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सरकार आपदा में धन उगाही का अवसर तलाश रही : शैलेन्द्र सिंह



 28/Apr/21

बनारस समेत पूरे उत्तर प्रदेश में इस समय कोरोना महामारी की तीसरी लहर पूरी रफ़्तार में है । इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि काशी में दो श्मशान स्थल तो पहले से ही थे, लेकिन फिर भी कोरोना में लगातार हो रही मौतों ने इन दोनों श्मशान भूमि को भी नाकाफ़ी साबित कर दिया है ।

कोरोना की भयावहता का सबसे अधिक दंश हॉस्पिटल झेल रहे हैं। इसकी वजह है हॉस्पिटल्स में पर्याप्त सुविधाओं का न होना । अगर समय रहते केंद्र और राज्य सरकारें सजग हुई रहतीं तो शायद आज यह दिन न देखने को मिलता । बनारस में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनारस में पिछले दिनों डीआरडीओ के निर्देशन में हैंगर तकनीकी से बीएचयू के एमपी थियेटर मैदान में एक हजार बेड वाले कोविड हॉस्पिटल बनाने का जो निर्णय लिया गया वह देर से ही सही पे स्वागतयोग्य है, लेकिन यह बात एक आम बनारसी के समझ से परे है कि आख़िर वह कौन सी मजबूरी थी कि केंद्र सरकार ने करोणों रूपये सिर्फ एक मामूली से टेंट के लिए खर्च कर दिया ।

वस्तुतः हैंगर तकनीकी से बन रहे कोविड हॉस्पिटल को ठेठ बनारसी शब्दों में सिर्फ एक टेंट ही कहा जा रहा है । बनारस के लोगों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि आख़िर जब बीएचयू में ही हॉस्पिटल बनवाना ही था तो बीएचयू के पास कई ऐसी इमारतें, हॉस्टल और मल्टीपरपज हॉल पहले से ही उपलब्ध हैं जो टेंट से कहीं ज्यादे सुरक्षित, मजबूत और सुविधाजनक, आरामदायक और उससे कहीं ज्यादे कम खर्चीले साबित होते और साथ ही तुरंत शुरु करने की स्थिति में होते । जानकार यह भी बताते हैं कि बीएचयू में तो सिर्फ एक और एशिया का सबसे बड़ा और काफ़ी मशहूर बिरला हॉस्टल, जिसमे हजार से भी ज्यादे सुव्यवस्थित, आरामदायक कमरे उपलब्ध हैं, को ही अगर टेक ऑफ कर लिया गया होता तो अभी कब का वह रनिंग पोजिशन में होता । यह तो सिर्फ एक हॉस्टल की बात है । बीएचयू में ऐसे अनगिनत हॉस्टल, सुपरस्पेशियेलिटी वाले बड़े भवन हैं जो फिलहाल खाली हैं और उनका प्रयोग इस कार्य के लिए बड़े आसानी से किया जा सकता था ।

कुछ जानकर यह भी मानते हैं कि आज सरकार की कार्यशक्ति और इच्छशक्ति में बड़ा फर्क दिखता है । सरकारें कहती कुछ हैं और करती कुछ हैं। अगर ऐसा न होता तो फिर हैंगर तकनीकी से हॉस्पिटल बनाने जैसे मूर्खतापूर्ण निर्णय और उसमें करोणों की कमीसनखोरी जैसे अवसर क्यों तलाशे जाते । आखिर आपदा में अवसर इसे ही तो कहते हैं ।

वरिष्ठ कांग्रेसनेता एवं छावनी परिषद के उपाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह ने सरकार के इस कदम को तर्कसंगत न मानते हुए इसे भ्रष्टाचार और लूटखसोट का एक तरीका बताया जिससे कि आमजन को कोई विशेष लाभ नही मिलेगा । शैलेंद्र सिंह ने कहा कि अभी पिछले दिनों ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जी ने कहा था कि बनारस के कैंटोनमेंट ज़ोन में भी कोविड हॉस्पिटल साकार हो जाएगा । वहां भी कोविड मरीजों के लिए बेड तथा वैक्सीन आदि की व्यवस्था होगी,पर दुर्भाग्य की बात है कि अभी तक सरकार की घोषणाएं सिर्फ कागजों पर ही हैं जमीन पर कुछ भी नहीं । शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि उन्होंने इस आशय कि जानकारी राज्य सरकार, केंद्र सरकार और स्वास्थ्य महकमे को दी है पर अभी तक कोई सुध नहीं ली गयी । अगर सरकार में कोरोना से लड़ने की और अपने नागरिक समाज के जीवन सुरक्षा की फिक्र होती तो वह तर्कसंगत और व्यवहारिक निर्णय लेती जिसका फायदा बनारस की जनता को होता।

 


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