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बीएचयू में ‘अमृत’ ने डॉक्टरों की दलाली पर कसा है शिकंजा : डॉ. ओपी उपाध्याय

मुख्य संवाददाता

 23/Mar/17

जब से केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है तब से महामना मदन मोहन मालवीय की तपस्थली काशी हिन्दू विश्वविद्यालय चर्चा के केन्द्र में रहा है। खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा महामना के आर्दशों को न केवल याद किया गया बल्कि उन्हें भारत रत्न जैसे सम्मान से सम्मानित करने से स्वयं वे भी खुद को गौरववान्वित महसूस किया । वाराणसी के सांसद पीएम मोदी के लिये अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में विकास के साथ-साथ बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान को निरन्तर आगे बढ़ाने की सोच के साथ हर तरह से सहयोग करने का निरंतर प्रयास किया। जहाँ एक ओर बीएचयू अपना शताब्दि वर्ष मना रहा है। वहीं दूसरी ओर बीएचूय चिकित्सा विज्ञान संस्थान अपना 57 वां स्थापनोत्सव मनाने के साथ ही अपने तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के माध्यम से संस्थान की उपलब्धियों को भी प्रदर्शित कर रहा है। पूरे विश्व में महामना की तपस्थली सर्व विद्या की राजधानी के रूप में विख्यात है, वहीं दूसरी ओर चिकित्सा विज्ञान संस्थान की विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवएं पूर्वांचल ही नहीं बिहार, झारखण्ड सहित आसपास के अन्य प्रदेशों के मरीजों की बेहतर चिकित्सा सेवाओं के लिये विख्यात है। चिकित्सा सेवाओं की आड़ में बीएचयू के कुछ चिकित्सकों पर अक्सर आपरेशन, दवाओं और जाँच के नाम पर लखों की कमीशनखोरी का भी आरोप लगता रहा है। डॉक्टरों की लम्बी-चौड़ी फौज के आगे बीएचयू प्रशासन कोई भी कड़ा ऐक्शन लेने से हमेशा बचता रहा। जब से केंद्र में भजपा की सरकार बनी और बीएचयू के कुलपति गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने कार्यभार ग्रहण किया और साथ ही आईएमएस के चिकित्सा अधिक्षक की जिम्मेदारी डॉ.ओपी उपाध्याय ने सम्भाली है तब से काफी हद तक हॉस्पिटल में दलालों और कमीशनखोरों पर अंकुश लगाने की कोशिश की गई। जिसका परिणाम है ‘अमृत’ नाम से दवा के दुकान की स्थापना का होना। इन तमाम सवालों पर आईएमएस के चिकित्सा अधिक्षक डॉ. ओपी उपाध्याय ने क्लाउन टाइम्स से एक अनौपचारिक बातचीत में इस बात को स्वीकार किया कि लंका की दवा के दुकानदारों के दलालों की लम्बी चौड़ी फौज अक्सर हॉस्पिटल के अन्दर डॉक्टरों के चेम्बर के आसपास मडराते रहते थे, जिन पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा चुका है। ओपीडी के बाहर बहुत जल्द ऑटो डिस्प्ले सिस्टम से युक्त कैमरे लगाने जा रहे हैं। जिसके माध्यम से बाहरी दवा के दुकानदारों के दलालों पर काफी हद तक अंकुश लगाने में सहूलियत होगी। दवा कम्पनीयों के एमआर को केवल शनिवार के दिन तीन बजे के बाद उन्हें डॉक्टर के चेम्बर में मिलने की अनुमति है।

