MENU

महाराजकुमारियों ने मनाई पूर्व काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह की 92वीं जयंती



 05/Nov/18

काशीवासियों के हृदय पर राज करने वाले पूर्व काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह की 92वीं जयंती संस्कृति दिवस के रूप में वाराणसी के कमच्छा क्षेत्र स्थित कृष्णा अपार्टमेंट में विश्व संस्कृत प्रतिष्ठानम् एवं विश्व शांति महासंघ के संयुक्त तत्वाधान में मनाया गया। इस अवसर पर रामनगर दुर्ग की तीनों महाराजकुमारी मौजूद थीं। रामनगर की रामलीला के प्रति महाराज का अटूट लगावइस विषय पर वक्ताओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए, प्रमुख वक्ताओं के तौर पर अशोक गुप्ता, डॉ. रितु गर्ग, मनीष खत्री आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

महाराजकुमारी कृष्णाप्रिया ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि पूर्व काशीराज डॉ. विभूति नारायण सिंह जी हमेशा से वेद एवं विद्वानों को सम्मान देने के पक्षधर थे। पिताजी महाराज का रामनगर की रामलीला, कला-संस्कृति, खेल एवं बालिकाओं की शिक्षा के प्रति बेहद लगाव था। वह जीवन पर्यन्त इसके संरक्षण हेतु कार्य करते रहे हैं। यह हमारा सौभाग्य है कि हम ऐसे महान विभूति की संतान हैं और हम उनकी जयंती संस्कृति दिवस के रूप में मनाकर उनकी परम्पराओं को आगे ले जाने के लिए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं।

अतिथियों का स्वागत विश्व शांति महासंघ के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक मनोज गुप्ता ने किया। उन्होंने बताया कि काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह की जयंती को संस्कृति दिवस के रूप में इसलिए मनाया जाता है क्योंकि वह संस्कृत एवं संस्कृति के पोषक थे। 5 नवंबर 2012 से प्रतिवर्ष महाराज डॉ. विभूति नारायण सिंह जयंती की संस्कृति दिवस के रूप में मनाई जा रही है।

राजकुमारी वरदा बसुप्रिया ने काशीराज के जीवन वृत्तांत पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि महाराज डॉ. विभूति नारायण सिंह जी को संस्कृति पुरुष बताया और कहा कि महाराज अपने जीवनकाल के अंतिम समय तक रामलीला को परंपरागत तरीके से कराते रहें और उसमें शामिल होते रहे।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल लोगों में कुंवर वरद नारायण, कुंवर बल्लभ नारायण, कुंवर ईशान, मनोरमा श्रीवास्तव, गुंजन प्रकाश, नीरज कुमार पाण्डेय, अरूण गुप्ता, हिमांशु सिंह, शशिशंकर तिवारी आदि लोग थे। कार्यक्रम का संचालन अलका गुप्ता ने किया व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अशोक कुमार सिंह ने किया। जयंती समारोह में विश्व शांति महासंघ के पदाधिकारी व शहर के अनेकों गणमान्य व्यक्ति एवं मूर्धन्य वैदिक विद्वान सम्मिलित हुए।


इस खबर को शेयर करें

Leave a Comment

6055


सबरंग