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डीपीएस की कृति शाह ने अपनी सफलता का श्रेय दादा प्रो. एके शाह को दिया

संजय कुमार मिश्र

 29/May/17

क्लाउन टाइम्स की टीम ने कि निदेशक पंकज राजगढ़िया के झूठ की पड़ताल

सीबीएसई 12वीं के परीक्षा परिणाम में वाराणसी डीपीएस की कृति शाह के 99.2 प्रतिशत अंक अर्जित कर जहॉं बनारस में अपना कीर्तिमान स्थानपित किया। इस अभूतपूर्व सफलता के लिये कु. कृति ने इसका श्रेय अपने प्रो. दादा एके शाह को दिया, वहीं दूसरी ओर डीपीएस वाराणसी ने दावा किया है कि पंकज राजगढ़िया ने मीडिया में विज्ञापन देकर दावा किया है कि राष्ट्रीय रैंकिग में तीसरा स्थान और वाराणसी में पहला स्थान प्राप्त किया है। इस बारे में क्लाउन टाइम्स ने स्कूल के निदेशक पंकज राजगढ़िया से साक्षात्कार के लिये समय माँगा तो वे झूठ बोले कि वे शहर के बाहर हैं, 11 तारीख को आयेंगे। यह पूछे जाने पर कि स्कूल के प्रिंसिपल से बात हो सकती है तो श्री राजगढ़िया ने इससे भी बड़ा झूठ बोला कि सभी छुट्टी पर हैं और 2-3 (जून) के बाद आएंगे। खैर, स्कूल की छात्रा कृति को कामयाबी मिली है तो खबर बनती है। इसके बाद क्लाउन टाइम्स ने स्कूल के प्रधानाचार्य के नम्बर पर फोन लगाया तो उठा नहीं किन्तु थोड़ी ही देर में उनका फोन आया। बड़े ही सहज भाव से इतने बड़े स्कूल के प्रिंसिपल मुकेश शेलत ने पूछा कि आप कौन? जब उन्हें क्लाउन टाइम्स बताया गया और उनके विद्यालय की छात्रा कृति की कामयाबी के लिये बधाई दिया तो वे गदगद हो गये। साक्षात्कार के लिये समय माँगने पर कहा कि 10 बजे से 2 बजे तक रहूँगा आ जाईयेगा। उनके निदेशक राजगढ़िया के झूठ की पड़ताल करने के लिये सवाल किया कि क्या वे भी मिलेंगे तो प्रिंसिपल साहब ने कहा कि जरूर! यहीं पर हैं और 11 बजे तक आ जायेंगे। गुजरात से अभी हाल ही में डीपीएस की जिम्मेदारी सम्भालने वाले मुकेश शेलत को क्या पता कि अभी चंद मिनट पहले उनके निदेशक ने सफेद झूठ बोला है।

राजगढ़िया के झूठ से पर्दा उठाया प्रधानाचार्य मुकेश शेलत ने

निर्धारित समय लगभग 1 बजे क्लाउन टाइम्स की टीम डीपीएस वाराणसी पहुँची तो प्रधानाचार्य मुकेश शेलत ने तुरन्त अपने कक्ष में बुलाया और बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। स्कूल की छात्रा कृति शाह जिसने 99.2.

 प्रतिशत अंक अर्जित कर कीर्तिमान स्थापित किया इसके लिये विद्यालय के किसी शिक्षक का नाम न लेकर इसका श्रेय अपने दादा प्रो. एके शाह को देने की बात कह रही है, के जवाब में प्रधानाचार्य ने दार्श्निकं अंदाज में कहा कि यह सफलता डीपीएस के शिक्षा मूल्यों नीतियों के परिपालन के कारण संभव हुआ है । डीपीएस की शिक्षा नीति में सर्वांगिण विकास पर फोकस किया जाता रहा है जिसमें व्यक्तित्व विकास, वैल्यू एजुकेशन पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है और शनै:- शनै: अब परिणाम भी दिखने लगे है। प्रिंसिपल साहब सीधे सवाल का सीधा जवाब न देकर उसे विस्तार दिया और कहा कि हम छोटी उम्र में छात्र-छात्राओं पर एकेडमिक बोझ को कम कर उनमें भारत की संमृद्ध वैज्ञानिक जीवन दिनचर्या, मूल्यों, और परंम्पराओं, संस्कृति को प्रथम बेसिक शिक्षा के तहत बताने व सीखाने की बात कहते है और इसके पक्षधर है। आज सिंक्रो बैच की परंपरा का जो चलन है वह मेरे लिहाज से उचित नहीं है। श्री शेलत का मानना है कि विद्यार्थीयों में क्लास रूम के बाहर ज्यादा सीखते है, इसलिये उन्हें क्लास रूम के बाहर के सीखने की प्रवृत्ति शामिल किया जाये। कहा कि लोअर क्लास में गणित और भाषाज्ञान को छोड़ कर अन्य गतिविधियों पर उन्हें एकाग्र कर ज्ञान देना चाहिए जिससे कि उनमें ज्ञान, विज्ञान, खेल और अपनी संस्कृति को समझने-जानने का पूरा मौका दे सकें। डीपीएस में पैरेंट्स के साथ वर्क-शाप का नियमित आयोजन होता है। सवालों की लम्बी फेहरिस्त थी, क्योंकि डीपीएस के परिणाम ने वाराणसी के शिक्षा जगत में नया कीर्तिमान स्थापित किया था, इसलिये इसके पीछे का सच जानना जरूरी था।