कीमोथैरिपी के नाम पर डॉक्टर करते थे लाखों की कमाई

खासकर कैंसर जैसे अतिगंभीर जानलेवा बीमारियों के चलते अपनी जिन्दगी से जूझ रहे 40 से 50 मरीजों का कीमोथैरिपी के नाम पर प्रतिदिन विभाग के डक्टरों और लंका के प्रमुख दवा प्रतिष्ठान ‘अमर फार्मा ’ के प्रमुखकी मिलीभगत के चलते वर्षों से शोषण का शिकार होना पड़ रहा था। इस गोरख धंधे के चलते जो दवायें पहले ‘अमर फार्मा ’ में 53 हजार की मिलती रही थी अब वो अमृत की माध्यम से महज 13 हजार में उपलब्ध हो रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्रतिदिन कैंसर के मरीजों से लगभग 8 से 10 लाख की अवैध कमाई सीधे डॉक्टरों की जेब में जाती रही जिस पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा चुका है। कहा कि “ अमर फार्मा” लंका के तुलना में अब

“ अमृत ” एक चौथाई दाम में दवायें मिलती हैं।

दिल के इलाज के नाम पर हर रोज हो रहा था लाखों का खेल

ऐसी ही दलाली का खेल हृदय रोग विभाग के कैथलैब में वर्षों से फल-फूल रहा था। जहाँ एनजीओग्राफी के दौरान नसों में खून के अवरोध को हटाने के लिये डाक्टरों की मिलीभगत से भारत के बाहर की नामीगिरामी कम्पनियों के स्टैंट सवा से डेढ़ लाख रूपये में धड़ल्ले से बेचे जा रहे थे, वही स्टैंट केवल 29 हजार रूपये में उपलब्ध हैं। इसकी आड़ में भी हर डॉक्टर प्रतिदिन लाखों रूपये केवल स्टैंट लगाने के नाम पर अवैध कमाई करता रहा। जहाँ विभिन्न विदेशी कम्पनीयों के दलाल सीधे कैथलैब में डॉक्टरों की मिलीभगत से डटे रहते थे, अब वे “अमृत” की व्यवस्था के चलते भाग खड़े हुये हैं।

अमृत के चलते कैंसर और दिल के मरीजों का सस्ता हुआ इलाज

अमृत के बारे में बताते हुए डॉ. ओपी उपाध्याय ने कहा यह योजना स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार के निर्देश पर एचएलएल द्वारा संचालित हो रही है। जिसे अफर्डेबिल मेडिसीन एण्ड रिलायबुल इनप्लांट फॉर ट्रीटमेंट को ही अमृत कहते हैं। एचएलएल दवा निर्माण की मैन्यूफैक्चरिंग कम्पनीयों से राष्ट्रीय स्तर पर नेगोसीयेट करती है। जिसके परिणाम स्वरूप न्यूनतम रेट पर थोक के भाव दवाओं की खरीदारी की जाती है। उस पर 4 से 10 प्रतिशत तक फायदा लेकर दवायें मरीजों को उपलब्ध कराई जाती है।

पीएम मोदी ने करोड़ों रूपये दिया है बीएचयू अस्पताल को

दवाओं की अवैध कालाबाजारी रोकने के लिये बीएचयू प्शासन ने वर्षों पहले हॉस्पिटल में ही उमंग फॉर्मेसी के माध्यम से काफी सस्ती कीमत पर दवाओं की बिक्री की जा रही है। जब से वाराणसी के सांसद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कार्यभार ग्रहण किया है। तब से बीएचयू की चिकित्सा विज्ञान संस्थान के द्वारा संचालित होने वाले हॉस्पिटल की सुविधों में काफी कुछ बढ़ोत्तरी की है। जहाँ पहले प्रतिवर्ष प्रति बेड 1 लाख रूपये मिलता रहा उसे अब 2 लाख कर दिया गया है। नर्सों की भारी कमी को पूरा करने के लिये 500 नर्सों की नियुक्ति की गई। सुपर स्पेशलिटी सुविधा युक्त हास्पीटल के लिये 2 सौ करोड़ धनराशि केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया है, जिससे नया चिकित्सालय बन रहा है। कैंसर अस्पताल के लिये प्रधानमंत्री द्वारा 6 सौ करोड़ रूपये स्वीकृत किया गया जिससे अतिशीघ्र सभी सुविधाओं से युक्त अस्पताल बनकर तैयार हो जायेगा। साथ ही 103 करोड़ रूपये टेली मेडिसीन सुविधा के लिये स्वीकृत हुआ है, जिसके माध्यम से वेस्ट बंगाल, बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा आदि स्टेट के मरीजों को यहाँ के डॉक्टरों के साथ एक्सपर्ट ओपिनियन के लिये सम्पर्क करने की दिशा में बड़ी ठोस पहल होने जा रही है। ऐसी सुविधा बीएचयू के डॉक्टर भी पूरे विश्वभर के डॉक्टरों से एक्सपर्ट ओपिनियन ले सकते हैं।

