वादिनी नीरजा देवी ने एक प्रार्थना पत्र के माध्यम से विपक्षीगण कल्पनाथ दूबे , गोरखनाथ दूब, प्रेमनाथ दूबे, कैलाश नाथ दूबे, वीरेन्द्र कुमार दूबे और बनवारी दूबे व किरन पाण्डेय के विरूद्ध इस आशय की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी कि वादिनी ने दिनांक 3 जनवरी 2018 को आराजी नंबर 64 सम्पूर्ण रकबा 0.6640 हेक्टेयर में से विक्रेता बनवारी दूबे का सम्पूर्ण वैधानिक अंश रकबा 0.1660 हेक्टेयर स्थित मौजा पर्वतपुर परगना-कटेहर तहसील सदर, जिला-वाराणसी को बजरिये मुख्तारेआम किरन पाण्डेय जरिये पंजीकृत बैनामा मु.19.50.000/- रुपये में क्रय किया था तथा उसका नाम बैनामे के आधार पर राजस्व अभिलेख उद्धरण खतौनी में दर्ज हो गया है। आजारजी नं.64 के मूल स्वामी बनवारी दूबे व उनकी पुत्री किरन पाण्डेय व उपरोक्त अन्य सभी विपक्षीगण आपस में जालसाजी करते हुए एक राय होकर वादिनी की बैनामा से प्राप्त भूमि को हड़पने की गरज से जाली व फर्जी तथा कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर दिनांक 28-04-2018 को वादिनी की तयशुदा आजी नं.64 रकबा 166 एयर का बैनामा दूसरी बार कल्पनाथ दूबे गोरखनाथ, प्रेमनाथ दूबे, कैलाशनाथ दूबे व वीरेन्द्र कुमार दूबे के पक्ष में निष्पादित कर दिया है। उक्त बैनामा दिनांक 28-04-2018 2018 के बैनामे के आधार पर विपक्षीगण वादिनी की बैनामा से प्राप्त भूमिपर से जबरिया बेदखल करने की नाजायज तरीके से कोशिश कर रहै हैं और यह धमकी दे रहे है कि यदि प्रार्थिनी द्वारा क्रेतागण विपक्षी के हक में बैनामा निष्पादित नहीं किया जाता है तो वे वादिनी को गुण्डई के बल पर उसकी आराजी से बेदखल कर देंगे और उसकी हत्या करके उसकी भूमि को हड़प लेंगे, जिससे वादिनी व उसका परिवार काफी भयाक्रांत है।
आवेदक/अभियुक्त की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता व दी सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक उपाध्याय ने जमानत प्रार्थना-पत्र के माध्यम से कथन किया गया कि अभियुक्त निर्दोष है। अभियुक्त को वादी मुकदमा ने रंजिशन नामजद कर दिया है। मुकदमा में आरोप पत्र प्रेषित किया जा चुका है। आराजी नं.64 सम्पूर्ण रकबा 6640 हेक्टेयर में विक्रेता बनवारी दूबे का सम्पूर्ण वैधानिक अंश रकबा 1560 ---स्थित मौजा पर्वतपुर, परगना-कटेहर,तहसील सदर जिला वाराणसी की मौरूसी सम्पति है, जिसे वादिनी मुकदमा व किरन पाण्डेय ने साजिश करके बनवारी दूबे से कूटरचित मुख्तारेआम तैयार कराकर पंजीकृत करारकर तत्पश्चात मुकदमा वादिनी दूबे से अ.सं.785/2019 अंतर्गत धारा-419, 420, 467, 468, 471, 405 मा.द.सं. पंजी कराया है, जिससे अभियुक्त गवाह है। वादिनी के तथाकथित बैनामा दिनांक 03-01-2018 को मसूख करने हेतु सिविल जज, सी.डि.वाराणसी के न्यायालय में मुं.सं. 252/2019 बनवारी दूबे वगैरह बनाम नीरजा आदि प्रस्तुत किया गया है जो निधाराधीन है। अभियुक्त 68 वर्षीय वृद्ध है तथा हाई ब्लडप्रेशर व डायबिटीज तथा हृदय रोग से ग्रसित है। वादनी मुकदमा दबंग व असामाजिक तत्वों का संगठन चलाती है, जिसने अभियुक्त की भूमि पर कब्जा करने की नीयत से उपरोक्त फर्जी मुकदमा अधिकृत कराया है। अभियुक्त उचित जमानत मुचलका देने को तैयार है, अत: उसे जमानत पर रिहा किया जाय ।
