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धरोहर बचाने काशी के रण में 87 वर्षीय व्यास ने संभाला मोर्चा

सुरेश प्रताप सिंह (वरिष्ठ पत्रकार )

 17/Sep/18

पंडित केदारनाथ व्यास ने किया 17 सितम्बर को विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र के व्यासपीठ पर धरना देने का ऐलान !!

कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जबरदस्ती दे रहे हैं जन्मदिन का तोहफा !!

बनारस : पक्कामहाल क्षेत्र में विश्वनाथ मंदिर काॅरिडोर और गंगा पाथवे बनाने के लिए शासन-प्रशासन द्वारा मकानों को खरीदने और बुलडोजर से उन्हें गिराने का सिलसिला जारी है. धरोहर बचाने के लिए बनी संघर्ष समिति के साथी धीरे-धीरे आपसी अन्तरविरोधों के चलते अलग होते गए या फिर निष्क्रीय होकर घर बैठ गए हैं. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जो आन्दोलन से जुड़े थे और काफी सक्रिय थे, वह भी अब वृन्दावन चले गए हैं. धरोहर और मंदिर बचाओ आन्दोलन नेतृत्वविहीन हो गया है.

ऐसी स्थिति में अब "काशी के रण" में मोर्चा संभालने के लिए आगे आए हैं 87 वर्षीय पंडित केदारनाथ व्यास ! उन्होंने अपने वकील के माध्यम से 17 सितम्बर को धरना देने की सूचना प्रशासनिक अधिकारियों के पास भेजवा दी है. व्यास जी ने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी अपने जन्मदिन का "तोहफा" लोगों को जबरदस्ती देना चाहते हैं.

उल्लेखनीय है कि व्यास जी का घर 5-6 महीना पहले ही गिरा दिया गया था. उन्हें कोई मुआवजा भी नहीं मिला. अब वह अपने परिवार के साथ किराए की मकान में रहते हैं. 8 हजार रुपये महीना किराया देते हैं. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके पुत्र जितेन्द्र नाथ व्यास को लखनऊ बुलाया था और मुआवजा देने और पुनर्वास की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया था, लेकिन व्यवहार में हुआ कुछ नहीं.

दरअसल उनके मकान के बगल में प्रशासन ने 15-20 फुट गहरा गड्ढा खोदवा दिया था. जिससे घर की नींव कमजोर हो गई और उसमें सीवर का पानी भरने से दीवारें फट गई और एक दिन उनका घर भहराकर गिर गया.

व्यास जी पंडित मंडन मिश्र की परम्परा से जुड़े हैं. उल्लेखनीय है कि मंडन मिश्र का शास्त्रार्थ शंकराचार्य से हुआ था. उन्होंने काशी की महिमा और पंचक्रोशी परिक्रमा की विशेषता व महत्व पर कई महत्व पूर्ण पुस्तकें लिखी है. व्यास जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है. उन्हें अब रोशनी से "डर" लगने लगा है. 15 सितम्बर को सायंकाल मुन्ना मारवाड़ी के साथ जब हम व्यास जी से मिलने उनके घर पहुंचे तो वह एक छोटे से अंधेरे कमरे में बैठे थे. जिस कमरे में वह रहते हैं, उसमें वल्ब नहीं है. मोबाइल की रोशनी में उनसे बात हुई. लेकिन उनकी आवाज अब भी बुलंद और खनकदार है. वो धरना देने और मोर्चा संभालने के लिए तैयार हैं.

धरोहर बचाओ आन्दोलन से जुड़े मुन्ना मारवाड़ी भी आन्दोलन के साथियों के बिखर जाने से काफी निराश हैं. कहा कि कई सक्रिय साथी अब पक्कामहाल क्षेत्र में घर व जमीनों की खरीद-फरोख्त कराने के धंधे से जुड़ गए हैं. वो प्रशासन के बहकावे में आ गए हैं. यहां संयुक्त परिवारों में भाई-भाई के बीच झगड़ा लगाकर प्रशासन के लोग घर खरीदने की भूमिका तैयार कर रहे हैं. बिजली-पानी की लाइन काटकर लोगों को परेशान किया जा रहा है. जबकि पक्कामहाल क्षेत्र में विकास की शासन-प्रशासन की क्या योजना है किसी को नहीं पता है. राजनीतिक दल भी चुप्पी साधे हैं.

बनारस का पक्कामहाल : लोग नहीं चाहते तो पीएम मोदी उन्हें क्यों दे रहे हैं "तोहफा" !

बनारस : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को पक्कामहाल में विश्वनाथ मंदिर काॅरिडोर और गंगा पाथवे का तोहफा देना चाहते हैं. इसकी तैयारी सात-आठ महीने से शासन-प्रशासन के स्तर पर चल रही है. इस क्षेत्र के लगभग 183 घर खरीदे जा चुके हैं. उन घरों को भी खरीद लिया गया, जिसके अंदर मंदिर हैं. इसमें से 5-6 मंदिर और घर तोड़े भी जा चुके हैं.

