MENU

‘उत्तर एवं पूर्वोत्तर भारत हिन्दू अधिवेशन’ से वाराणसी में हिन्दू संगठन का आविष्कार



 23/Nov/18

‘धर्मनिरपेक्षता और कम्युनिज्म’ शब्द ईसाईयत की भूमि निर्माण करने के लिए- आचार्य (डॉ.) कामेश्‍वर उपाध्याय

वाराणसी के आशापुर स्थित ‘मधुवन लॉन’ में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आज 22 नवंबर 2018 को दो दिवसीय ‘उत्तर एवं पूर्वोत्तर भारत हिन्दू अधिवेशन’ का प्रारंभ हुआ। अखिल भारतीय विद्वत परिषद के महामंत्री आचार्य डॉ. कामेश्‍वर उपाध्यायजी ने उपस्थित धर्मनिष्ठों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि, जैसे भगवान कृष्ण के रहते पांडवों को कोई मार नहीं सका, वैसे ही वर्त्तमान में भगवान श्रीकृष्ण की छत्रछाया में सनातन धर्म को कोई नष्ट नहीं कर सकता! आज विकसित देशों के लोग गीता का, सनातन का अध्ययन कर रहे है और अपने अस्तित्व की ओर बढ रहे हैं और हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। न्याय व्यवस्था जब व्यवसाय बन जाए, तब वहां कभी न्याय नहीं हो सकता है। हम कला, विज्ञान, अर्थ, जीवन के सभी क्षेत्र में ईसाईयत के प्रभाव में फंसे हैं। हमें हिन्दू राष्ट्र की नीति पर काम करना होगा। ‘धर्मनिरपेक्षता व कम्यूनिज्म’ ये दोनों शब्द ईसाईयत के लिए भूमि निर्माण करने का काम कर रहे हैं। जो सनातन संस्कृति का विरोध करेगा, उसे हम हिन्दू नहीं मानते। जिस प्रकार यूरोप ईसाई धर्माधारित है, लेकिन वहां हर धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं, उसी प्रकार भारत हिन्दू राष्ट्र में हर धर्म के लोग रहेंगे लेकिन राजव्यवस्था हिन्दूधर्माधारित होगी! हमें हिन्दू सदन का निर्माण करना होगा। अन्य धर्मियों के लिए उनके धर्म के विश्‍वविद्यालय हैं किंतु हिन्दुओं का एक भी विश्‍वविद्यालय नहीं है। इन सब के लिए परिवर्तन आवश्यक है और परिवर्तन तपस्या के बिना संभव नहीं है! कौशल्या ने तप किया था, श्रीराम को पृथ्वी पर लाने के लिए यशोदा ने तप किया था, तब भगवान श्रीकृष्ण धरती पर आए, जीजाबाई ने साधना की छत्रपति शिवाजी के लिए! इसलिए देश को हिन्दू राष्ट्र बनाना है तो अध्यात्म विश्‍वविद्यालय बनाएं और उसके माध्यम से लोगों को अध्यात्म सिखाएं।

हिन्दू जनजागृति समिति के पूर्वोत्तर भारत के मार्गदर्शक पू. नीलेश सिंगबाळ, त्रिपुरा के शांतिकाली मिशन के महंत रायमोहन ब्रह्मचारी, अखिल भारतीय विद्वत परिषद के महामंत्री आचार्य डॉ. कामेश्‍वर उपाध्याय, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, पूर्वी चंपारण के नरसिंहबाबा मंदिर के महंत मुरारी पांडे के करकमलों से दीपप्रज्वलन हुआ।

अधिवेशन का बीज व्‍यक्‍त करते हुए हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे ने धर्माभिमानियों को संबोधित करते हुए कहा कि संसार के सभी देशों ने अपने संविधानद्वारा बहुसंख्यकों के धर्म, संस्कृति, भाषा और हित को सुरक्षा प्रदान की है। भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां बहुसंख्यक होते हुए भी गत 71 वर्षों में ‘सेक्युलर’ भारतीय लोकतन्त्र ने हिन्दुओं और उनके हितों की रक्षा नहीं की है। इसलिए आज हिन्दू समाज सम्पूर्ण भारतवर्ष में असुरक्षित और शोषित बन गया है। ‘सेक्युलर’ वाद के नाम पर भारत के राज्यकर्ता केवल अल्पसंख्यकों के लिए सक्रिय रहे। भारत में बहुसंख्यक हिन्दुओं के धर्म, संस्कृति, भाषा और हित को संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त करवाने हेतु यह हिन्दू संगठनों का अधिवेशन है। ध्येयनिष्ठ व्यक्ति और संगठनों के संगठन से ही हिन्दू राष्ट्र-स्थापना का कार्य सफल होगा। हिन्दु राष्ट्र राजकीय नहीं, विश्‍व कल्याणकारी संकल्पना है। यह हिन्दुओं के अंतर्मन में विद्यमान चैतन्य शक्ति की जागृति से संभव है! हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंका संगठन काल की आवश्यकता है। धर्मसंस्थापना का कार्य एक शिवधनष है। साधना के बलपर ही उसे उठा सकते हैं; इसलिए हिन्दू राष्ट्र-स्थापना का कार्य करते समय साधना का बल आवश्यक है।

सनातन हिन्दू धर्म के जय-जयकारों से गूंजित इस अधिवेशन में उपस्थित सभी धर्मनिष्ठ ने राष्ट्र और धर्म के लिए पूर्ण समर्पण करने हेतु कृतसंकल्प हुए। इसमें उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, बंगाल, नई दिल्ली, ओडिशा, आसाम, त्रिपुरा, अरूणाचल प्रदेश इत्यादि राज्यों से धर्मनिष्ठ सम्मिलित हुए।


इस खबर को शेयर करें

Leave a Comment

7151


सबरंग