प्रक्रिया संहिता की धारा- 83 के तहत आदेश जारी किया जाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है। ऐसे में विवेचक की प्रार्थना पत्र निरस्त की जाती है।
बता दें कि मुख्तार अंसारी के करीबी मेराज अहमद ऊर्फ भाई मेराज ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर कुट रचना करते हुए अपने सशस्त्रो का नवीनीकरण कराया था। इस मामले में जांच के बाद जैतपुरा थाने में मेराज अहमद के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 470, 471, 216 एवं 120 बी आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में मेराज अहमद के फरार होने के चलते उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करते हुए उसके घर कुर्की की नोटिस चस्पा की गई थी। इसके बाद भी मेराज अहमद के कोर्ट में हाजिर न होने पर मंगलवार को मामले के विवेचक ने प्राथना पत्र देकर उसके समस्त चल अचल संपत्ति को कुर्की करनें की अदालत से आदेश देने की अपील की थी।