इसके विरोध में क्षेत्रीय नागरिकों ने 5-6 महीने तक आन्दोलन चलाया. बीएचयू के प्रोफेसर सुधांशु शेखर की अध्यक्षता में पराड़कर भवन में धरोहर बचाओ संघर्ष समिति की बैठक हुई थी. जिसमें आन्दोलन की रूपरेखा पर विमर्श हुआ और रणनीति बनाई गई. 

बाद में इस आन्दोलन से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी जुड़ गए. उन्होंने पक्कामहाल की गलियों में पदयात्रा और लोगों से बातचीत करके वस्तुस्थिति की जानकारी ली. वो उन स्थलों पर भी गए, जहां मंदिर व घर तोड़े गए हैं. मंदिरों को तोड़े जाने से स्वामी जी बहुत व्यथित हुए और अपने को पूरी तरह से आन्दोलन में झोंक दिए. अस्सीघाट से राजघाट तक लगभग दस किलोमीटर की पदयात्रा करके लोगों को जागरूक करने की कोशिश किए. 12 दिल का उपवास और पंचक्रोशी पदयात्रा भी किए. स्वामी जी मंदिर बचाओ आन्दोलन शुरू कर दिए.

तोहफा से क्यों डरे हैं पक्कामहाल के लोग

पक्कामहाल के लोगों को लग रहा है कि उनके पैतृक आवास व दुकानों को तोड़कर उन्हें उजाड़ा जा रहा है. इससे उनका रोजगार चौपट हो जाएगा. यहां से 15-20 किलोमीटर दूर उन्हें बसाने की शासन-प्रशासन की योजना है. जिसके बड़े-बड़े सब्जबाग उन्हें दिखाया जा रहे हैं. लेकिन इस योजना पर अभी काम शुरू नहीं हुआ है. जबकि उनके घर, मंदिर, दुकान, गली आदि को तोड़ने की प्रक्रिया प्रशासन ने शुरू कर दी है. किसी का भी घर यदि बुलडोजर लगाकर तोड़ा जाऐगा तो "डर" लगना स्वभाविक है.

इसके अलावा पक्कामहाल की गलियों की अपनी एक जीवनशैली है. कदम-कदम पर यहां मंदिर हैं. प्रसिद्ध बाबा विश्वनाथ मंदिर इसी क्षेत्र में है. नीलकंठ मंदिर, संकठा मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर आदि उसी क्षेत्र में है. यह मोहल्ला गंगा जी के किनारे स्थित है. किसी भी गली में आप घुस जाइए, तो घूमते हुए गंगाघाट पर पहुंच जाएंगे. गलियां बनारस की संस्कृति और पहचान है. यह धरोहर है.

गली और मंदिर बनारस को लोग पहचानते हैं. इन पतली-सकरी गलियों में आवश्यकता की सभी वस्तुएं आपको मिल जाएंगी. गलियों की इस जीवनशैली को देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखों देशी-विदेशी पर्यटक यहां आते हैं. कुछ विदेशी पर्यटक तो आलीशान होटलों में नहीं बल्कि इन गलियों में ही रहना पसंद करते हैं. उन्हें अच्छा लगता है गलियों की भूलभुलैया में भटकना. सबको अपनी पहचान प्यारी है. लेकिन "विकास" अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ अब पक्कामहाल की गलियों के मुहाने पर दस्तक दे रहा है. जिससे लोग भयभीत हैं. क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी "विकास" के साथ खड़े हैं. लोग अपने को "ठगा" हुआ महसूस कर रहे हैं. आखिर जिसे तोहफा देना चाहते हैं, उसकी राय लेने से आप को घबड़ाहच क्यों हो रही है ? "विकास" का रूप इतना भयावह होगा ? इसकी कल्पना पक्कामहाल के लोगों को सपने में भी नहीं थी ! आखिर अपना ही घर-मंदिर बुलडोजर से तोड़वाकर "तोहफा" लेना कौन पसंद करेगा !!??

68वें जन्मदिन पर पीएम का तोहफा !!

बनारस के पक्कामहाल में 17 सितम्बर को पहुंचेगा विकास ! विश्वनाथ काॅरिडोर का पीएम करेंगे शिलान्यास ! मंदिर और गंगाघाट के बीच 60 मीटर चौड़ा और 500 मीटर लम्बा काॅरिडोर बनेगा. शिलान्यास के बाद 7 अक्टूबर से काम शुरू हो जाएगा ! शासन-प्रशासन इसके लिए 183 मकानें खरीद चुका है. काॅरिडोर मार्ग में आने वाले कुछ घर-मंदिर भी गिराए जा चुके हैं.

पुनश्चय : बनारस के 87 वर्षीय पंडित केदारनाथ व्यास अपने घर पर चौकी पर बैठे हुए. उनके बाएं बैठे हैं मुन्ना मारवाड़ी !!


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