बीएचयू में वर्षों से संचालित हो रहे सिटी स्कैन विभाग में अतिरिक्त वसूली के सवाल पर कहा कि जो एमओयू साईन हुआ था, उसकी शर्तो के अनुसार घाटा होने की दशा में उसमें परिवर्तन किया गया था। जिसे अब संशोधित किया जा चुका है। यह निर्णय बकायदा कमेटी के द्वारा किया गया था। बीएचयू के डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस के सवाल पर कहा कि जिस प्रकार पूरे समाज में गिरावट हो रही है। उसी का असर यहाँ के डॉक्टरों पर भी पड़ रहा है।

क्लाउन टाइम्स डिजिटल मीडिया के लिये रीपोर्टर पूजा कपूर से सीधी बात

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गरीब मरीजों का होगा मुफ्त इलाज

आने वाले दिनों में बीएचयू के हॉस्पिटल में एक ही छत के नीचे सभी तरह की जाँच की सुविधायें उपलब्ध होंगी। गरीब, बीपीएल कार्ड धारक मरीजों के मुफ्त इलाज की सुविधा देंगे। राष्ट्रीय आरोग्य निधि के तहत केन्द्र सरकार से अनुदान आने वाला है। जिसके तहत 10 हजार से कम आय वाले मरीजों को तहसीलदार के प्रमाण पत्र के आधार पर नि:शुल्क चिकित्सकी सुविधा दी जायेगी।

एम्स जैसी सुविधा के लिये हो रहा है प्रयास

बीएचयू को एम्स का दर्जा दिये जाने के सवाल पर कहा कि संस्थान के हित में एम्स जैसी सुविधाओं के लिये हम लोग निरन्तर प्रयासरत हैं। विश्वविद्यालय प्रबन्धन की कोशिश है कि यदि 10 लाख रूपये प्रति बेड वार्षिक सुविधा मिले तो मरीजों को सारी सुविधायें एम्स जैसी दी जा सकती हैं।

बीएचयू में भी विभिन्न ऑपरेशनों के लिये ओटी पैकेज माध्यम से शुल्क निर्धारित किया जायेगा। जिससे ऑपरेशन के नाम पर मंगाई जान वाली सामग्री तथा दवाओं के नाम पर हो रही दलाली पर काफी हद तक अंकुश लगाया जायेगा। साथ ही कैशलेस की भी सुविधा दी जायेगी।

कुल मिलाकर बीएचयू का अस्पताल पूर्वांचल तथा बिहार, झारखण्ड और उसके आसपास के गरीब और मध्यम वर्ग के मरीजों की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिये जाना जाता है। किन्तु यहाँ आने पर मरीज और उनके परिजन स्वयं को असहाय महसूस करते हैं, हर ओर उन्हें ठगने की जुगत में डॉक्टरों के इर्द‌ - गिर्द मडराने वाले दलाल और पैथलॉजी सेन्टर वाले लपकने में लगे रहते हैं। इतना ही नहीं आसपास के प्राईवेट हॉस्पिटलों के दलाल भी सूटेट-बूटेट टाई लगाये उन्हें बेहतर चिकित्सा के नाम पर अक्सर अपने जाल में फंसा कर मोटी रकम ऐंठने में कामयाब हो जाते हैं। जैसा कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में अब सूबे की भाजपा सरकार के चलते योगी राज का आगाज हो चुका है। ऐसे में लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने वाले लोगों पर अंकुश लगने की पूरी उम्मीद के साथ आशा की नई किरण नजर आने लगी है।

 

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