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एलर्जी के खतरे से रहे सावधान, हो सकता हैं अस्थमा : डॉ. एस के पाठक



 10/Jul/21

ब्रेथ ईजी टी.बी, चेस्ट, एलर्जी केयर सेंटर अस्सी वाराणसी द्वारा आयोजित एक “पेशेंट एजुकेशन प्रोग्राम” में डॉ. एस.के पाठक (वरिष्ठ टी.बी, एलर्जी, फेफड़ा रोग विशेषज्ञ) ने मरीजों को बताया कि “एलर्जी का खतरा लगातार बढ़ रहा है, इससे सावधान रहने की जरुरत हैं, अमूमन बदलते मौसम में एलर्जी का खतरा बढ़ जाता है I इसकी अनदेखी करने से स्थिति भयावह हो सकती है और अस्थमा का खतरा बढ़ सकता है I गले में खरास, सर्दी जुखाम, नाक और आँख से पानी, बार-बार छिके आना और नाक में खुजली के साथ चकत्ते का बने रहना,साधारण सर्दी लम्बे समय तक बने रहना, कभी-कभी बुखार एवं मांसपेशियों में दर्द आदि एलर्जी का लक्षण है I एलर्जी किसी भी पदार्थ से ,मौसम के बदलाव से या आनुवंशिकता जन्य हो सकती है एलर्जी के कारणों में धूल ,धुआं ,मिटटी पराग कण, पालतू या अन्य जानवरों के संपर्क में आने से ,सौंदर्य प्रशाधनों से ,कीड़े बर्रे आदि के काटने से,खाद्य पदार्थों से एवं कुछ अंग्रेजी दवाओ के उपयोग से एलर्जी हो सकती है सामान्तया एलर्जी नाक ,आँख ,श्वसन प्रणाली ,त्वचा व खान पान से सम्बंधित होती है किन्तु कभी कभी पूरे शरीर में एक साथ भी हो सकती है जो की गंभीर हो सकती है lयदि इसका सही निदान न हो तो 80% एलर्जी के रोगी अस्थमा के मरीज बन जाते हैं I” डॉ. पाठक ने बताया “यह बीमारी वंशानुगत भी होती है तो इसकी संभावना बच्चो में 50% तक बढ़ जाती हैं I एलर्जी एक शारीरिक प्रतिक्रिया है जो शरीर के इम्यून सिस्टम में डिस्टर्बेंस के कारण होती हैं I इम्यून सिस्टम हानिकारक चीजे जैसे बक्टेरिया, वायरस का हमला होने पर शरीर में एक प्रतिरोधक क्षमता बनता है I कभी-कभी इम्यून सिस्टम दुश्मन को पहचानने में गलती करता है, तो शरीर सामान्य चीजो जैसे वायु प्रदुषण, धुल मिटटी, बदलते मौसम, पेड़-पौधों के पराग कण या कभी-कभी कुछ खाने पीने की चीजों से प्रतिक्रिया कर बैठता है और इसका शरीर पर बुरा असर पड़ता हैं I”

डॉ. पाठक ने मरीजों को एलर्जी से बचने की सलाह दी, जिसमे उन्होंने बताया कि – “एलर्जी से बचाव ही एलर्जी का सर्वोत्तम इलाज है इसलिए एलर्जी से बचने के लिए इन उपायों का पालन करना चाहिए - य़दि आपको एलर्जी है तो सर्वप्रथम ये पता करें की आपको किन किन चीजों से एलर्जी है इसके लिए आप ध्यान से अपने खान पान और रहन सहन को वाच करें, घर के आस पास गंदगी ना होने दें, घर में अधिक से अधिक खुली और ताजा हवा आने का मार्ग प्रशस्त करें, जिन खाद्य पदार्थों से एलर्जी है उन्हें

 

न खाएं, एकदम गरम से ठन्डे और ठन्डे से गरम वातावरण में ना जाएं, बाइक चलाते समय मुंह और नाक पर रुमाल बांधे,आँखों पर धूप का अच्छी क़्वालिटी का चश्मा लगायें, गद्दे, रजाई,तकिये के कवर एवं चद्दर आदि समय समय पर गरम पानी से धोते रहे, पालतू जानवरों से एलर्जी है तो उन्हें घर में ना रखें, ज़िन पौधों के पराग कणों से एलर्जी है उनसे दूर रहे I

. पाठक ने मरीजों को यह भी बताया कि “एलर्जी के इलाज के लिए बाजार में कई सारे एंटीएलर्जिक दवाईयां उलब्ध है जो लेने पर तुरंत आराम तो देती हैं पर जैसे ही दवा का असर खत्म हो जाता हैं तो समस्या फिर से खड़ी हो जाती हैं, इसका स्थायी इलाज सिर्फ एकमात्र इम्युनोथेरेपि (वैक्सीन) ही हैं, जिसके द्वारा भविष्य में एलर्जी की संभवना कम हो जाती हैं, और वैक्सीन से शरीर का इम्यून सिस्टम नियंत्रित हो जाता हैं, जिससे शरीर में एलर्जी रोग लड़ने की क्षमता स्वत: हो जाती हैं एवं मरीजो को एलर्जी रोग से छुटकारा मिलने की संभवना बढ़ जाती हैं I यदि किसी व्यक्ति को एलर्जी की समस्या है तो इसकी जाँच एलर्जी टेस्टिंग द्वारा की जाती है, जिसके द्वारा एलर्जी के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त हो जाती हैंI एलर्जी जाँच एवं इम्युनोथेरेपि (वैक्सीन) दोनों की सुविधा ब्रेथ ईजी चेस्ट सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, अस्सी वाराणसी पर उपलब्ध हैं I समय रहते एलर्जी की जाँच कराये, और यदि एलर्जी की बीमारी पाई जाती हैं तो इम्युनोथेरेपि (वैक्सीन) के द्वारा इलाज कराये, जिसके द्वारा भविष्य में होने वाले अस्थमा जैसे घातक रोग से बचा जा सकता हैं I

 


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