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धरोहर आंदोलन की मुहिम तेज करने के लिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से संकटमोचन के महंत विश्वम्भर नाथ की हुई वार्ता

सुरेश प्रताप, वरिष्ठ पत्रकार

 07/May/18

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और संकटमोचन के महंत विश्वम्भर नाथ मिश्र के बीच रविवार को सायंकाल तुलसीघाट पर महंत जी के आवास पर हुई वार्ता में 7 मई, 2018 को सायंकाल अस्सीघाट से वरुणा संगम तक गंगाघाट के किनारे-किनारे आयोजित पदयात्रा को सफल बनाने, हस्ताक्षर अभियान चलाने तथा काशीवासियों को आन्दोलन से जोड़ने पर आम सहमति रही. कहा हमें नहीं चाहिए जापान का "क्योटो" !! अब पक्कामहाल के किसी घर या मंदिर पर नहीं चलना चाहिए हथौड़ा !!

संकट मोचन के महंत प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र ने कहा कि शासन की योजना सामनेघाट से राजघाट तक काॅरिडोर बनाने की ही. जिसे अभी वो उजागर नहीं कर रहे हैं. काशी की पूरी पहचान, धरोहर व संस्कृति को नष्ट कर "क्योटो" बनाना चाहते हैं, जिसका डटकर विरोध किया जाएगा. कहा काशी टूरिस्ट प्लेस नहीं बल्कि धार्मिक व आध्यात्मिक राजधानी है. और यहां लोग शांति प्राप्त करने की तलाश में आते हैं.

बीएचयू चिकित्सा विग्यान संस्थान के डाॅ. बीएन मिश्र ने अपनी यूरोप यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि जर्मनी, इंग्लैंड, फ्रांस आदि देशों में लोग अपनी पुरानी बस्तियों, गलियों व भवनों को बचाने व सुरक्षित रखने की योजनाएं बना रहे हैं. वहां पुरानी बस्तियों में अब भी गलियां सुरक्षित हैं और यहां पक्कामहाल को जमींदोज करने की योजना बन रही है.

बातचीत लगभग एक घंटे तक चली. वार्ता में वरिष्ठ पत्रकार पद्मपति शर्मा, राजेन्द्र तिवारी, राजकुमार सिंह, राजनाथ तिवारी, एके लारी, मुन्ना मारवाड़ी, पदमाकर पांडेय आदि भी मौजूद रहे. पद्मपति शर्मा ने आन्दोलन में राजनीतिक दलों के हस्तक्षेप पर कड़ी आपत्ति जताई. कहा कि कुछ नेता टाइप के लोग आन्दोलन के मंच को हाईजेक करने की कोशिश कर रहे हैं.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि आन्दोलन में आने से किसी को रोका नहीं जा सकता है. लेकिन राजनीतिक लोगों को अपनी टोपी उतारकर आना पड़ेगा. उन्होंने काशीवासियों से अपनी संस्कृति व पहचान को बचाने के लिए एकजुट होने तथा सोमवार यानी 7 मई, 2018 को सायंकाल 4 बजे अस्सीघाट से आयोजित पदयात्रा को सफल बनाने की अपील की.
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