कोरोना काल के चलते हुए लॉकडाउन ने हर खासो आम से लेकर हर कारोबार को भारी नुकसान पहुँचाया। लेकिन शिक्षा क्षेत्र को जहॉं आर्थिक नुकसान पहुँचाया,वहीं छात्रों के विकास और शिक्षा को भारी नुकसान उठाना पड़ा खास कर प्राइमरी के छात्रों को व ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को काफी नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि डिजिटल के बारे में जहॉं उन्हें कोई जानकारी नहीं थी, वहीं सुविधाओं का भी आभाव रहा, इन्हीं सब बातों को लेकर क्लाउन टाइम्स ने मॉंउन्ट लिट्रा जी स्कूल के चेयरमैन प्रदीप विस्नोई से खास बात की।
कोविडकाल को प्राइमरी व सेकेन्ड्री के छात्रों के लिये सबसे मुश्किल भरा बताते हुए उन्होंने कहा कि इन छात्रों के लिये कोविड काल में पढ़ाई से कोई सरोकार नहीं रहा, क्योंकि केजी व अन्य छोटी क्लास के छात्रों को िफजिकली ही, शैक्षणिक विधाएं समझाई जा सकती है। इस लिये ऑनलाइन क्लास का उनके लिये कोई महत्व नहीं रहा साथ ही उन्होंने कहा कि वैसे तो ऑनलाइन क्लास ऑफलाइन क्लास का विकल्प नहीं, लेकिन बड़ी क्लास के छात्रों के लिये िफर भी यह आसान था। पूरे देश में कनेक्टिविटी की समस्या रही तो कहीं स्पीड की तो कहीं आभाव के चलते एन्ड्राइड फोन की या लैपटॉप के साथ ही घर पर पढ़ाई कराना यू भी मुस्किल रहा क्योंकि आम रोज मर्रा के काम भी घर पर लगातार होते रहे। टीचर्स के लिये भी यह समय काफी मुस्किलों भरा रहा क्योंकि मेहनत ज्यादा करनी पड़ी।
आने वाले समय के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे यहॉं हर प्रकार के तैयारी पूरी है, अब हम ऑललाइन व ऑफलाइन दोनों ही विधाओं में एक साथ कार्य कर सकते है।
कोविड काल में फीस को एक बड़ा संकट बताते हुए उन्होंने कहा कि स्कूल ने अपनी तरफ से पूरी मदद की लेकिन पेरेन्टस की तरफ से कोई सपोर्ट नहीं मिला सभी ने नाजायज फायदा उठाते हुए काफी बार्गेन किया िफर भी समय पर फीस जमा नहीं कराई, स्कूल की तरफ से िफर भी 80 प्रतिशत तक का डिस्कॉउन्ट किया गया।
नई शिक्षानीति को लेकर उनका मानना है कि नीतियॉं काफी बनाई जाती है और कई तारीफ के काबिल भी होती है लेकिन आखिरकार वे अमल में नहीं आ पाती और उनका कोई फायदा नहीं होता।
अन्त में उन्होंने कहा पेरेन्ट से अनुरोध है कि स्कूल प्रशासन को सपोर्ट करें क्योंकि टीचर्स ने बड़ा बुरा समय झेला लेकिन िफर भी हार नहीं मानी और पूरे कर्मठता से छात्रों के हित के लिए कठोर मेहनत की।