MENU

गरीबों के लिए वरदान है जेनेरिक दवा  



 29/Sep/21

चलाया गया जन जागरूकता अभियान

आम जनता की पहुंच से दूर होते जा रहे महंगे अंग्रेजी दवाओं के विकल्प के रूप में जन औषधि योजना के तहत आने वाले जेनेरिक दवाओं ने महंगे अंग्रेजी दवाओं के मूल्य से कई गुना सस्ती अपने 400 उत्पादों के साथ दवाओं की उपस्थिति बाजार में करा कर गरीब मरीजों के लिए वरदान साबित होने का कार्य किया है। इन्हीं जेनेरिक दवाओं का इस्तेमाल बिना किसी संदेह के करने की अपील के साथ लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से सामाजिक संस्था सुबह-ए- बनारस क्लब के बैनर तले संस्था के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल,एवं महासचिव राजन सोनी के नेतृत्व में मैदागिन स्थित भारतेंदु पार्क में नित्य प्रतिदिन हजारों टहलने वाले लोगो के बीच जनहित में हाथों में जेनेरिक दवा का डिब्बा लेकर एक जन- जागरूकता अभियान चलाया गया। उपरोक्त अवसर पर बोलते हुए संस्था के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल,एवं महासचिव राजन सोनी ने कहा कि जब कोई दवा बनती है, तो कंपनियां उसको पेटेंट करा लेती है। जिसकी वजह से वह दवा काफी महंगे मूल्य में बाजार में उपलब्ध हो पाती है। वही दवा जब पेटेंट के दायरे से बाहर आती है,और उसी दवा को कई कंपनियां जब बनाती है तो वह दवा सस्ते मूल्य मे जेनेरिक दवा के रूप में बाजार में उपलब्ध हो जाती है। आजकल के मिलावटी खानपान जंक फूड के प्रति लोगों का रुझान पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रहे शुगर और ब्लड प्रेशर के पाए जाने वाले मरीज, दूषित वातावरण के वजह से घर के किसी ना किसी सदस्य के अंदर पनप रहे बीमारियों के कारण महंगाई के इस दौर में घर का मुखिया उस समय असहाय और लाचार हो जाता है। जब वह आज के इस आधुनिक युग में इलाज के लिए महंगे हो चुके डॉक्टर के फीस एवं महंगे दवाओं के चक्कर में अपना जमा पूंजी गंवाता रहता है। ऐसी स्थिति में मानसिक रूप से अपने आप को वह कॉफी असहाय व लाचार महसूस करता है। ऐसे जरूरतमंदों के लिए बाजार में वरदान के रूप में आए जन औषधि योजना के तहत जेनेरिक दवाओं ने बहुत हद तक राहत देने का कार्य कर रहा है। जन औषधि केंद्र पर बिकने वाली जेनेरिक दवाओं को लेकर शुरुआती चरण में इनकी गुणवत्ता को लेकर अफवाहें भी फैलाई गई। मगर वास्तविकता यह है, कि इनकी गुणवत्ता चमकीली- भड़कीली पैकिंग में बिकने वाली अग्रेजी दवाओं से कहीं भी कम नहीं है। कमीशन के चक्कर में फैलाया गए इसके दुष्प्रचार एवं ना जानकारी होने के वजह से लोगों में इसके प्रति जागरूकता में काफी कमी है। जो कोई भी जेनेरिक दवा का इस्तेमाल एक बार कर लेता है। उसके बाद उसका रुझान खुद ब-खुद उसकी ओर हो जाता है। श्री जायसवाल ने बताया कि अंग्रेजी एवं जेनेरिक दवाओं के मूल्यों का अन्तर का अंदाजा उदाहरण के तौर पर इसी बात से लगाया जा सकता है, कि जो शुगर का दवा अंग्रेजी के दवा में अगर 180 रुपया प्रति पत्ता है। तो वही दवा जेनेरिक दवा में 16 रुपया प्रति पत्ता एंव पोस्टेड के रोग में इस्तेमाल होने वाला अंग्रेजी दवा अगर 500 रुपया प्रति पत्ता के ऊपर मिलता है। तो वही दवा जेनेरिक दवा के रूप में 24 रुपया प्रति पत्ता में उपलब्ध हो जाता है। ऐसे कई उदाहरण हैं।पत्ते पर लिखें एमआरपी के वजह से कुछ दुकानदार ग्राहकों से उसका गलत फायदा भी उठा लेते हैं। ऐसे मे लोगों में जागरूकता जरूरी है। श्री जायसवाल ने अपना खुद का अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह अपना और अपने परिवार के लिए विगत 3 वर्षों से काफी हद तक जेनेरिक दवाओं का इस्तेमाल करते चले आ रहे हैं। जिसका भरपूर लाभ उन्हें मिल रहा है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से = अध्यक्ष मुकेश जायसवाल, महासचिव राजन सोनी, उपाध्यक्ष अनिल केसरी, उपाध्यक्ष चन्द्रशेखर चौधरी, विशेश्वरगंज व्यापार मंडल अध्यक्ष अशोक गुप्ता, नीचीबाग व्यापार मंडल के अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता, राजेश केसरी, सचिव डॉ मनोज यादव, सचिव पंकज पाठक, कमलेश सिंह अग्रसेन, राजेश श्रीवास्तव,संजू विश्वकर्मा, अभिषेक विश्वकर्मा, प्रकाश मौर्या, पप्पू रस्तोगी, सहित कई लोग शामिल थे।

 


इस खबर को शेयर करें

Leave a Comment

8716


सबरंग