इसीबीच अचानक डीपीएस के निदेशक पंकज राजगढ़िया के फोन की घंटी प्रधानाचार्य के नम्बर पर घनघनाई तो उनके बातचीत का सिलसिला अचानक थम सा गया। वर्तमान प्रधानाचार्य साहब से पहले पूर्व प्रधानाचार्य आरके पांडेय को यहाँ की नौकरी छोड़कर क्यों जाना पड़ा ये तो वही जाने, किन्तु राजगढ़िया जी के फोन आते ही उनके चेहरे की रंगत बदल गई और निवेदन किया की कोई भी कंट्रोवर्सी वाली बात प्रकाशित मत किजियेगा।

श्री शेलत को श्री राजगढ़िया ने अंक पत्रों पर हस्ताक्षर के बहाने अपने सिटी ऑफिस चन्द्रिका नगर,सिगरा बुलाया। शिक्षा के मन्दिर में सर्वोच्च पद पर बैठे प्रिंसिपल मुकेश शेलत को क्या पता कि उनका ज्ञान यहाँ धरा-का-धरा रह जायेगा, क्योंकि उनके विद्यालय के निदेशक की बातचीत की बुनियाद झूठ पर टिकी है। तभी तो बनारस में रहते हुए क्लाउन टाइम्स से झूठ बोला कि बाहर हैं।

डीपीएस के बच्चे हफ्ते में 3 दिन क्यों पढ़ते हैं ऑरिगेन्स कोचिंग में

जो सवाल क्लाउन टाइम्स को करना था वे इस प्रकार थेशिक्षा के व्यवसायीकरण के दौर में डीपीएस की फीस क्या है? जबकि यहाँ के छात्र-छात्राएँ हफ्ते में 3 दिन पीएम मोदी के संसदीय कार्यालय से चंद कदम की दूरी पर लगभग एक दर्जन बसों में भरकर सैकड़ों की संख्या में बच्चे ऑरिगेन्स कोचिंग रविन्द्रपुरी में क्यों पढ़ते हैं? इस कोचिंग के परीक्षा परिणामों के विज्ञापन पर गौर करें तो 40 में 18 बच्चे डीपीएस के हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि विद्यार्थीयों के सफलता का श्रेय विद्यालय में योग्य शिक्षकों के अभाव में कोचिंग को जाता है। सफलता की फेहरिस्त में आस्था सिंह व सृष्टि सिंह 98 प्रतिशत अंक पाकर दूसरे स्थान पर कीर्तिमान स्थापित करने वाली छात्रा किस वर्ग से सफल हुई हैं? साथ ही अन्य 90 प्रतिशत अंक से ऊपर पाने वाले विद्यार्थीयों की सफलता के पीछे कहीं इसका श्रेय डीपीएस के संरक्षण में चलने वाले कोचिंग को तो नहीं जाता है? अभी कुछ सप्ताह पहले की बात है कि वाराणसी के प्रमुख कोचिंग संस्थान को वाराणसी के शिक्षा विभाग ने ऐसी नकेल कसी कि उसे अपने यहाँ का विज्ञान प्रयोगशाला बंद करना पड़ा क्योंकि इसकी आड़ में जिस स्कूल संचालक के साथ उसका धंधा चल रहा था वह संचालक अपने यहाँ के विज्ञान वर्ग के विद्यार्थीयों को सीधे कोचिंग संस्थान में भेजकर बड़ा मुनाफा कमा रहा था। उसे अपने विद्यालय में न तो अध्यापक रखना पड़ रहा था और बैठे-बैठाये लाखों रूपये महीने मोटी फीस ले रहा था।

कुल मिलाकर वाराणसी में डीपीएस एक बड़ा ब्रांड है, जिसके पीछे पूँजीपति अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिये भाग रहे हैं। किन्तु उन्हें क्या पता कि जिस विद्यालय का निदेशक मीडिया से झूठ बोलता हो उसके लिये शिक्षा करोड़ों के कमाई का बड़ा जरिया है और इसकी आड़ में प्रकाशक से लेकर ड्रेस विक्रेताओं और कोचिंग संचालकों का बड़ा नेक्सेस है। जिसे मुट्ठी भर अभिवावक संघ के झंडाबरदारों के दम पर तोड़ पाना किसी के बस की बात नहीं है।

बताते चलें कि  श्री राजगढ़िया वर्षों पहले वाराणसी के एक प्रात:कालीन समाचार पत्र को छापने का काम वर्षों तक किये और स्वयं को मीडिया ही समझते थे। वक्त बीता अखबार छापना बंद कर दिया क्योंकि इस धंधे में अंधी कमाई नहीं है।

कुल मिलाकर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ भले ही शिक्षा विभाग की पूरी टीम लगाकर शिक्षा के नाम पर उगाही पर नकेल कसने की कोशिश में पूरी फौज लगा दी है, किन्तु बड़े शिक्षा के सौदागर इससे बेखौफ होकर करोड़ों की कमाई कर अपनी झोली भर रहे हैं।

 

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