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ब्रेन स्ट्रोक का इलाज है संभव: अविनाश चंद्र सिंह



 06/Apr/21

भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के जीने का तरीका बदल गया है, खानपान का गलत तरीका, बिजी शेड्यूल, तनाव और अवसाद का कारण बन रही है। कम उम्र में ही लोगों में प्रतिरोधक क्षमता घटती जा रही है। वर्तमान समय में बढ़ते तनाव और बेढंग खान-पान से युवा न्यूरोलॉजिकल बीमारियों माइग्रेन, मिर्गी, ब्रेन इंफेक्शन और ब्रेन फीवर की चपेट में आ रहे हैं। इसमें कई बीमारियां ऐसी हैं जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो मरीज की जान तक जा सकती है, इनकी वजह से लकवा तक हो सकता है। न्यूरोलॉजी बीमारियों से संबंधित समस्याओं को लेकर क्लाउन टाइम्स ने शहर के प्रतिष्ठित शौर्य न्यूरोलॉजी के डॉ. अविनाश चंद्र सिंह से खास बातचीत। डॉ. अविनाश ने बताया कि आजकल की लाइफ स्टाइल के चलते सिर दर्द फिट्स एपिलेप्सी के साथ ही करोना के चलते स्ट्रेस के कारण एंग्जाइटी डिसऑर्डर स्ट्रोक तक की समस्या आम हो गई हैं। खून की नस फट जाने या ब्लॉक हो जाने की वजह से जो झुक जाता है अब इसका इलाज संभव है। मरीज को चार-पांच घंटे में क्लॉट ब्लास्टर दवा जिसे थ्रम्बोमलेसिस कहा जाता है देने से रिकवरी संभव है। लक्षणों को पहचानने के एक सवाल पर उनका कहना था कि यह थोड़ा डिफिकल्ट है क्योंकि यह समस्या अचानक ही होती है ब्लड प्रेशर, हार्ट के मरीज, अल्कोहल का सेवन करने वाले या निमोनेटिक लोगो को सावधानी की जरूरत है।

शिजोफ्रेनिया आजकल एक आम बीमारी हो गई है इसके बारे में उन्होंने बताया कि यह एक ऐसा विकार है जो व्यक्ति को स्पष्ट रूप से सोचने महसूस करने और व्यवहार करने की क्षमता को प्रभावित करता है। वैसे तो इसका सटीक कारण ज्ञात नही लेकिन आनुवंशिकी, वातावरण और मस्तिष्क की बदली हुई संरचना और रसायन एक भूमिका अदा करते है, इसमें सच्चाई से परे दिखाई देने वाले विचार या अनुभव होंगे। अव्यवस्थित बोलना या व्यवहार करना, दैनिक गतिविधियों में कम भाग लेना आदि लक्षण देखे जाते हैं। इस बीमारी में दवा लेने से लाभ अवश्य होता है लेकिन सारी उम्र दवा खानी पड़ सकती है। स्पाइनता मस्कुलर अट्रॉफी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि अब कुछ एडवांस जेनेटिक दवाओं के आने से टाइमली इलाज मिलने से एसएमए के मरीजों में सुधार होते देखा जा रहा है। बाहरी विकसित देशों मैं बर्थ के बाद स्क्रीनिंग और मॉनिटरिंग कंपलसरी हो गई है और बीमार की मिलते ही पाइन में एक पंक्चर करके दवा दी जाती है लेकिन भारत में यह प्रक्रिया काफी कीमती है। कोरोना महामारी के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि संयम रखें और भारतीय वैक्सीन पर भरोसा कर 45 वर्ष से अधिक सभी लोगो को वेक्सीनेशन करवा लेना चाहिए।


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