वादिनी की ओर से आपत्ति प्रस्तुत करते हुए तर्क प्रस्तुत किया गया कि अभियुक्त द्वारा गंभीर प्रकार का अजमानतीय अपराध कारित किया गया है। बनवारी दूबे द्वारा दर्ज कराये गये प्रथम सूचना रिपार्ट अपराध संख्या-785/2019 में, पुलिस के द्वारा फाइल रिपोर्ट प्रेषित कर दिया गया है। बनवारी दूबे ने सहज वादिनी को परेशान करने की नीयत से वादिनी की क्रयशुदा संपत्ति पर कब्जा हासिल करने की नीयत से झूठा मुकदमा दाखिल किया है, जिसमें किसी प्रकार अंतरिस निषेधाज्ञा आदेश पारित नहीं किया गया है। अभियुक्तगण द्वारा आपसी साजिश करके वादिनी का धन हड़पने की नीयत से फर्जी ढंग से क्रयशुदा संपत्ति को हड़पने के लिए अवैध व कूट रचित दस्तावेज तैयार कर उसे प्रयोग में लाया गया है। अभियुक्त गोरखनाथ दूबे आपराधिक प्रकृति का व्यक्ति है तथा उसका गिरोह है, जो तमाम आपराधिक गतिविधियों में लिप्त है। अभियुक्त का अपराध गंभीर है, अत: जमानत प्रार्थना-पत्र निरस्त किया जाय।
जिला शासकीय अधिवक्ता, फौजदारी की तरफ से जमानत प्रार्थना-पत्र का विरोध करते हुए जमानत प्रार्थना-पत्र निरस्त किये जाने पर बल दिया गया।
न्यायालय सिविल जज सी.डि.वाराणसी में बाद संख्या 262/ 2019 विचाराधीन होना स्वीकृत है। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा प्रर्थना-पत्र अंतर्गत धारा-482 संख्या -10848/2019 2019 में पारित आदेश दिनांकित 04-04-2019 में यह अभिमत व्यक्त किया गया है कि मुख्य विवाद वसीयत से संबंधित है, जिससे मध्यस्थ्ता द्वारा सुलझाने हेतु सिविल न्यायालय में पक्षकार जा सकते है। प्रार्थी द्वारा स्वंय को क्रेता होना कहा है, जिसे वादिनी द्वारा भी धारा-156(3) द.प्रं.सं. के प्रार्थना पत्र में स्वीकार किया गया है। वादिनी के विक्रय पत्र एवं प्रार्थी से संबंधित विक्रय पत्र में विदादित आराजी की चौहद्दी अलग-अलग दर्शाया जाना अभिकथित है। अभियुक्त के किसी तरह का आपराधिक इतिहास का विवरण अभियोजन की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया है। आपराधिक षणयंत्र के संबंध में भी अभियोजन द्वारा कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया है। अभियुक्त कई दिनों से कारागार में निरूद्ध है। प्रार्थी पर लगाये गये आरोप प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। अत: मामले के सम्पूर्ण तथ्य एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए मामले के गुण दोष को प्रभावित किये बगैर अभियुक्त के जमानत का अधार पर्याप्त है । जमानत प्रार्थना पत्र शर्तों के अधीन स्वीकार किए जाने योग्य है।
आवेदक /अभियुक्त गोरखनाथ दुबे द्वारा प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाता है। अभीयुक्त द्वारा रुपए 1 लाख का व्यक्तिगत बंध पत्र व इतनी धनराशि के दो प्रतिभू दाखिल करने पर संबंधित मजिस्ट्रेट की संतुष्टि के अधीन निम्न शर्तों पर जमानत पर रिहा किया जाए।
अभियुक्त विचारण में सहयोग करेगा तथा पलायित नहीं होगा। अभियुक्त मामले से संबंधित साक्षियों को आतंकी से प्रभावित नहीं करेगा। अभियुक्त साक्ष्य नष्ट नहीं करेगा तथा न्यायालय में स्वयं अथवा अधिवक्ता के माध्यम से उपस्थित रहेगा।
उपरोक्त मामले में विद्वान अधिवक्ता व दी सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष की बहस पर मिली जमानत।