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जानेमाने वरिष्‍ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का 95 वर्ष की आयु में हुआ निधन



 24/Aug/18

पीएम मोदी से लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके निधन पर दुख जताया

देश के जानेमाने वेटरन पत्रकार, स्‍तंभकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, लेखक व ब्रिटेन में भारत के पूर्व उच्‍चायुक्‍त कुलदीप नैयर का 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उन्‍होंने 22 अगस्त बुधवार की रात 12.30 बजे दिल्‍ली के एस्कॉर्ट्स अस्पताल में आखिरी सांस ली। उनका अंतिम संस्कार 23 अगस्त गुरुवार दोपहर एक बजे किया जाएगा। नैयर ने 14 भाषाओं में 80 से ज्‍यादा अखबारों के लिए लेख लिखे हैं। स्तंभकार नैयर ने ‘बियॉन्ड द लाइन्स’ और ‘इंडिया आफ्टर नेहरू’ सहित कई किताबें भी लिखी हैं। आपातकाल और भारत-पाकिस्‍तान पर लिखी उनकी किताबों को रिसर्च में इस्‍तेमाल किया जाता है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नैयर के निधन पर दुख जताया। नैयर द्वारा अपाताकाल के खिलाफ उन्होंने जिस दृढ़ता से अपनी आवाज उठाने और समाज सेवा के साथ ही बेहतर भारत बनाने की उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता को भी याद किया। राष्ट्रपति ने कहा कि वे एक अनुभवी संपादक-लेखक, राजनयिक-सांसद और आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के एक दृढ़ समर्थक रहे, उनके पाठक उन्हें हमेशा याद करेंगे। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, “कुलदीप नैयर हमारे समय के एक बौद्धिक शख्स थे। विचारों से बेबाक और निडर। उन्होंने कई दशकों तक काम किया।” उन्होंने कहा, “आपातकाल के खिलाफ, समाज सेवा और बेहतर समाज बनाने की प्रतिबद्धता को देश हमेशा याद करेगा। उनके निधन से दुखी हूं। मेरी संवेदनाएं।” नैयर का जन्‍म ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के सियालकोट में 14 अगस्‍त 1923 को हुआ था। उन्‍होंने छात्रवृत्ति पाकर नॉर्थवेस्‍टर्स यून‍िवर्सिटी से पत्रकारिता की पढ़ाई की। नैयर ने 1948 में उर्दू के समाचार पत्र ‘अंजाम’ से पत्रकारिता की शुरुआत की थी। उन्होंने उस समय के गृह मंत्रियों गोविंद बल्लभ पंत और लाल बहादुर शास्त्री के प्रेस सूचना ब्यूरो में बतौर प्रेस अधिकारी भी काम किया। वह यूएनआई के संपादक और प्रबंध निदेशक भी रहे और ‘द स्टेट्समैन’ के संपादक भी रहे। उन्होंने ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘द टाइम्स’, ‘द स्पेक्टेटर’ और ‘ईवनिंग स्टार’ में भी काम किया। नैयर को बीते 54 वर्षो से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार एच.के.दुआ ने उन्हें अच्छा दोस्त एक महान पत्रकार बताते हुए कहा कि उनके निधन से पत्रकारिता पेशे के लिए अपूरणीय क्षति हुई है। कहा कि वे अंतिम समय तक काम करते रहे। 94 की उम्र में उन्होंने खबरों की दुनिया में अपनी रुचि बनाए रखी। वह खबरों में ही रचे-बसे रहते थे और अपने करियर में कई ब्रेकिंग स्टोरी की। उन्हें खबरों के पीछे की खबर की अच्छी समझ थी। कहा कि नैयर ने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति के कई अथक प्रयास किए और कैंडल लाइट प्रदर्शन आयोजित किया था। बताते चलें कि कुलदीप नैयर 1996 में वह संयुक्‍त राष्‍ट्र गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्‍सा बने। 1990 में उन्‍हें ब्रिटेन में भारत का उच्‍चायुक्‍त बनाया गया। कुलदीप नैयर को 1997 में संसद के ऊपरी सदन, राज्‍य सभा के लिए मनोनीत किया गया था।

क्लाउन टाइम्स की ओर से स्व. कुलदीप नैयर को श्रद्धांजलि


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