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वाहन बाजार को रफ्तार मिलने की आशा : गिरीश गुप्ता



 27/Oct/20

कोरोना वायरस के चलते देशव्यापी लॉकडाउन के कारण सभी कारोबार मंदी के दौर से गुजर रहे हैं। अनलॉक होने के बाद सभी कारोबारी अपने कारोबार को पटरी पर लाने की जुगत में हैं। ऑटोमार्केट भी नई जान फूंकने के लिये ग्राहकों को कई प्रकार की स्कीम्स से लुभाने की कोशिश में हैं। सेल्स के हिसाब से बेहद कमजोर साल झेलने के बाद नये वित्तवर्ष के पहले महीने अप्रैल में बिक्री जीरो रही। आने वाले समय में ऑटो कम्पनियां सौ प्रतिशत ऑन रोड फाइनेंसिंग इंस्टालमेंट हॉलीडे और ऑटोलोन रिपेमेन्ट एश्योरेंस जैसे ऑफर दे सकती हैं। कोविड 19 की वजह से हुए लॉकडाउन के चलते सैलरी कट और जॉब लॉस के डर के बीच लोगों को फिर से गाड़ियां बेचने की कोशिश में जुटी हैं।

क्लाउन टाइम्स ने शहर के जाने-माने सुजुकी टू व्हीलर शोरूम के अधिष्ठाता गिरीश गुप्ता से खास बातचीत की जिसमें उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के बाद सबसे बड़ी समस्या यह रही कि मार्च माह में बीएस 4 वाहनों को बैन कर दिया गया। लेकिन एसोशिएन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका के बाद  दस प्रतिशत वाहन बेचने की अनुमति मिली। बीएस 4 और बीएस 6 वाहनों के कीमत के बीच दस हजार रूपये का अन्तर था जो बिक्री ना होने का एक बड़ा अन्तर बना। मई और जून माह में पचास प्रतिशत से भी कम बिक्री हुई। जुलाई माह से अब तक इंक्वायरि में हुई बढ़त के हिसाब से थोड़ा बाजार में बढ़त की उम्मीद जगी है लेकिन अगस्त माह में पितृपक्ष की वजह से सेल में ग्रोथ नहीं हुई। आगे उन्होंने बताया फिलहाल ग्राहकों के रूझान को देखते हुए सुजुकी ने कई सारी योजनाएं ग्राहकों के लिये तैयार की हैं। जिसमें ईनाम के रूप में स्विफ्ट डि़जायर है, डीलर्स के लिये 2 ग्राम सोने और 10 ग्राम चांदी के सिक्के ईनाम के रूप में रखे गये हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि आने वाले त्योहारी सीजन के कारण ही नहीं बल्कि इस कोरोना काल की वजह से आम आदमी पब्लिक ट्रांसपोर्ट से किनारा करना चाहता है। जिसके कारण छोटी गाड़ियों की बिक्री को रफ्तार मिलने की उम्मीद है। एक तरह के रूझान के बारे में उन्होंने विश्लेषण करते हुए कहा कि इस समय एक प्रकार का नया ग्राहक जो कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट से चलना ही पसंद करता था उसका रूझान दो पहिया या चार पहिया वाहनों की तरफ बढ़ा है। साथ ही ऑटोमोबाईल इंडस्ट्री को रफ्तार देने के लिये फाइनेंस और इंट्रेस्ट रेट को और आकर्षक किया जा रहा है। सरकार से मांग करते हुए उन्होंने कहा कि फाइनेंस मिनिस्ट्री को इस दुविधा को देखते हुए जीएसटी रेट में कमी करनी चाहिए। साथ ही बिजली भुगतान की व्यवस्था में कुछ छूट करनी चाहिए।


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